जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से शकुन-अपशकुन की मान्यता क्यों?

धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से शकुन-अपशकुन की मान्यता क्यों?



प्राचीन काल से ही भारत में शकुन द्वारा शुभाशुभ विचार करके यात्रा या किसी नवीन कार्य के आरम्भ करने की परंपरा रही है। प्रकृति से प्राप्त संकेत ही शकुन का आधार हैं। अच्छी या बुरी किसी भी महत्वपूर्ण घटना से पूर्व प्रकृति में कुछ विकार उत्पन्न होता है। हमारे ऋषि मुनियों ने इन प्राकृतिक विकारों का अपने अनुभव के आधार पर शुभाशुभ वर्गों में वर्गीकरण किया वास्तव में शकुन स्वयं न तो शुभ हैं न अशुभ , ये केवल इष्ट अथवा अनिष्ट के सूचक मात्र हैं। किसी महत्वपूर्ण कार्य को आरम्भ करते समय या उसके लिए यात्रा पर जाते समय शकुन पर विचार किया जाता है। शुभ शकुन होने पर कार्यसिद्धि तथा अशुभ शकुन होने पर कार्य की हानि का संकेत मिलता है। प्राचीन राजा –महाराजा भी अपने दरबार में विद्वान शकुनी को महत्वपूर्ण स्थान देते थे तथा प्रत्येक कार्य से पूर्व उसका परामर्श लेते थे।

पुराणों में शकुन विचार

वेदों, स्मृतियों, पुराणादि धर्मशास्त्रों एवं फलित ज्योतिष शास्त्रों तथा धर्मसिन्धु में शुभ-अशुभ शकुनों के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई है। शकुन हेतु तुलसीकृत ‘रामाज्ञा-प्रश्न’ एवं ‘रामशलाका’ भी प्रसिद्ध हैं। शकुन के संबंध में प्रसिद्ध ग्रंथ वसंतराज शाकुन का कथन है-‘शुभाशुभज्ञानविनिर्णयाय हेतुर्नृणां यः शकुन अर्थात् जिन चिह्नों को देखने से ‘शुभ-अशुभ’ का ज्ञान हो-वह शकुन है। जिस चिह्न संकेत निमित्त द्वारा शुभ जानकारी मिले, वह शुभ शकुन और अशुभ जानकारी मिले, उसे अपशकुन कहते हैं।

भगवान् राम की बारात चढ़ने के समय शकुन होने से मंगल हुआ, ऐसा रामायण में उल्लेख मिलता है।

बनई न वरनत वनी बराता।
होइ सगुन सुन्दर शुभदाता।।
चारा चाषु वाम दिसि लेइ ।
मनहु सकल मंगल कहि देइ।।
दाहिन काग सुखेत सुहावा ।
नकुल दरसु सब काहू पावा ॥
सानुकूल बह त्रिबिध बयारी ।
सघट सबाल आव बर नारी ॥
लोवा फिरि फिरि दरसु देखावा ।
सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा ॥ मृगमाला फिरि दाहिनि आई ।
मंगल गन जनु दीन्हि देखाई ॥
छेमकरी कह छेम बिसेषी ।
स्यामा बाम सुतरु पर देखी ॥
सनमुख आयउ दधि अरु मीना।
कर पुस्तक दुइ बिप्र प्रबीना ॥

-रामचरितमानसाबालकांड 302/24

अग्नि पुराण के अनुसार शकुन दो प्रकार के होते हैं।

1.दीप्त शकुन
2.शांत शकुन

दीप्त शकुन
〰️〰️〰️〰️काल की सूक्ष्म गति को जानने वाले ऋषि मुनियों ने दीप्त शकुन का फल अशुभ व कार्य नाशक कहा है। दीप्त शकुन के छह भेद कहे गए हैं।

1 वेला दीप्त शकुन शकुन का विचार करते समय दिन में विचरने वाले प्राणी रात्री को तथा रात्रिचर प्राणी दिन में शकुन कारक हों तो वेलादीप्त शकुन कहा जाता है। शकुनकालीन लग्न या नक्षत्र पाप ग्रह से पीड़ित हो तो भी वेला दीप्त शकुन होता है।

