धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से सूर्य के साथ गोचर ग्रहों का जातक पर प्रभाव और उपाय…..
जन्म कुन्डली में स्थापित सूर्य पर समय समय पर जब ग्रह गोचर से विचरण करते है,उसके बाद जो बाते सामने आती है,वे इस प्रकार से है।
सूर्य का सूर्य के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के सूर्य के साथ गोचर करता है,तो जातक के पिता को बीमारी होती है,और जातक को भी बुखार आदि से परेशानी होती है,दिमाग में उलझने होने से मन खुश नही रहता है।
चन्द्रमा का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब चन्द्रमा गोचर करता है,तो पिता या खुद को अपमान सहन करना पडता है,कोई यात्रा भी हो सकती है।
मंगल का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब मन्गल गोचर करता है,तो जातक को रक्त विकार वाली बीमारियां हो सकती है,पित्त वाले रोगों का जन्म हो सकता है,भाई को सरकार या समाज की तरफ़ से कोई न कोई कष्ट होता है।
बुध का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर बुध जब गोचर करता है,तो पिता या खुद को भूमि का लाभ होता है,नये मित्रो से मिलना होता है,जो भी व्यापारिक कार्य चल रहे होते है उनमे सफ़लता मिलती है।
गुरु का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब गुरु गोचर से भ्रमण करता है,तो जातक को किसी महान आत्मा से साक्षात्कार होता है,जीवन की सोची गयी योजनाओं में सफ़लता का आभास होने लगता है,किसी न किसी प्रकार से यश और पदोन्नति का असर मिलता है,प्रतिष्ठा में भी बढोत्तरी होती है।
शुक्र का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब शुक्र गोचर करता है,तो जातक को धन की कमी अखरने लगती है,पत्नी की बीमारी या वाहन का खराब होना भी पाया जाता है।
शनि का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब शनि गोचर करता है,कार्य और व्यापार में असंतोष मिलना चालू हो जाता है,जो भी काम के अन्दर उच्चाधिकारी लोग होते वे अधिकतर अप्रसन्न रहने लगते है,धन का नाश होने लगता है,नाम के पीछे कार्य या किसी आक्षेप से धब्बा लगता है।
राहु का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब राहु गोचर से भ्रमण करता है,तो पिता या जातक को माया मोह की भावना जाग्रत होती है,पिता को या पुत्र को चोट लगती है,बुखार या किसी प्रकार का वायरल शरीर में प्रवेश करता है,किसी प्रकार से मीडिया या कम्प्यूटर में अपना नाम कमाने की कोशिश करता है,किसी भी काम का भूत दिमाग में सवार होता है,अक्सर शाम के समय सिर भारी होता है,पिता को या खुद को या तो शराब की लत लगती है,या फ़िर किसी प्रकार की दवाइयों को खाने का समय चलता है,किसी के प्रेम सम्बन्ध का भूत भी इसी समय में चढता है।
केतु का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य के साथ केतु का गोचर होने से जातक के अन्दर नकारात्मकता का प्रभाव बढने लगता है,वह काम धन्धा छोड कर बैठ सकता है,मन में साधु बनने की भावना आने लगती है,घर द्वार और संसार से त्याग करने की भावना का उदय होना माना जाता है,हर बात मे जातक को प्रवचन करने की आदत हो जाती दाढी और बाल बढाने की आदत हो जाती है,यन्त्र मन्त्र और तन्त्र की तरफ़ उसका दिमाग आकर्षित होने लगता है।
सूर्य का अन्य ग्रहों पर गोचर का मासिक प्रभाव
इसी प्रकार से सूर्य जब जन्म के अन्य ग्रहों के साथ गोचर करता है, तो मिलने वाले प्रभाव एक माह के लिये माने जाते है।
सूर्य का चन्द्रमा के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के समय के चन्द्रमा के ऊपर गोचर करता है,तो जातक या जातक के पिता की यात्रायें होती है,और धन की प्राप्तिया होने लगती है,जनता में किसी न किसी प्रकार से नाम का उछाल आता है,और जातक का दिमाग घूमने मे अधिक लगता है,सरकार और सरकारी कामो का भूत दिमाग मे हमेशा घूमा करता है राजनीति वाली बातो से मन ही नही भरता है।
