दक्षिणांचल में नष्ट होते वनों से बेघर हो रहे वन्य जन्तुभोजन की तलाश में बस्तियों में डेरा जमा रहे बानर, जंगली सुआर ।


फसलों को नष्ट कर किसानों को कर रहे कंगाल

म्योरपुर/पंकज सिंह

रेनुकूट वन प्रभाग के पिपरी,म्योरपुर,बभनी,गोहडा,दुद्धी, विंढमगंज, अनपरा व जरहा रेंज क्षेत्र के वनों के अंधाधुंध कटान से नष्ट हो चुके वनों में निवास करने वाले वन्य जन्तु वन क्षेत्र में खाद्य वस्तुवों की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्र एवम बस्तियों को अपना ठिकाना बना चुके है,वन्य जन्तुवो द्वारा फलदार वृक्षो,फसलों व खपरैल मकानों को नष्ट कर किसानों ग्रामीणों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर डाला है,जिस कारण ग्रामीण कृषि से तौबा कर श्रमिक बनने को विवश है वही इस समस्या पर न तो वन विभाग न ही राजनेताओ द्वारा रुचि लिए जाने से यह समस्या विकराल होती जा रही है।
दक्षिणाचल के गांव वनों के किनारे या वनों के मध्य बसे है,औद्योगीकरण एवम वन तस्करों द्वारा वनों को नष्ट कर डाला गया है,पूर्व सरपंच वयोवृध्द गौरी शंकर सिंह ने बताया कि दो तीन दशक पूर्व यहाँ के वन काफी संवृद्ध एवम सघन थे,वनों में बेर,मकोय,बेल,आंवला,चिरौंजी,हर्रा,बहेरा,सतावर,सहित प्रचुर मात्रा में कंदमूल मौजूद थे जो वन्यजन्तुओ के भोजन की आवश्यकता को पूरा करते थे,अब वनों में सिवा झाड़ियों के कुछ भी नही रहा यही कारण है कि जंगली जानवर बंदर,सियार,जंगली सुअर,हाथी गांव की ओर आने लगे,आज स्थिति यह है कि इस क्षेत्र की मुख्य उपज मक्का,मूंगफली,धान, अरहर आलू,की फसलों के शत्रु जंगली जानवर बन चुके है,बंदरो ने तो स्थाई बसेरा बना लिया है,अभावग्रस्त व गरीब क्षेत्र होने के कारण अधिकांश घर खपरैल के है इन घरों पर बानरों के धामा चौकड़ी से खपड़ैल चूर चूर हो जाते है बरसात होते ही वर्षा का पूरा पानी घरों में टपकता है ,घर होते हुए भी लोग बेघर वाली स्थिति में जीने को विवश होते है,वही फसलों फलदार वृक्षो के नष्ट किये जाने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है,इन समस्याओं से तंग आ कर किसान श्रमिको वाली स्थिति में जीने को मजबूर है यही कारण है कि यहां के ग्रामीण भारी संख्या में पलायन करते है।राम नरेश,सुदामा,मनोज,राधे श्याम,रामबली,राम प्रसाद,सोमारू,तिलक,जनक,अवधेश रामदेव आदि का कहना है कि वे इस गंभीर समस्या से तंग आ चुके है न ही हमारी इस समस्या पर वन विभाग न ही राजनेता न ही सरकार द्वारा समुचित हल निकाला जा रहा है,हर वर्ष घरों की मरम्मत पर भारी खर्च आने से हमारी आर्थिक स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है वही खेती भी चौपट हो रही है ऐसे में हम दो जून की रोटी के लिए परेशान है जबकि राजस्व अभिलेखों में हम भूस्वामी की श्रेणी में दर्ज है,ग्रामीणों ने इस गंम्भीर समस्या पर जिला प्रशासन ,प्रदेश,केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए निराकरण की मांग की है।

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