जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से माखन चोर……

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से माखन चोर……


.
एक दिन ठाकुर जी ने ग्वालबालो से कहा की आज तो हम प्रभा काकी के यहाँ माखन चोरी करने चलेंगे,
.
एक ग्वालियाँ ने कहा की लाला फिरतो आज हम एकादशी करेंगे, ठाकुर जी बोले क्यों ?
.
बोले लाला तुजे पता नही है प्रभा गोपी कैसी है .एक हाथ की कमर पे पड़ जावे तो पाच दिन तक गर्म नमक का सेक करना पड़ता है,
.
ठाकुर जी बोले तुजे कैसे पता ? बोले में उसका पति हु, भुगत भोगी हुँ..
.
ठाकुर जी बोले तू उसका पति है तो हमारी मण्डली में क्या कर रहा है ?
.
बोले मुझे भी खाने को कुछ देती नही तो मुझे भी तुम्हारी मण्डली में आना पड़ा,
.
ठाकुर जी कहते मेने तो आज जय कर लिया , में तो प्रबावती गोपिके यहाँ, जाऊंगा, सो जाऊंगा,
.
गोपियाँ मैया से शिकायत बहुत करती थी, तो मैयाने ठाकुर जी के पग में नुपुर पहना दिए, और गोपियाँ से कहा की जब मेरा लाला तुम्हारे यहाँ माखन चोरी करने आवे तो घुघरू की छम छम की आवाज आये तब तुम मेरे लाला को पकड लेना,
.
ठाकुर जी देखा की गोपिके घर के बाहर गोबर पड़ा है, ठाकूर जी उस गोबर में दोनों पैर डाल कर जोर जोर से कुदे तो घुंघुरु में गोबर भर गया, और आवाज आना बंद हो गयी,
.
अब ठाकुर जी धीरे-धीरे पाव धरते हुवे, दोनों हाथ मटकी में ड़ाल कर माखन खाने लगे, तो गोपी पीछे ही खड़ी थी, और पीछे से आकर ठाकुर जी को पकड़ा,
.
ऐ धम, ठाकुर जी बोले रे ये कौन आ गयी, पीछे मुड़के देखे तो गोपी ! ठाकुर जी बोले ओ गोपी तुम,
.
गोपी बोलि रे चोर कहिके चोरी करने आया, ठाकुर जी बोले मेने चोरी कहा की, नहीं में चोरी करने नही आया, मेतो मेरे घर आया,
.
गोपी बोली ये तेरा घर जरा देख ? ठाकुर जी ने ऐषी भोली सी सकल बनाई, और इधर उधर देख के बोले
.
अरे सखी क्या करू मुझे तो कुछ खबर ही नही पड़ति, क्या बताऊँ दिन भर गैया चाराता हु और श्याम को बाबा के साथ हथाई पे जाता हु, इतना थक जाता हु की मुझे तो खबर ही नही पड़ती, की मेरा घर कौनसा, तेरा घर कौनसा ….
.
कोई बात नही गोपी तू भी तो मेरी काकी है, तेरा घर सो मेरा घर, तेरा घर सो मेरा घर .
.
गोपी बोली रे कब से तेरा घर सो मेरा घर बोले जा रहा है, एक बार भी ये नही कहें की मेराघर सो तेराघर, बड़ा चतुर है, चोरी करता है ?
.
बोले सखी मेने चोरी नही की, गोपी बोली लाला अगर तेने चोरी नही की तो तेरे हाथो पे माखन कैसे लग गयो,
.
ठाकुर जी बोले सखी वोतो में भीतर आयो तो देखा की मटकी पे चीटिया चिपक रही है, तो मेने सोचा की मेरी मैया को सूजे ना है !
.
संध्या के समय मैया माखन के संग संग चीटिया न परोस देगी ! बाकि मेने खाया तो नही,
.
सखी बोली लाला तेने खाया नही तो तेरे मुख पे कैसे लग गयो ?
.
बोले सखी मेतो ठहरो सीधो पर एक चेटी तेरे जैसी चंचल थी, वो मेरे जंघा पे छड़ी, मेने कछुना कियो मेरे पेटपे छड़ी मेने कछुना कियो पर मेरे मुख ते छड़ी तो खुजली होने लगी तक खुजली करते हुए माखन मुह पे लग गयो, बाकि मेने खाया तो नहीं,
.
गोपी बोली.. आज में तोहे छोड़ ने वाली नही हु,
.
ठाकुर जी बोले सखी मोहे जाने दे, सखी मोहे छोड़ दे, सखी अब कभी चोरी नही करूँगा,
.
सखी तेरी कसम , सखी तेरे बाबा की कसम, सखी तेरे भैया की कसम, सखी तेरे फूफा की कसम सखी तेरे भुआ की कसम, सखी तेरे मामा की कसम, सखी तेरे खसम की कसम, अब कभी चोरी नही करूँगा ..
.
गोपी बोली रे मेरे रिश्तेदरो को ही मार रहा है, एक, दो, तो तेरे भी नाम ले,
.
ठाकुर जी की कोमल वाणी से गोपी को दया आ गई की छोटो सो लालो है सायद घर भूल गया होगा, और ठाकुर जी बच निकले, ऐसे है ये माखन चोर …

जय जय श्री राधे

Translate »