सूर्य का मंगल के साथ गोचर
इसी तरह से सूर्य जब जन्म के मन्गल के ऊपर विचरता है तो जातक का दिमाग जिद्दी होने लगता है,कार्य के स्थान में परेशानिया आने लगती है,पुत्र को चोट लगने की पूरी पूरी सम्भावना होती है,मानसिक तनाव के चलते कोई काम नही बन पाता है,स्त्री की राशि मे पति को क्रोध की भावना बढने लगती है,और पति अपने ऊपर अधिक अभिमान करने लगता है,सरकारी लोगो से दादागीरी वाली बाते भी सामने आने लगती है,अगर जातक किसी प्रकार से पुलिस या मिलट्री के क्षेत्र में है तो कोई सरकारी छापा या रिस्वत का मामला परेशान करता है।
सूर्य का बुध के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के बुध के ऊपर गोचर करता है तो दोस्त सहायता में आ जाते है,पिता या पुत्र को जमीनी कामो में सफ़लता मिलने लगती है,पिता या पुत्र के काम बहिन बुआ या बेटी के प्रति होने शुरु होते हैं,दिमाग में व्यापार के प्रति सरकारी विभागों के काम आने लगते है,और इसी बात के लिये सरकार से सम्पर्क वाले काम किये जाते है।
सूर्य का गुरु के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के गुरु के ऊपर गोचर करता है,तो एक माह के लिये जातक के अन्दर धार्मिकता की भावना का उदय होता है,किसी न किसी प्रकार का यश मिलता है,किसी न किसी प्रकार के धर्म के प्रति राजनीति दिमाग मे आने लगती है,परिस्थितियां अगर किसी प्रकार से अनुकूल होती है,तो काम के अन्दर बढोत्तरी और पदोन्नति के आसार बनने लगते है,मित्रो और सरकारी लोगो का उच्च तरीके से मिलन होने लगता है।
सूर्य का शुक्र के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के शुक्र के ऊपर गोचर करता है तो पिता को धन का लाभ होने लगता है,अविवाहितो के लिये पुरुष वर्ग के लिये सम्बन्धो की राजनीति चलने लगती है,स्त्री वर्ग के लिये आभूषण या जेवरात बनाने वाली बाते सामने आती है,सजावटी वस्तुओं को खरीदने और लोगो को दिखावा करने की बात भी होती है।
सूर्य का शनि के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के शनि के साथ गोचर करता है,तो पिता के कार्य मे किसी व्यक्ति के द्वारा बेकार की कठिनाई पैदा की जाती है,पिता और पुत्र के विचारों में असमानता होने से दोनो के अन्दर तनाव होने लगता है,सरकार से जमीन मकान या कार्य के अन्दर कठिनाई मिलती है,लेबर वाले कामो के अन्दर सरकारी दखल आना चालू हो जाता है,लेबर डिपार्टमेन्ट या उससे जुडे विभागों के द्वारा लेबरों के प्रति जांच पडताल होने लगती है,मकान का काम सरकारी हस्तक्षेप के कारण रुक जाता है।
सूर्य का राहु के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के राहु पर विचरण करता है,तो पिता को अपने कामो के अन्दर आलस आना चालू हो जाता है,कार्य के अन्दर असावधानी होने लगती है,और परिणाम के अन्दर दुर्घटना का जन्म होता है,किसी न किसी के मौत या दुर्घटना के समाचार मिलते रहते है,स्वास्थ्य में खराबी होने लगती है,किसी न किसी प्रकार से शमशानी या अस्पताली या किसी भोज मे जाने की यात्रा करनी पडती है।
सूर्य का केतु के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के केतु के साथ गोचर करता है तो जातक के अन्दर धार्मिकता आजाती है,वह जो भी काम करता है,या किसी की सहायता करता है तो उस काम मे राजनीति आ जाती है.सूर्य के साथ जब कोई ग्रह बक्री हो जाता है तो इस प्रकार के फ़ल मिलते है,मन्गल के बक्री होने पर उत्साह मे कमी आजाती है,शक्ति में निर्बलता मालुम चलने लगती है,पिता का चलता हुआ इलाज किसी न किसी कारण से रुक जाता है,बुध के बक्री होने से शिक्षा का काम रुक जाता है,चलता हुआ व्यापार ठप हो जाता है,किसी से किसी व्यापारिक समझौते पर चलने वाली बात बदल जाती है,गुरु के बक्री होने से अगर संतान पैदा होने वाली है,तो किसी न किसी प्रकार से गर्भपात हो जाता है,सन्तान की इच्छा के लिये यह समय बेकार सा हो जाता है,ह्रदय वाली बीमारियों का जन्म हो जाता है,शुक्र के बक्री होते ही कामवासना की अधिकता होती है,और शनि के बक्री होते ही जातक के अन्दर कार्य या अधिकार के लिये उतावलापन आजाता है।
