सोनभद्र- उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य और भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक केदार नाथ सिंह ने गत 18 फरवरी को 64 परिवारों की घनी बस्ती खाली कराने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।
जनपद मे उम्भा नरसंहार जैसी हो सकती जमीनी के विवाद मे अप्रत्याशित घटना।
इस जमीनी विवाद के मुख्य नायक होंगे वाराणसी स्नातक से MLC केदार नाथ सिंह।
एक रिपोर्ट
– उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन मीरजापुर नगर प्रखंड के जिलेदार (द्वितीय) ने गत 19 जून को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के अंदर मांगा जवाब। रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के ग्राम पंचायत बहुअरा में वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग किनारे 15 बीघा जमीन का मामला।
दो साल पहले 12 सितम्बर 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुआरा गाँव के विद्यालय में सभा को सम्बोधित भी कर चुके हैं। एमएलसी केदारनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री के मंच से की थी ग्राम पंचायत बहुअरा को गोद लेने की घोषणा। गांव को गोद लेने के बजाय गांव उजाड़ने की नोटिस भिजवा दिया।
एमएलसी के पत्र पर भेजी गयी नोटिस अंश देखे…
आपको सूचित किया जाता है कि आपके द्वारा सिंचाई विभाग की भूमि में ग्राम-बहुअरा के आराजी नं0-….में रकबा 0.037 पर कच्चा, पक्का मकान/जोत-कोड़ करके अतिक्रमण किया गया है जो कि अवैधानिक कार्य है। इस संबंध में यदि आपको कोई आपत्ति हो तो दिनांक 26.06.2020 को 10 बजे दिन कार्यालय जिलेदारी द्वितीय मिर्जापुर नहर प्रखण्ड रॉबर्ट्सगंज सोनभद्र में उपस्थित होकर अपनी सफाई पेश करें। अन्यथा मियाद गुजरने के बाद कोई आपत्ति नहीं सुनी जाएगी और यह समझा जाएगा कि उक्त घटना सत्य है तथा आपके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
मीरजापुर नहर प्रखंड के जिलेदार की ओर से निर्मल को भेजी गई नोटिस पढ़ा आपने?
बहुअरा बंगला स्थित बस्ती में निर्मल कोल और उनके जैसे करीब 64 परिवारों को नहर प्रखंड की ओर से नोटिस मिला है। वे कोरोना काल में कभी भी बेघर हो सकते हैं।
ग्राम पंचायत बहुअरा निवासी करीब 60 वर्षीय निर्मल कोल को यह नोटिस मिली है। आठ सदस्यीय परिवार के मुखिया निर्मल का कहना है कि वे परिवार के साथ यहां करीब सत्तर सालों से रह रहे हैं। हमारे पास कोई जमीन नही है। बाप-दादा यही मर गए। अब हम लोग कहां जाएंगे?
वही गाँव की उर्मिला का कहना है हमारे पास कोई जमींन नही है हम कहाँ जायेंगे । चाहे जो हो जाये हम मार जायेंगे यहाँ से नही जायेंगे ।
Byte – उर्मिला (ग्रामीण)
करीब-करीब बस्ती के सभी 64 परिवारों का हाल ऐसा ही है। नहर प्रखंड की नोटिस के बाद उन्हें बेघर होने का डर हर वक्त सता रहा है। प्रशासन की गाड़ियां बस्ती की ओर मुड़ते ही वे और उनका परिवार डर से कांप जाता है कि कहीं आज वे बेघर न हो जाएं? वे पूछते हैं कि दशकों से बाप-दादा के समय से जमी-जमाई गृहस्थी आखिर हम लोग लेकर कहां जाएंगे? हमारे पास कोई अन्य भूमि भी नहीं है। बस्ती के सभी 64 की हालत यही है।
और,यह हुआ है
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) केदार नाथ सिंह के एक पत्र से।
