जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से देवाधिदेव महादेव से जुड़े अदभुत रहस्य

धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से देवाधिदेव महादेव से जुड़े अदभुत रहस्य…..



१–शिवजी की अष्टमूर्तियों के नाम क्या हैं ?

२–मनुष्य केशरीरमें अष्टमूर्तियाँ कहाँ कहाँ हैं ?

३–अष्ट मूर्तियों के तीर्थ कहाँ – कहाँ हैं ?

(१) अष्टमूर्तियों के नाम :

भगवान शिव के विश्वात्मक रूप ने ही चराचर जगत को धारण किया है| यही अष्टमूर्तियाँ क्रमश: पृथ्वी, जल, अग्नि,वायु,आकाश, जीवात्मा सूर्य और चन्द्रमा को अधिष्ठित किये हुए हैं | किसी एक मूर्ति की पूजा- अर्चना से सभी मूर्तियों की पूजा का फल मिल जाता है |
१———– शर्व
२————भव
३————रूद्र
४————उग्र
५————भीम
६————पशुपति
७————महादेव
८————ईशान

(२) मनुष्यों के शरीर में अष्ट मूर्तियों का निवास

१ आँखों में “रूद्र” नामक मूर्ति प्रकाशरूप है जिससे प्राणी देखता है

२ “भव ” ऩामक मूर्ति अन्न पान करके शरीर की वृद्धि करती है यह स्वधा कहलाती है।

३ “शर्व ” नामक मूर्ति अस्थिरूप से आधारभूता है यह आधार शक्ति ही गणेश कहलाती है।

४ “ईशान” शक्ति प्राणापन – वृत्ति को प्राणियों में जीवन शक्ति है।

५ “पशुपति ” मूर्ति उदर में रहकर अशित- पीत को पचाती है जिसे जठराग्नि कहा जाता है।

६ “भीमा ” मूर्ति देह में छिद्रों का कारण है।

७ “उग्र ” नामक मूर्ति जीवात्मा के ऐश्वर्य रूप में रहती है।

८ “महादेव ” नामक मूर्ति संकल्प रूप से प्राणियों के मन में रहती है।

इस संकल्प रूप चन्द्रमा के लिए
” नवो नवो भवति जायमान: ” कहा गया है ,
अर्थात संकल्पों के नये नये रूप बदलते हैं ||

(३) अष्टमूर्तियों के तीर्थ स्थल

१ सूर्य👉 सूर्य ही दृश्यमान प्रत्यक्ष देवता हैं|
सूर्य और शिव में कोई अन्तर नही है , सभी सूर्य मन्दिर वस्तुत: शिव मन्दिर ही हैं फिर भी काशीस्थ ” गभस्तीश्वर ” लिंग सूर्य का शिव स्वारूप है।

२ चन्द्र👉 सोमनाथ का मन्दिर है।

३ यजमान👉 नेपाल का पशुपतिनाथ मन्दिर है।

४ क्षिति लिंग👉 तमिलनाडु के शिव कांची में स्थित आम्रकेश्वर हैं।

५ जल लिंग👉 तमिलनाडु के त्रिचिरापल्ली में जम्बुकेश्वर मन्दिर है।

६ तेजो लिंग👉 अरूणांचल पर्वत पर है।

७ वायु लिंग👉 आन्ध्रप्रदेश के अरकाट जिले में कालहस्तीश्वर वायु लिंग है।

८ आकाश लिंग👉 तमिलनाडु के चिदम्बरम् मे स्थित है।

भवं भवानी सहितं नमामि

आप की माया आप को ही समर्पित है मुझ अज्ञानी में इतना सामर्थ्य कहाँ है जो आप की माया का वर्णन कर सकूँ।

ऊँ पूर्णं शिवं धीमहि

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