सोनभद्र। सूबे की योगी सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में पिछले तीन दिनों से बिजली विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियो द्वारा दोपहर 2 बजे शाम 5 बजे तक कार्य का बहिष्कार के आंदोलन को धार देने के लिए राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष ई.जी.बी. पटेल ने सोनभद्र पहुचकर आंदोलनकारियों का मनोबल बढ़ाया।

इस दौरान कार्य बहिष्कार कर रहे विद्युत कर्मचारियों से कहा कि 29 सितम्बर से दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक के मध्य 3 घण्टे का कार्य बहिष्कार किया जा रहा है। संघर्ष समिति द्वारा सरकार एवं प्रबन्धन को भेजी गई नोटिस में कहा गया कि यदि निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त नही किया जाता है 5 अक्टूबर से बिजलीकर्मी पूरे दिन का कार्य बहिष्कार करेंगे। वही राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि यह हमारी ही मांग नही बल्कि सभी जूनियर इंजीनियर व सम्पूर्ण विद्युत कमर्चारियों की एक ही मांग है कि आम सरोकारों से जुड़ा ,

किसानों , मजदूरों व छोटे और मध्यम वर्ग के व्यपारियो से जुड़ा हुआ विभाग जिसका एक – एक कर्मचारी सरकार के सभी लक्ष्यों को पूरा करके दिया है उसका निजीकरण मनमाने तरीके से किया जा रहा जिसका हम विरोध कर रहे है और पिछले तीन दिनों से दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक कार्य बहिष्कार किया जा रहा है अगर सरकार हमारी मांगो को नही मनाती है तो हम लोकतांत्रिक तरीके से कोविड 19 के नियमो का पालन करते अनिश्चित काल के लिए कार्य बहिष्कार करेंगे क्योंकि हम हमारी रोजी रोटी और बच्चो के भविष्य का सवाल है।
सोनभद्र में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों ने निजीकरण के किये जाने पर योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने सबसे पहले प्रतिदिन एक घण्टे का कार्य बहिष्कार किया फिर जनप्रतिनिधियो को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद मशाल जुलूस निकाल कर अपना विरोध दर्ज कराया वही लखनऊ में कुछ नेताओं के गिरफ्तार होने पर सभी जिलों में कर्मचारियों ने गिरफ्तारी देनी शुरू किया तो प्रदेश सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया। सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज जनपद के सभी बिजली कार्यालयों में दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक कुल तीन घण्टे का कार्य बहिष्कार किया। सरकार से मांग किया कि बिजली के निजीकरण को सरकार बन्द करें । पहले वितरण, ट्रांसमिशन, उत्पादन जब एक साथ थी तो घाटा 77 करोड़ का घाटा होता है। वर्ष 2000 तक बोर्ड था । जब से निजी करण किया गया तब से 95 हजार करोड़ घाता पहुंच गया है। सरकार इसकी समिक्षा नही करती है । अगर सरकार इसकी समिक्षा कर ले तो सरकार कभी निजीकरण नही करेगी ।
उत्तर प्रदेश में बिजली की लागत का औसत 07.90 प्रति यूनिट है और निजी कम्पनी द्वारा एक्ट के अनुसार कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने के बाद 09.50 रुपये प्रति यूनिट के कम दर पर बिजली नही मिलेगी। इस प्रकार एक किसान को लगभग 8000 रुपये प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओ को 8000 से 10000 रुपये प्रतिमाह तक बिजली बिल देना होगा। सरकार अभी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है , निजीकरण के प्रस्ताव अनुस्सर सरकार निजी कंपनियों को 5 साल से 7 साल तक परिचालन व अनुरक्षण के लिए आवश्यक धनराशि भी देगी।
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन के अध्यक्ष ई. जी.बी. पटेल ने कहा कि यह हमारी ही मांग नही बल्कि सभी जूनियर इंजीनियर व सम्पूर्ण विद्युत कमर्चारियों की एक ही मांग है कि आम सरोकारों से जुड़ा , किसानों , मजदूरों व छोटे और मध्यम वर्ग के व्यपारियो से जुड़ा हुआ विभाग जिसका एक – एक कर्मचारी सरकार के सभी लक्ष्यों को पूरा करके दिया है उसका निजीकरण मनमाने तरीके से किया जा रहा जिसका हम विरोध कर रहे है और पिछले तीन दिनों से दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक कार्य बहिष्कार किया जा रहा है अगर सरकार हमारी मांगो को नही मनाती है तो हम लोकतांत्रिक तरीके से कोविड 19 के नियमो का पालन करते अनिश्चित काल के लिए कार्य बहिष्कार करेंगे क्योंकि हम हमारी रोजी रोटी और बच्चो के भविष्य का सवाल है।
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