ओमप्रकाश रावत
विंढमगंज-सोनभद्र- विकास खण्ड दुद्धी के ग्राम पंचायत केवाल,घिवही एवं धुमा में आज कृषि विज्ञान संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय तथा राई सरसों अनुसंधान निर्देशालय भरतपुर राजस्थान के द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित जनजातीय उप परियोजना के तहत राई की वैज्ञानिक उत्पादन तकनीक विषय पर किसान गोष्ठी अयोजित की गईं। इस

परियोजना के तहत अक्टूबर माह में 150 किसानों को सरसों का बीज वितरण किया गया था और आज इन किसानों के साथ गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवकनाशी ,कीटनाशक, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्त्व एवं छिड़काव मसीन का वितरण किसानों को किया गया । इस अवसर पर संस्थान के राई सरसों के वैज्ञानिक प्रोफेसर कार्तिकेय श्रीवास्तव और उनकी टीम एवं सहयोगी कृषक गौरी शंकर कुशवाहा द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम में राई सरसो के वैज्ञानिक प्रोफेसर कार्तिकेय श्रीवास्तव ने सिंचित दशा में समय

से बुआई वाली प्रजातियों के विषय मे विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया सरसों कि नवीन प्रजातियों जैसे गिरिराज, आर एच 725 का प्रयोग कर किसान अधिक ऊपज प्राप्त कर सकता हैं इस जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से राई सरसों एक उचित दिर्घ कालिक ऊपज स्थायी वाला पर्याय हैं साथ ही साथ भूमि की तैयारी उर्वरक के उपयोग खरपतवार नियंत्रण तथा समेकित पोषक तत्त्व प्रबन्धन पर तथा तेल की प्रतिशत बढ़ाने के लिए सल्फर तथा सूक्ष्म तत्वो के प्रयोग पर बल दिया। सरसों में लगने वाले रोग झुलसा, सफेद, गेरूई, तुलसिता रोग के प्रबंधन के विषय मे विस्तृत जानकारी दी ।
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