- 28 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद होगी
- अपहरण के 14 अन्य दोषियों को तीन-तीन वर्ष की कैद एवं 8-8 हजार रुपये अर्थदंड की सजा
- अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़िता को मिलेगी
सोनभद्र। साढ़े 17 वर्ष पूर्व 15 वर्षीय बालिका के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-3 सोनभद्र निहारिका चौहान की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी अनिल को 10 वर्ष की कैद एवं 28 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अपहरण के 14 अन्य दोषियों को तीन-तीन वर्ष की कैद एवं 8-8 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन-तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। पीड़िता को अर्थदंड की आधी धनराशि मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक कोन थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने कोर्ट में दाखिल धारा 156(3) दंड प्रक्रिया संहिता के प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया था कि उसकी 15 वर्षीय बेटी को 15 अक्तूबर 2004 को 9 बजे घर में घुसकर कोन थाना क्षेत्र के बागेसोती गांव निवासी अनिल समेत 15 लोग भगा ले गए। जहां पर अनिल ने बेटी के साथ दुष्कर्म किया और अन्य 14 लोगो ने इस कार्य में सहयोग किया है। इसकी सूचना थाने पर एवं एसपी को दिया, किंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट के आदेश पर कोन पुलिस ने अनिल समेत 15 लोगों के विरुद्ध दुष्कर्म समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज किया था। मामले की विवेचना करने पर पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने न्यायालय में अनिल समेत 15 के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी अनिल को 10 वर्ष की कैद एवं 28 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अपहरण के 14 अन्य दोषियों मुरली यादव, कैलाश भुइयां, नरेश भुइयां, सुरेश भुइयां, गोविंद भुइयां, लखन भुइयां, रामा भुइयां, चतुर्गुन भुइयां, गुटुल भुइयां, धनवा देवी, राम आधार भुइयां, नवमी भुइयां, भुनेश्वर भुइयां व लालवा भुइयां को दोषसिद्ध पाकर तीन-तीन वर्ष की कैद एवं 8-8 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन-तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की आधी धनराशि पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने बहस की।