2 दिग्दीप्त शकुन सूर्य जिस दिशा में स्थित हो उसे ज्वलिता ,जिस दिशा से आये हों उसे धूमिता तथा जिस दिशा में जाने वाले हों उसे अन्गारिणी कहते हैं। ये तीनों दिशाएँ दीप्त कही गयी हैं। दीप्त दिशा में होने वाले शकुन को दिग्दीप्त कहा गया है जिसका फल अशुभ व कार्य नाशक होता है।

3 देश दीप्त शकुन जंगली पशु-पक्षी का गाँव व शहर में तथा शहर के पालतू पशु-पक्षियों का जंगल में दिखना देश दीप्त शकुन है। शकुन यदि अशुभ स्थान पर दिखाई दे तो भी देश दीप्त शकुन होता है जिस का फल अशुभ कहा गया है।

4 क्रिया दीप्तशकुन कोई पुरुष,स्त्री या पशु पक्षी अपने स्वभाव के विरुद्ध आचरण करता हुआ दिखाई दे तो क्रिया दीप्त शकुन कहलाता है।

5 रुतदीप्त शकुन फटी हुई ,कर्कश एवम रोने की आवाज का सुनाई देना रुतदीप्त शकुन कहलाता है।

6 जाति दीप्त शकुन मांसाहारी प्राणियों का दर्शन जाति दीप्त शकुन कहलाता है जिसका फल कार्य की असफलता का सूचक है।

शांत शकुन
〰️उपरोक्त सभी दीप्त शकुनों से विपरीत शकुनों वाले सभी शकुन शांत शकुन होते हैं जिनका दर्शन या श्रवण कार्य में सफलता का संकेत देता है। दीप्त व शांत दोनों ही शकुन दिखाई दें तो कठिनता से कार्य सिद्धि समझनी चाहिए।

आगे हम शकुन अपशकुनो के विषय मे विस्तृत रूप से बता रहे है।

छींक संबंधित शकुन अपशकुन

1- यदि घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है तो कार्य में बाधा आती है।
अगर एक से अधिक बार छींकता है तो कार्य सरलता से संपन्न हो जाता है।

2- किसी मेहमान के जाते समय कोई उसके बाईं ओर छींकता है तो यह अशुभ संकेत है।

3- कोई वस्तु क्रय करते समय यदि छींक आ जाए तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है।

4- सोने से पूर्व और जागने के तुरंत बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।

5- नए मकान में प्रवेश करते समय यदि छींक सुनाई दे तो प्रवेश स्थगित कर देना ही उचित होता है।

6- व्यावसायिक कार्य आरंभ करने से पूर्व छींक आना व्यापार वृद्धि का सूचक होती है।

7- कोई मरीज यदि दवा ले रहा हो और छींक आ जाए तो वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है।

8- भोजन से पूर्व छींक की ध्वनि सुनना अशुभ मानी जाती है।

9- यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं। दूसरे प्रहर में सुनता है तो देह कष्ट, तीसरे प्रहर में सुनता है तो दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति और चौथे प्रहर में सुनता है तो किसी मित्र से मिलना होता है।

10- धार्मिक अनुष्ठान या यज्ञादि प्रारंभ करते समय कोई छींकता है तो अनुष्ठान संपूर्ण नहीं होता है।

कौवे से जुड़े शकुन अपशकुन

1- यदि किसी व्यक्ति के ऊपर कौआ आकर बैठ जाए तो उसेधन व सम्मान की
हानि होती है। यदि किसी महिला के सिर पर कौआ बैठता है तो उसके पति को गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है।

2- यदि बहुत से कौए किसी नगर या गांव में एकत्रित होकर शौर करें तो उस नगर या गांव पर भारी विपत्ति आती है।

3- किसी के भवन पर कौओं का झुण्ड आकर शौर मचाए तो भवन मालिक पर कई संकट एक साथ आ जाते हैं।

4- कौआ यदि यात्रा करने वाले व्यक्ति के सामने आकर सामान्य स्वर में कांव-कांव करें और चला जाए तो कार्य सिद्धि की सूचना देता है।

5- यदि कौआ पानी से भरे घड़े पर बैठा दिखाई दे तो धन-धान्य की वृद्धि करता है।

6- कौआ मुंह में रोटी, मांस आदि का टुकड़ा लाता दिखाई दे तो उसे अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है।