सूर्य अरिष्ट शांति हेतु विशेष उपाय
जन्म कुंडली मे सूर्य यदि अशुभ भावो २, ७, ८ या १२ में स्थित हो अथवा नीच या शत्रुराशिगत होकर शनि, राहु, आदि क्रूर ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो जातक को अपनी दशा/अंतर्दशा में पिता, संतान संबंधित कष्ट, नेत्र कष्ट, सरकारी क्षेत्रो में विघ्न, राजनीति में हानि/लाभ, स्वास्थ्य में कमी, भाई-बंधुओ में बिगाड़, धन का अपव्यय आदि अशुभ फल होते है अशुभ फल निवारण हेतु निम्नलिखित शास्त्रोनुमोदित उपाय करने चाहिए।
१ शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से आरम्भ करके काम से कम बारह रविवार अथवा १ वर्ष एक समय बिना नमक का भोजन करना चाहिए व्रत के साथ ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः का यथा शक्ति जप करें।
व्रत पूरे होने पर गेंहू, गुड़, ताम्र बर्तन, नारियल, लालवस्त्र, लाल मिठाई, स्वर्ण एवं लाल गाय यथा सामर्थ दान करना चाहिए।
२ शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से विधिपूर्वक ॐ घृणि सूर्याय नमः मंत्र बोलते हुए नहाने के जल में इलायची, केसर, देवदास, खस, जेठी मधु, पद्मनाभ, कमलगट्टा, लाल पुष्प, रक्त चंदन कुमकुम, कनेर का फूल, पाटला, नागरमोथा, ओर गंगाजल एवं अमलतास आदि मिला कर स्नान करने से लाभ होता है।
३ संक्रांति अथवा जन्मदिन के अवसर पर जातक के वजनानुसार गेंहू का तुलादान, गुड़ व दक्षिणा सहित संकल्पपूर्वक दान करना शुभ रहता है।
४ जन्म कुंडली मे सूर्य यदि तुला, धनु, कुम्भ आदि पुरुष राशि मे अशुभ होतो भगवान विष्णु, गणेश, महादेव, की आराधना से लाभ होता है तथा सूर्य यदि वृष, कर्क, कन्या आदि स्त्री राशि मे अशुभ हो तो माँ दुर्गा की पूजा लाभदायक रहती है।
५ शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से आरम्भ करके २१ रविवार रसोई में प्रथम ४ रोटी बनाकर गुड़ सहित कपिला गाय को खिलाने से लाभ होता है।
६ मस्तिष्क एवं नेत्र संबंधित रोगों में सूर्य नमस्कार सहित नेत्रोपनिषद अथवा चाक्षुषी विद्या का पाठ विशेष रूप से रविवार को पुष्य नक्षत्र या हस्त अथवा अन्य शुभ मुहूर्त में आरम्भ करके बारह रवि वार तक करने से लाभ होता है पाठ के बाद ॐ ह्रीं हंसः मंत्र का ३ या ५ माला जप करने से नेत्र रोग में लाभ एवं आर्थिक क्षेत्र में भी समृद्धि मिलती है।
७ प्रत्येक रविवार को गुड़ चने से बने चांवल, दलिया, लाल फल, मीठी रोटियां, जलेबिया, लालवस्त्र दक्षिणा सहित अंध विद्यालय में देना शुभ रहता है।
८ प्रत्येक रविवार को लाल एवं गुलाबी वस्त्र का प्रयोग करें लेकिन काले तथा नीले वस्त्र ना पहने इसके अतिरिक्त तामसी भोजन से परहेज करने पर लाभ होगा।
९ कुंडली मे सूर्य योगकारक हो तो महत्त्वपूर्ण कार्य का आरंभ सूर्य नक्षत्र कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ के समय अथवा सूर्य की होरा में करने से सफलता मिलती है।
१० गृह कलह में शांति के लिए रात को सोने से पहले रसोई आदि करके चले पर दूध के छींटे लगावें।
११ वैवाहिक सुख में सूर्य बाधा कारक हो तो लोक सेवा हेतु पानी का नल अथवा प्याऊ लगाना अथवा गौ सेवा करना शुभ रहता है
१२ रविवार को बिल्व वृक्ष की जड़ या केसर की जड़ लाल रेशमी वस्त्र में लपेटकर लाल डोरे में बांधकर सूर्य के बीज मंत्र से अभिमंत्रित कर गंगाजल के छींटे लगा कर दाई बाजू में बांधने से शांति मिलती है।
१३ कुंडली मे सूर्य-राहु जनित पितृ दोष होने पर अमावस ओर पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म, पीपल पूजन, ब्राह्मण भोजन, एवं दान संकल्प के साथ करने अथवा नारायण बलि-नागबलि आदि का अनुष्ठान करवाने से चमत्कारिक परिणाम मिलते है।
१४ खाना खाते समय सुवर्ण अथवा चांदी की चमच्च का प्रयोग शुभ रहता है।