बभनी/सोनभद्र (अरुण पांडेय)
टेंडर के चक्कर में पेट्रोल भराने को विवश हो जाते हैं कुछ सीधे-साधे प्रधान।
बभनी। विकास खंड में ओपेन टेंडर के आड़ में मैनेजिंग टेंडर कराकर अपने शुभचिंतकों को दे दिया जाता है जो शासन के नियमों के अनुरूप होता है टेंडर की भनक लगते ही कुछ व्यवसाई हर रोज कार्यालयों के चक्कर लगाते फिरते हैं और सेक्रेटरियों के साथ गोपनीय बैठक कर सांठ-गांठ बनाने के जुगाड़ में लगे होते हैं टेंडर पास होने के बाद चाहे अधिकारी सेक्रेटरी हों या व्यवसाई सभी अंदर ही अंदर चांदी काटते मिलते हैं जब कुछ सीधे-साधे प्रधान पहुंचते हैं तो उनसे मनमानी तरीके से दाम वसूलकर हमेशा उन्हें कर्ज में ही डाल दिया जाता है एक ओर विभागीय दबाव और दूसरी ओर दुकानों का कर्ज जिसके लिए सेक्रेटरियों के द्वारा दबाव बनाकर उन्हें अधिकारी से जांच कराने की धमकी देकर भेंज दिया जाता है जिससे वे अपने अंदर की बात किसी से कहने को विवश होते हैं अधिक कर्ज में होने के कारण आदिवासी क्षेत्रों के ग्राम प्रधान अपनी मोटरसाइकिल में पेट्रोल भराने को भी विवश होते हैं।
खंड विकास अधिकारी कार्यालय के सामने पेशाबघर में पड़ा कचरों का ढेर।
बभनी। खंड विकास कार्यालय के सामने एक पेशाबघर है जाहां ब्लाक परिसर के अन्दर इतने सफाईकर्मी होने के बावजूद इतने कचरे व गंदगी का अंबार पड़ा हुआ है जहां दस सेकेंड भी खड़ा होना दुभर हो जाता है जिसके वजह से लोग हमेशा परेशान रहते हैं ग्राम पंचायतों में इतने शौचालय बनवाए जाने के बावजूद कचड़ों से भरा पड़ा है।
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