विशेष संवाददाता की कलम से
सोनभद्र। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को धार देने वालों में एक प्रमुख संत गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने धर्माचार्यो को एक मंच पर लाने का काम किया था। 21 जुलाई , 1984 को उन्हें रामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का अध्यक्ष बनाया गया था और वे आजीवन इस पद पर बने रहे। इनके गुरु महंत दिग्विजयनाथ भी अयोध्या आंदोलन से जुड़े थे । 22 दिसम्बर 1949 को जब रामलला प्रकट हुए तब वहा पूजा- अर्चना की विधिवत व्यवस्था कराने का काम किए थे । गोपाल सिंह विशारद से न्यायालय में मुकदमा कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए थे इसमें विनायक दामोदर सावरकर का भी योगदान था। उन दिनों ये दोनों लोग अखिल भारतीय रामायण महासभा के सदस्य थे। महंत दिग्विजयनाथ उन गिनती के लोगों में थे, जिन्होंने विवादित स्थान पर मंदिर बनाने की संकल्पना प्रस्तुत की थी । महंत अवेद्यनाथ गोरखपुर से चार बार सांसद रहे । इन्ही के शिष्य और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मंदिर बनवाने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहे हैं । इस तरह से राममंदिर आंदोलन से गोरक्षपीठ का तीन पीढ़ियों का सम्बंध है ।’ ज्ञात हो विविध मत के धर्माचार्य महंत अवेद्यनाथ जी को अपना आदर्श मानते थे । समाज में अस्पृश्यता और ऊंच – नीच की भावनाओं के विरुद्ध उन्होंने आंदोलन खड़ा किया
था। श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन को जन आंदोलन बनाने वाले अवैद्यनाथ दो बार सोनभद्र आए थे । एक कार्यक्रम चोपन में आयोजित था और एक अनपरा में।
प्रस्तुतकर्ता
भोलानाथ मिश्र
सोनभद्र , यूपी
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal