पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट
*उज्जवल भविष्य हेतु नन्हे-मुन्ने संस्कारित शिक्षा से बढ़े
*राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्या भारती की पुस्तक “प्रारंभिक बाल्यावस्था, देखभाल और शिक्षा” का किया विमोचन*
*राज्यपाल ने आंगनवाड़ी प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया
*शिक्षा नीति को आंगनवाड़ी में लागू करने में काशी प्रथम होगी-मंत्री स्वाति सिंह
वाराणसी। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बीएचयू के साइंस फैकेल्टी में जिला प्रशासन एवं विद्या भारती के सहयोग से आयोजित आगनवाड़ी के तीन दिवसीय कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर, पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर राष्ट्रगान के साथ हुआ।
अपने संबोधन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में बहुत बल है। इसमें उसे 4 वर्ष, चार से पांच व 5 से 6 वर्ष की शिक्षा आंगनवाड़ी का पार्ट है। भारत का भविष्य करने के लिए नन्हे मुन्ने को संस्कारित शिक्षा से बढ़ाया जाए। मातृभाषा से सीख जल्दी होती है और नई शिक्षा नीति में इसका समावेश है। बच्चे को शुरुआती 8 वर्ष तक जो सिखाया जाता है उसका 80 फ़ीसदी सीख कर आदत में ढल जाती है। अतः प्रारंभिक शिक्षा अति महत्वपूर्ण है। आंगनवाड़ी में आने से पहले बच्चे ने घर में क्या देखा, क्या सुना, कैसा व्यवहार देखा, कैसे बात की वही सब लेकर आंगनवाड़ी में आता है और वैसा ही करता है। इसको आंगनवाड़ी में समझना होगा कि बच्चे में क्या क्वालिटी है तथा क्या कमी है, कमियों का पता भी लगाएं, फिर उसी अनुरूप अच्छा संस्कारवान बनाने का उसके साथ बात, व्यवहार, पढ़ाई, खेल आदि क्रियाकलाप करें। राज्यपाल ने कहा कि संसाधनों की कमी नहीं है। आंगनवाड़ी केंद्र को अनुपमशाला बनाएं। पर्वों, त्योहारों पर उसके अनुरूप राखी बनाना, राष्ट्रीय पर्व पर महापुरुषों की वेशभूषा में सजाना आदि कार्यों को प्लानिंग कर करें और संकल्प के साथ करें। इसका बहुत अच्छा असर होगा। प्राइमरी टीचर विशेषकर फाउंडेशन बनाने वाले की बच्चा बड़ा होकर चाहे वह बिजनेसमैन बने, अधिकारी बने, कोई बड़ा स्तर प्राप्त करें वह टीचर सदैव उसे याद रहता है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आंगनवाड़ी के बच्चों को टूर नहीं गांव में ही टूर कराने जिसमें पंचायत भवन, पोस्ट ऑफिस, गांव का बाजार आदि दिखाने का सुझाव दिया। इससे बच्चों में देखकर वहां काम करने की उत्सुकता होगी। जिसे पूछ कर सवाल-जवाब की वार्ता करें। गांव के गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात कराएं। बच्चों की उम्र के अनुरूप सरल योगा के क्रियाकलाप जिसमें अच्छे से बैठना, हाथ पैर ऊपर नीचे करना आदि कराये। इससे अच्छी आदत पड़ेगी। खेल, खिलौना, प्रदर्शनी कीट आदि के माध्यम से भाषा, गणित, विज्ञान, रंगो, अंकों का ज्ञान कराएं। पर्यावरण, संयुक्त परिवार, राष्ट्रप्रेम, अच्छी सीख विषयक बाल कहानियां रोचक ढंग से सुनाएं और उन्हें बच्चों के सुनने, पूछने व बोलने की सहभागिता कराएं। उन्होंने गुजरात में अपने मंत्रिमंडल के दौरान के आंगनवाड़ी के सुधार हेतु किए गए अनुभव को भी साझा किया और बताया कि गुजरात में अच्छे कार्य करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों वहां के डीएम को हजारों रुपए की नगद धनराशि से पुरस्कृत किया गया। इसके लिए माता यशोदा अवार्ड दिया जाता है।
आनंदी बेन पटेल ने कहा कि कार्य की गुणवत्ता व सुधार के लिए प्रशिक्षण बहुत उपयोगी होता है। सभी आंगनवाड़ी से ध्यान से सीखे जो अच्छे से सीखे लेंगे, वह ट्रेनर बन सकेंगे। उन्हें दूसरे जिलों एवं राज्यों में भी मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य करने का अवसर मिल सकता है। इस अवसर पर उन्होंने विद्या भारती द्वारा बाल शिक्षा हेतु तैयार की गई पुस्तिका
“प्रारंभिक बाल्यावस्था, देखभाल और शिक्षा” का विमोचन किया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पुस्तिका में बाल शिक्षा के बहुत महत्वपूर्ण, रोचक, उपयोगी सामग्री का समावेश है, जो संस्कारित शिक्षा के लिए बहुत उपयोगी होगी।
कार्यक्रम में उपस्थित उत्तर प्रदेश की मंत्री स्वाति सिंह ने राज्यपाल महोदय का अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह व पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। अपने संबोधन में मंत्री स्वाति सिंह ने कहा कि विद्या भारती के साथ आगनवाड़ी का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्यपाल महोदया की प्रेरणा से हो रहा है। सेवापूरी ब्लॉक में आंगनवाड़ी का कार्य की सराहना करते हुए उन्होंने कहा यह पूरे प्रदेश के लिए अनुकरणीय हो रहा है। उन्होंने कहां की यह प्रशिक्षण उपयोगी होगा और नई शिक्षा नीति लागू करने में काशी प्रथम होगी। उन्होंने आगनवाड़ी कार्यकत्रियों से अपेक्षा भी की वह जैसे अपने बच्चों के साथ रहती हैं, उसी भावना के साथ आंगनवाड़ी के बच्चों के साथ उन्हें संस्कारित, अच्छे भाव व शिक्षा दें। इस अवसर पर शिक्षा भारती के पदाधिकारी गण व विभागीय अधिकारी गण तथा लगभग 350 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।