7- पेड़ पर बैठा कौआ यदि शांत स्वर में बोलता है तो स्त्री सुख मिलता है।

8- यदि उड़ता हुआ कौआ किसी के सिर पर बीट करे तो उसे रोग व संताप होता है। और यदि हड्डी का टुकड़ा गिरा दे तो उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

9- यदि कौआ पंख फडफ़ड़ाता हुआ उग्र स्वर में बोलता है तो यह अशुभ संकेत है।

10- यदि कौआ ऊपर मुंह करके पंखों को फडफ़ड़ाता है और कर्कश स्वर में आवाज करता है तो वह मृत्यु की सूचना देता है।

छिपकली से जुड़े शकुन अपशकुन

घरों में आमतौर पर पाई जाने वाली छिपकली भी जीवन में होने वाली कई घटनाओं के बारे में संकेत करती है।
किसी भी कार्य के वक्त घटित होने वाले प्राकृतिक व अप्राकृतिक तथ्य अच्छे व बुरे फल की भविष्यवाणी करने में सक्षम होते है॥

1- अगर छिपकली समागम करती मिले तो किसी पुराने मित्र से मिलन होता है। लड़ती दिखे तो किसी दूसरे से झगड़ा होता है और अलग होती दिखे तो किसी प्रियजन से बिछुडऩे का दु:ख होता है।

2- भोजन करते समय छिपकली का बोलना शुभ फलकारक होता है।

3- नए घर में प्रवेश करते समय गृहस्वामी को छिपकली मरी हुई व मिट्टी लगी हुई दिखाई दे तो उसमें निवास करने वाले लोग रोगी रहेंगे।

4- छिपकली किसी व्यक्ति के सिर अथवा दाहिने हाथ पर गिरे तो सम्मान तो मिलता है किंतु बाएं हाथ पर गिरती है तो धन हानि होती है।

5- यदि छिपकली किसी व्यक्ति के दाई ओर से चढ़कर बाईं ओर उतरती है तो उसे पदोन्नति और धन लाभ मिलता है।

6- यदि छिपकली पेट पर गिरती है तो अनेक प्रकार के उत्पात और छाती पर गिरती है तो सुस्वादु भोजन मिलता है।

7- घुटने पर गिरकर सुख प्राप्ति की सूचना देती है छिपकली।

8- स्त्री की बाईं बांह पर छिपकली गिरे तो सौभाग्य में वृद्धि और दाहिनी बांह पर गिरे तो सौभाग्य की हानि होती है।

9- यदि किसी के दाहिने गाल पर छिपकली गिरे तो उसे भोग-विलास की प्राप्ति होती है। बाएं गाल पर गिरे तो स्वास्थ्य में विकार उत्पन्न होते हैं।

10- यदि छिपकली नाभि पर गिरे तो पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। गुप्त अंगों पर गिरे तो रोग की संभावना होती है।

वर्षा संबंधित शकुन अपशकुन
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मेदिनीय ज्योतिष में भी शकुन अपना विशेष महत्व रखते हैं। वर्षा होगी या नहीं होगी, कम होगी या अधिक होगी इस प्रकार की भविष्य वाणियां भी शकुनों के आधार पर की जाती हैं कुछ उदाहरण निम्न हैं। यदि आसमान बादलों से घिरा हो व पालतू कुत्ता घर से बाहर न जाए, तो वर्षा का सूचक है। यदि आसमान में चील 400 फुट की ऊंचाई पर उड़ रही हो, तो भी वर्षा होने वाली होती है। यदि मकड़ी घर के बाहर जाला बनाए तो वर्षा ऋतु जाने का सूचक है। मेढकों की टर्रराहट वर्षा का संकेत है। मोर का नृत्य तथा शोर भी वर्षा का सूचक है।

