
धर्म डेस्क।आपके दुख का कारण दुनिया से आपका बंधन है। पूरे संसार में सुख केवल आपको ठाकुरजी यानी श्रीकृष्ण ही दिला सकते हैं। भागवत कथा मर्मज्ञ राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवमूरत देव जी महाराज ने टेंकर मझौली मे आयोजित कथा के दौरान जीव जगत के बंधन और सुख-दुख के रहस्य को बताया।

श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर महाराज ने पुतना उद्धार एवं श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। आयोजन के पाचवें दिन हजारों की संख्या में भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया। भागवत कथा की शुरुआत भागवत जी की आरती और जगत कल्याण के लिए प्रार्थना की गई ।
कथा के दौरान महाराज जी ने कहा कि भगवान जो भी लीला करते हैं वह अपने भक्तों के कल्याण या उनकी इच्छापूर्ति के लिए करते हैं। श्रीकृष्ण ने विचार किया कि मुझमें शुद्ध सत्वगुण ही रहता है, पर आगे अनेक राक्षसों का संहार करना है। इसलिए ब्रज की रज के रूप में रजोगुण संग्रह कर रहे हैं। पृथ्वी का एक नाम ‘रसा’ है। श्रीकृष्ण ने सोचा कि सब रस तो ले चुका हूं अब रसा (पृथ्वी) रस का आस्वादन करूं। पृथ्वी का नाम ‘क्षमा’ भी है। माटी खाने का अर्थ क्षमा को अपनाना है। भगवान ने सोचा कि मुझे ग्वाल-बालों के साथ खेलना है, किंतु वे बड़े ढीठ हैं। खेल-खेल में वे मेरे सम्मान का ध्यान भी भूल जाते हैं। कभी तो घोड़ा बनाकर मेरे ऊपर चढ़ भी जाते हैं। इसलिए क्षमा धारण करके खेलना चाहिए। अत: श्रीकृष्ण ने क्षमारूप पृथ्वी अंश धारण किया।
पृथ्वी ने गाय का रूप लेकर पुकारा तो आए श्रीकृष्ण
भगवान ब्रजरज का सेवन करके यह दिखला रहे हैं कि जिन भक्तों ने मुझे अपनी सारी भावनाएं व कर्म समर्पित कर रखे हैं वे मेरे कितने प्रिय हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों की चरणरज मुख के द्वारा हृदय में धारण करते हैं। पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। अत: उसका कुछ अंश द्विजों (दातों) को दान कर दिया। गोपबालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी ‘मा ! कन्हैया ने माटी खायी है।’ ‘बालक माटी खायेगा तो रोगी हो जायेगा’ ऐसा सोचकर यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। उन्होंने कान्हा का हाथ पकड़कर डांटा। मां के डांटने पर जब श्रीकृष्ण ने अपना मुंह खोला तो उसमें पूरी सृष्टि ही नजर आने लगी।
यह आयोजन टेकर मझौली तेजा फाऊंडेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट महेंद्र प्रसाद तिवारी सरोज तिवारी के द्वारा किया जा रहा है जिसमे पावन सानिध्य आचार्य रामभरोसे जी महाराज (नेताजी) की है।
कथा श्रवण कर जय जयकार का उद्घोष कर सभी भक्तों ने करते हुए लिया कथा का आनंद।
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