निशंक जी का राष्ट्र अनुराग उनके लेखन का तत्व – रचना तिवारी

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के डिजिटल पटल पर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी के साहित्य पर विस्तृत चर्चा हुई । निशंक जी की साहित्यिक गतिविधि की चर्चा में डॉ सुधांशु शुक्ला हिंदी चेयर वर्सा विश्वविद्यालय पोलैंड और अंतरराष्ट्रीय गीतकार डॉ रचना तिवारी आमंत्रित थीं । देश के अग्रिम पंक्ति के समीक्षक सुधांशु शुक्ला ने निशंक जी की तमाम कहानियों पर प्रकाश डालते हुए ‘विपदा जीवित है ‘कहानी का वाचन भी किया ,सुधांशु शुक्ल ने निशंक जी के प्रतीक्षा खण्ड काव्य पर विस्तृत चर्चा की ,उन्होंने कहा कि निशंक जी के साहित्य की नायिकाएं ग्राम्य जीवन की संघर्षरत स्त्री है न कि सुविधा सम्पन्न स्त्री। उनके अनुसार निशंक का साहित्य सम्वेदना और भाव भूमि पर रचा गया साहित्य है।

गीतकार डॉ रचना तिवारी ने निशंक के कई गीतों का सस्वर पाठ ही नहीं किया बल्कि उनके गीत की उपजाऊ धरती का भी जिक्र किया। डॉ रचना ने निशंक के साहित्य को झंझावातों और उबड़ खाबड़ रास्तों की उत्पत्ति कहा ,उन्होंने कहा कि निशंक जी के साहित्य में पहाड़ी खुशबू है जो कभी भी किसी रसायन से विनष्ट नहीं हो सकती। प्रतीक्षा खण्डकाव्य एक विधवा माँ की आंखों का सपना है जो अपने बच्चे को सेना में भेजना चाहती है राष्ट्र रक्षा के लिए ।निशंक जी राजनीति के चरम पर पहुंच कर भी अपने साहित्य में व्यवस्थाओं पर अपनी कलम चला रहे हैं ये बहुत बड़ी बात है। निशंक जी का राष्ट्रअनुराग उनके लेखन का तत्व है अंत मे पारसमणि अग्रवाल ने आभार प्रकट किया ।

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