कुत्ते के द्वारा शुभाशुभ शकुन विचारने का नियम

कुत्ता आज के जमाने में प्रत्येक घर में मिल जाता है,और सभी को पता है कि कुत्ता की अतीन्द्रिय जागृत होती है,किसी भी होनी अनहोनी को वह जानता है,अद्र्श्य आत्मा को देखने और किसी भी बदलाव को सूंघ कर जान लेने की क्षमता कुत्ते के अन्दर होती है,कुत्ते को दरवेश का दर्जा दिया गया है,समय असमय को बताने में कुत्ता अपनी भाषा में इन्सान को बताने की कोशिश करता है,और जो कुत्ते की भाषा को समझते है,वे अनहोनियों से बचे रहते है,और जो मूर्ख होते है,और अपने को जबरदस्ती हानि की तरफ़ ले जाना चाहते है वे उसकी भाषा को बकवास कह कर टाल देते है,कुत्ता अगर यात्रा के शुरु करते ही किसी कचडे पर पेशाब करता है,तो जान लीजिये कि यात्रा या शुरु किया जाने वाला कार्य सफ़ल है,यदि किसी सूखी लकडी पर पेशाब करता है,तो भौतिक धन की प्राप्ति होती है,अगर कुत्ता कांटेदार झाड पर,पत्थर या राख पर पेशाब करने के बाद काम शुरु करने वाले के आगे चल दे तो वह कार्य खराब हो जाता है,यदि कुत्ता किसी कपडे को लाकर सामने खडा हो तो समझना चाहिये कि कार्य सफ़ल है,यदि कुत्ता कार्य शुरु करने वाले के पैर चाटे,कान फ़डफ़डाये,अथवा काटने को दौडे तो समझना चाहिये कि सामने काफ़ी बाधायें आ रही है,यदि कुत्ता यात्रा के समय या काम शुरु करने के समय अपने शरीर को खुजलाना चालू कर दे तो जान लेना चाहिये के वह कार्य करने अथवा यात्रा पर जाने से मना कर रहा है।

यदि कुत्ता किसी कार्य को शुरु करते वक्त या यात्रा पर जाते वक्त चारों पैर ऊपर की तरफ़ करके सोये तो भी कार्य या यात्रा नही करनी चाहिये,यदि गली मोहल्ले के आवारा कुत्ते किसी भी समय ऊपर की तरफ़ मुंह करके रोना चालू करें तो समझना चाहिये कि उस गली या मोहल्ले के प्रमुख व्यक्ति पर कोई मुशीबत आने वाली है,यात्रा करने के साथ या काम करने के साथ कुत्ते आपस में लड पडें तो भी काम या यात्रा में विघ्न पैदा होता है,कुत्ते के कान फ़डफ़डाने का समय सभी कामों के लिये त्यागने में ही भलाई होती है,कुत्ता अगर बैचैन होकर इधर उधर भागना चालू करे,तो समझना चाहिये कि कोई आकस्मिक मुसीबत आ रही है, किसी बात को सोचने के पहले या धन खर्च करते वक्त अगर कुत्ता अपनी पूंछ को पकडने की कोशिश करता है,तो मान लेना चाहिये कि आपने अपने भविष्य के लिये नही सोचा है और खर्च करने के बाद पछताना पडेगा, कुत्ता अगर सुबह के समय लान या बगीचे में घास खा रहा हो तो समझ लेना चाहिये कि घर के अन्दर जो खाना बना है उसमे किसी प्रकार इन्फ़ेक्सन है, कुत्ता अगर जूता लेकर भाग रहा हो तो समझना चाहिये कि वह बाहर जाने से रोक रहा है, लडकी के अपने ससुराल जाने के वक्त अगर कुत्ता रोना चालू कर दे तो समझना चाहिये कि लडकी को ससुराल से वापस आने में संदेह है।

कुत्ता अगर मालिक के पैर के पास जाकर सोना चालू कर दे तो समझना चाहिये कि घर में किसी सदस्य के आने का संकेत है, कुत्ता अगर अपने खुद के पैर चाटना चालू करे तो यात्राओं की शुरुआत समझनी चाहिये, कुत्ता अगर एकान्त में बैठना चालू कर दे और बुलाने से आने में आनाकानी करे तो समझना चाहिये कि घर मे किसी सदस्य के लम्बी बीमारी में जाने का संकेत है, कुत्ता अगर पूंछ नीचे डालकर मुख्य दरवाजे के पास कुछ खोजने का प्रयत्न कर रहा हो तो समझना चाहिये कि कोई कर्जा मांगने वाला आ रहा है,कुत्ता अगर भोजन करते वक्त बार बार बाहर और अन्दर भाग रहा हो तो समझना चाहिये कि भोजन और कोई करने आने वाला है।

