अंग्रेजो की सोची समझी रणनीति के तहद देश का हुआ बटवारा
गांधी जीवन पर ऑनलाइन परिचर्चा
म्योरपुर/पंकज सिंह
शनिवार को गांधी विचार धारा से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं का ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें महाराष्ट्र के वर्धा से किसान जनांदोलन से जुड़े गांधी विचारक अविनाश काकड़े ने गांधी के जीवन देश के बटवारे पर चर्चा हुई।उन्होंने कहा कि हमे सुनी हुई बातों से ज्यादा तथ्यों पर बात करनी चाहिए।गांधी प्रसांगिक है यह सवाल नहीं है सवाल यह है कि हम कितने प्रसांगिक है।उन्होंने ने कहा कि गोड्से राष्ट्रवादी नही हो सकते न ही सवारकर देश भक्त थे यह जरूर था कि वह अव्वल दर्जे के विद्वान थे। कहा कि अंग्रेजो ने उन्हें भारत की आजादी में भाग न लेने के लिए 60 रुपये महीना देते थे।ताकि उनके कहने पर युवा वर्ग अंग्रेजो का साथ दे।कहा कि देश के बटवारे में गांधी का कोई हाथ नहीं था।ये अंग्रेजों की रणनीति थी।और यहां का एक वर्ग देश का बटवारा चाहता था।कहा कि गांधी को समझने की जरूरत है।कहा कि गांधी को भगवान नही मानना है हमे उंन्हे आचरण में उतारना है।प्रदीप सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया में गांधी को लेकर जो भ्रामक बाते प्रचारित किया जा रहा है।उससे गांधी के विचार खत्म नहीं होंगे। मेरी सोच ही सही है इसे ही लोग मॉने यह वर्चस्व की लड़ाई से अलग निकलने की जरूरत है।हमे समाज मे आगे बढ़ना है।दुनिया आज गांधी की तरफ देख रही है। मौके पर डॉ विभा , विमल भाई, देवनाथ भाई,रमेश यादव,बेचन राम ओंकार पांडेय, शिव सरन सिंह,शिव नारायण, आदि उपस्थित रहे
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