दुष्कर्म के बाद हत्या, दोषी शहजाद को फांसी की सजा

राजेश पाठक की खास रिपोर्ट

  • दो लाख रुपये अर्थदंड, न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद
  • साढ़े आठ वर्ष पूर्व सात वर्षीय नाबालिग दलित बालिका के साथ दुष्कर्म कर हत्या किए जाने का मामला
  • अर्थदंड की धनराशि में से उचित प्रतिकर के रूप में वादी को नियमानुसार दिलाने की कोर्ट ने की संस्तुति
  • मृत्युदंड की पुष्टि के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रेषित किया जाएगा
    सोनभद्र। साढ़े आठ वर्ष पूर्व सात वर्षीय दलित बालिका के साथ दुष्कर्म कर हत्या करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, सोनभद्र पंकज श्रीवास्तव की अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी शहजाद को फांसी एवं दो लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से वादी को उचित प्रतिकर दिलाने के लिए कोर्ट ने संस्तुति की है। साथ ही मृत्युदंड की पुष्टि के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रेषित किया जाएगा।
    अभियोजन पक्ष के मुताबिक विंढमगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी दलित व्यक्ति ने 10 जनवरी 2013 को थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि उसकी सात वर्षीय बेटी सुबह 9 बजे घर से खेलने के लिए निकली थी जो वापस नहीं लौटी। जब उसकी खोजबीन की गई तो पता चला कि हैंडपंप पर विंढमगंज थाना क्षेत्र के हरपुरा गांव निवासी शहजाद पुत्र सफी उल्लाह बेटी से कुछ बातचीत कर रहा था। दोपहर बाद 1:30 बजे दिन बेटी की नग्न लाश अरहर के खेत में मिली। जिसे देखने पर लग रहा था कि उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी उसी के कपड़े से गला दबाकर हत्या कर दी गई हो। बेटी को शहजाद के साथ कई लोगों ने देखा था। इस तहरीर पर पुलिस ने दुष्कर्म, हत्या के साथ ही पॉक्सो एक्ट एवं एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज कर लिया। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी शहजाद को फांसी एवं दो लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से वादी को उचित प्रतिकर दिलाने की भी कोर्ट ने संस्तुति की है। साथ ही मृत्युदंड की पुष्टि के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को प्रेषित किया जाएगा। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता दिनेश अग्रहरि एवं सत्यप्रकाश त्रिपाठी ने बहस की।

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इनसेट में-

सोनभद्र में सुनाई गई तीसरी फांसी की सजा
सोनभद्र। मिर्जापुर जिले से अलग होकर 4 मार्च 1989 को बने सोनभद्र जिले में बुधवार को तीसरी फाँसी की सजा सुनाई गई। बता दें कि सबसे पहले एडीजे एफटीसी रहे एके द्विवेदी की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।उसके बाद वर्तमान में एडीजे द्वितीय सोनभद्र राहुल मिश्रा की अदालत ने दूसरी फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद बुधवार को एडीजे/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो, सोनभद्र पंकज श्रीवास्तव की अदालत ने तीसरी फाँसी की सजा सुनाई है।

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