कुछ अन्य ”शुुभ शकुुन” की विस्तृत व्याख्या
〰️ ”ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर। दूध, फल, फूल व वेद ध्वनि का सोर॥ अन्न, सिंहासन, जल, कलश, पशु एक बधन्त। न्योला चापा, मछली और अग्नि प्रज्वलंत॥ छाता, वैश्या, पगड़ी, अंजन, ऐना, शस्त्र। कन्या, रत्न, स्त्री, धोबी धोया वस्त्र॥ घृत मिट्टी अस्त्र शहद, मदिरा वस्त्र श्वेत। गोरोचन सरसों अमिष, गन्ना खज्जन भेद॥ बिन रोदन मुर्दा मिले, पालकी भरदुल गीत। ध्वज अकुंश बकरा पडे़, सम्मुख अपना गीत॥ बालक संग स्त्री मिले, नौ बेटा बैल सफेद। साधु सुधा सुरतर-पड़े, सम्मुख चारों वेद ॥ कूड़ा से भरी टोकरी जो सम्मुख पडंत। पाछे घट खाली पड़े, निश्चय काज बनंत। । प्रिय वाणी कानों पड़े, सम्मुख वाहन भार। कह कवि ये शुभ शकुन यात्रा चलती बार॥

अर्थात्👉 ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर, दूध, दही, फल, फूल, कमल, वेदध्वनि, अन्न, सिंहासन, जल से भरा कलश, बंधा हुआ एक पशु, न्योला, चापा (चाहा पक्ष) मछली, प्रज्वलित अग्नि, छाता, वैश्या, पनाली, अंजन, ऐना, शस्त्र, रत्न, स्त्री, कन्या, धुले हुए वस्त्र सहित धोबी, घी, मिट्टी, सरसों, मांस, गन्ना, खज्जन पक्ष, रोदन रहित मुर्दा, पालकी, भारद्वाज पक्षी, ध्वजा, अंकुश, बकरा, अपना प्रिय मित्र, बच्चे के सहित स्त्री, गाय या गोह के सहित बछड़ा, सफेद बैल, साधु, अमृत, कल्पवृक्ष चारों वेद, शहद, शराब, गोरोचन आदि में से कुछ भी सम्मुख पड़े या कूड़े से भरी टोकरी, प्रिय वाणी या सामान से लदा वाहन यदि यात्रा के वक्त सम्मुख पड़ जाए तो निश्चय ही इच्छा पूर्ति का संकेत करते हैं। खाली घड़ा पीठ पीछे हो तो अच्छा हे ।
ये शुभ शकुन हैं।

”नीलकण्ठ छिक्कर-पिक्कर वानर कौवी भालु। जै कुकर दाएं पड़े तो सिद्ध होय सब काजु॥ अर्थात् नीलकण्ठ छिक्कर नामक विशेष मृग, पिक्कर पक्षी, कौवी (स्त्री संज्ञक) भालू व कुत्ता यदि दाएं हाथ पर पड़े तो कार्य सिद्ध होता है। मृग बाएं ते दाहिने जो आवे तत्काल। बाएं गर्दभ रेकंजा सिद्धि होय सब काज॥ अर्थात् यदि हिरण बायीं तरफ से रास्ता काटकर दायीं तरफ आ जाए या बायीं तरफ गधा बोलना प्रारंभ कर दे तो शुभ शकुन है।

शुभ और अशुभ शुकुन

खड़ा कोबरा, सूकरा, जाहक, कछुआ, गोह। ये शब्द कानों पड़े निश्चय कारज होय॥ पर दर्शन हो जाएं तो महाअशुभ होय। अतिहि कु शकुन जानिये काट सके ना कोय॥ अर्थात् यदि खरगोश, सर्प, सूअर, जाहक, पशु, कछुआ व गोह के शब्द कानों में पड़े तो अत्यंत शुभ शकुन समझें। परंतु यदि ये प्रत्यक्ष सामने पड़ जाएं तो महा अशुभ हैं। बानर, भालु दर्शन भले, नाम के सुनते हानि। कह कवि विचार के तब आगे करौ पदान॥

अर्थात् यदि वानर भालू यात्रा आरंभ वक्त आगे जाए तो उत्तम शकुन है परंतु यदि इनका नाम कानों में पड़े तो अपशकुन का द्योतक है।

अपशकुन विचार
〰️〰️〰️〰️〰️” दांए गर्दभ शब्द हो, सम्मुख काला धान्य। टूटी खाट आगे मिले तो बहुत हानि॥ कूकूर लोटे भुम्म पर, अथवा मारे कान। पांच भैंस सम्मुख पड़ें, निश्चय होवे धन॥ एक अजाः नौ स्त्री, बिल्ली दो लड़न्त। छह कुत्ता आगे पड़ें, नहीं बात में तंत॥ तीन गाय दो बानिया, एक बछड़ा एक शूद्र। हाथी सात सम्मुख पडं़े, निश्चय बिगड़े बुद्धि॥ भैंसा पर बैठा हुआ, मनुष्य सम्मुख होय। निश्चय हानि होयेगी, बचा सके ना कोय ॥ जननी का तिरस्कार होय या हो अकाल वृष्टि। क्षत्री चार सम्मुख पडे, निश्चय महाअनिष्ट ॥ तीन विप्र बैरागिया, सन्यासी केश खुलंत। भगवा व स्त्री सम्मुख पड़े, निश्चय कारण अंत॥ बंध्या, रजः, रजस्वला, भूसा हड्डी चामं। अंधा, बहरा, कूबड़ा विधवा लगड़ा पांव ॥ ईंधन लक्कड़ उन्मादिया, भैंसा दो लड़ंत। गुंड, मट्ठा, कीचड़ पड़े सम्मुख छींक हुवंत ॥ हिजड़ा विष्ठा तेल जो, मालिश तेल मनुष्य। अंग भंग नंगा पतित रोगी पूरा सुस्त॥ गंजा भिजे वस्त्र सों, चर्बी शत्रु सांप। नमक औषधि गिरगिरा कुटंबी झगड़े आप ॥ कटु बचन सम्मुख पड़े, जौ यात्रा चलती बार। कह कवि हानि महा बिगड़े सारे काज॥

अर्थात्👉
〰️〰️〰️ यदि यात्रा के समय गधा दायीं तरफ बोले या कोई सामने से टूटी खाट लाता हुआ मिले कारज भंग होता है। यदि कुत्ता भूमि पर लेटे या कान फड़फड़ाये, पांच भैंस सामने आये, एक बकरी नौ स्त्री, दो बिल्ली लड़ती हुई, छः कुत्ते, तीन गाय, दो वैश्य, एक बैल एक शूद्र, सात हाथी, या भैंसे पर बैठा हुआ व्यक्ति यदि सम्मुख पड़े तो अपशकुन का सूचक है।
यात्रा में चलते समय जननी का तिरस्कार करे या अकाल वर्षा हो, चार क्षत्रिय, तीन ब्राह्मण बैरागी, सन्यासी, खुले केशों वाला गेरूरा वस्त्र धारण करने वाला सम्मुख पड़ जाए तो अपशकुन है। इसी प्रकार बांझ औरत, स्त्री का रज, रजोवती स्त्री, भूसा, हड्डी, चमड़ा, अंधा, बहरा, कूबड़ा, विधवा स्त्री, जलाने वाली लकड़ी, उपला, पागल, गुड़, मट्ठा कीचड़ सामने आये, दो भैंसे लड़ते हुए, नपुसंक, विष्ठा, तेल मालिश किये आदमी, अंग भंग, नंगा नीच पुरुष, दीर्घ रोगी, गंजा भीगे वस्त्रों में, चर्बी, सर्प, शत्रु, नमक, औषधि, गिरगिट सामने आ जाए, अपने ही कुटुंबी सामने लड़ते हों, सामने कोई छींक दे या यात्रा के वक्त अप्रिय बचन सुनाई पड़ें तो अपशकुन कुुछ अन्य शकुुन अपशकुुन जो पशु पक्षियों द्वारा होते हैैं शकुनों में कौवा, छिपकली व अन्य पशु पक्षियों का विचार किया जाता है। काक स्पर्श व छिपकली के गिरने को अशुभ समझा गया है। यदि कौआ अचानक शोरगुल करे या किसी के सिर पर बैठे तो आर्थिक हानि दर्शाता है। यदि स्त्री के सिर पर बैठे तो पति को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। संध्या के समय मुर्गों की ध्वनियां महामारी दर्शाती हैं। जब मछलियां जल की सतह पर छलांग मारें, मेढक टर्र-टर्र करे, बिल्ली भूमि खोदे, चीटियां अपने अंडों को स्थानांतरित करें, सांपों का जोड़ा व पशु आकाश की ओर देखे, पालतू पशु बाहर जाने से घबराएं तो तुरंत ही वर्षा होती है यदि रात्रि में दीपकीट दिखाई दे, कीड़े या सरीसृप घास के ऊपर बैठें तो भी तत्काल वर्षा होती है। यदि वर्षा ऋतु के दौरान सायंकाल में गीदड़ों की चिल्लाहट सुनाई दे तो बिल्कुल वर्षा नहीं होती। मांसभक्षी पशु-पक्षी, का दिखाई देना अशुभ व शाकाहारी पशु, पक्षी प्रायः शुभ शकुन का संकेत देते हैं। ज्योतिष में शकुनों अपशकुनों का विशेष विचार प्रश्न आदि में किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि किसी काम की सफलता के लिए मन में उत्साह, आशा, धैर्य और पूर्ण आत्मविश्वास होना ही चाहिए। इसमें कमी आने से अपेक्षित एकाग्रता, श्रमशीलता एवं तत्परता घट जाएगी परिणामस्वरूप सफलता की संभावना में भी कमी आएगी। शुभ-अशुभ शकुनों में विश्वास करने से हाने जीवन मे हिने वाली घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है वही मन मे वहम होना एक नुकसान भी है मन अकारण ही आशंकित और आतंकित हो जाता है, जिससे असफलता के बीज पनपने लगते हैं और भली प्रकार प्रयास न कर पाने के कारण सफलता नहीं मिलती। स्मरणीय है कि अपशकुन हमें तभी याद आते हैं, जब हमको किसी कार्य में असफलता मिलती है। यदि पहले ही उस विषय मे विचार किया जाए तो शायद कार्य असफलता हो ही ना सफलता या असफलता का मिलना हमारी योग्यता या अयोग्यता का भी परिचायक है। हिन्दुओं में आज तक पुरुष के दाहिने और स्त्रियों के बाएं अंग फड़कने को शकुन मानते हैं और पुरुष के बाएं और स्त्रियों के दाएं अंग फड़कने को अपशकुन समझते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह नाड़ियों में रक्तप्रवाह के कारण ही अंगों में फड़कन महसूस होती है, जिसका किसी शकुन अपशकुन के साथ कोई संबंध नहीं होता। छींक आना शरीर-विज्ञान के मतानुसार एक सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो श्वास नली में अवरोध आने पर उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप आया अवरोध एकाएक दूर हो जाता है। इसके अलावा हानिकारक वायुमंडल के कण जब नाक के अंदर और श्वास नली में जमा होकर अवरोध पैदा करते हैं तो छींक रूपी प्राकृतिक उपाय से शरीर की रक्षा ही होती है। यदि यह हानिकारक गंदगी छींक के माध्यम से बाहर न हो तो मानसिक तनाव, चक्कर आना जैसे बुरे प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं। इसलिए छींक आना स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभप्रद ही है। इसी प्रकार आंख का फड़कना शुभ या अशुभ माना जाता है, जो शरीर विज्ञान के अनुसार रक्त की अनियमितता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है । रक्त प्रवाह में रुकावट और उसका दूर होना ही फड़कन का अनुभव देता है। इसलिए विज्ञान को मानने वाले जहां तक हो सके, इन अपशकुनों के चक्कर में पड़ने से बचने और कर्म में विश्वास करने की सलाह देते है जबकि कुछ ज्योतिष एवं शकुन शास्त्र के ग्रंथो और हमारी पौराणिक धार्मिक मान्यताओं अनुसार व्यक्ति के जीवन मे हर छोटी से बड़ी घटना भविष्य में होने वाली किसी न किसी अन्य घटना से जुड़ी है वैज्ञानिक मान्यता से चलने वाले लोग इन्हें भले ही पाखंड या अंध विश्वास कहे लेकिन हमारी निजी सोच एव अनुभव के आधार पर ये सभी शकुन अपशकुन किसी विशेष परिस्थिति में ही क्यो घटित होते है हर समय क्यो नही ये सबसे बड़ा विचारणीय विषय है।

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