वाराणसी (स्नातक) निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी केदार नाथ सिंह उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक भी हैं। उन्होंने एमएलसी बनने के बाद ग्राम पंचायत बहुअरा में अपने बेटे अमित कुमार सिंह के नाम 2.692 हेक्टेयर (करीब 10.73 बीघा) और इससे सटे ग्राम पंचायत तिनताली में अपनी बहू प्रज्ञा सिंह की कंपनी ‘जीवक मेडिकल ऐंड रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से 0.253 हेक्टेयर (एक बीघा) खेती वाली जमीनें खरीदी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन दोनों जमीनों को ‘अकृषिक’ घोषित कर लगान से मुक्त कर दिया है जबकि ग्राम पंचायत बहुअरा वाली जमीन में अभी भी खेती हो रही है।
इतना ही नहीं,ABP News के हाथ लगे सुबूतों और सूचनाओं के मुताबिक, एमएलसी केदार नाथ सिंह ने पद का दुरुपयोग करते हुए विधायक निधि से अपनी बहू की कंपनी वाली भूमि के चारों ओर लाखों रुपये खर्च कर आरसीसी चकरोड, पक्की नाली, विद्युत लाइन, पुलिया आदि की व्यवस्था कराया है। तिनताली में प्रज्ञा सिंह की कंपनी की जमीन से सटे चकरोड पर विधायक निधि से कराए गए कार्य की फोटो ग्राम पंचायत बहुअरा में अपने बेटे अमित कुमार सिंह की जमीन तक विधायक निधि का करोड़ों रुपये खर्च कर तिनताली मोड़ से विद्युत लाइन पहुंचाई है। इस विद्युत लाइन की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है। उनके बेटे की जमीन को विद्युत लाइन से घेर दिया गया है। उसमें ट्रांसफॉर्मर की भी व्यवस्था की गई है। विधायक निधि से उनके बेटे की जमीन के बीच सरकारी हैंडपंप भी गड़ा है जिसके पास कोई घर तक नहीं है।
खैर, एमएलसी केदार नाथ सिंह ने गत 17 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार की समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) के माध्यम से मुख्यमंत्री को शिकायत कर ग्राम पंचायत बहुअरा स्थित उत्तर प्रदेश सरकार की 3.470 हेक्टेअर (करीब 15 बीघा) भूमि अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराकर बाउण्ड्री बनवाकर सरकारी प्रयोग के लिए सुरक्षित किए जाने की गुहार लगाई थी। अगले ही दिन उन्होंने अपने लैटर पैड पर उक्त शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में की।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, “वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर उत्तर प्रदेश सरकार की भूमि लगभग 15 बीघा स्थित है। इसे वहां के स्थानीय दबंगों द्वारा 10 रुपये के स्टाम्प पर सरकारी जमीन एक लाख से तीन लाख बिस्वा बेचकर अवैध रूप से कब्जा दिया जा रहा है। इसमें अधिकांश बाहरी मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। नौ बीघा जमीन परती खाली भूमि है। इस पर बाउंड्री बनवाकर सरकारी कार्य हेतु सुरक्षित कराया जाना जनहित में अति आवश्यक है।
वे आगे लिखते हैं, उपरोक्त भूखण्ड एसएच-5ए पर स्थित है जो कीमती है। यह उत्तर प्रदेश सरकार के नाम से दर्ज है। इसे अवैध कब्जा धारकों से मुक्त कराया जाना प्रशासनिक हित में है। जो लोग अवैध कब्जा किए हैं एवं जो लोग पैसा लेकर अवैध कब्जा करवाए हैं, उनसे भू-राजस्व की तरह वसूली एवं प्राथमिकी दर्ज कराया जाना आवश्यक है। इससे भविष्य में लोग उत्तर प्रदेश सरकार की जमीन कब्जा न कर सके। उन्होंने पत्र की प्रति सोनभद्र के जिलाधिकारी, प्रमुख सचिव (राजस्व) और विंध्याचल मंडल के आयुक्त को भी प्रेषित की।
मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष कार्याधिकारी आरएन सिंह ने 20 फरवरी को एमएलसी के पत्र पर मिर्जापुर के मंडलायुक्त से दो सप्ताह के अंदर जांच आख्या तलब की। मंडलायुक्त ने भी 22 फरवरी को सोनभद्र के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मामले की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। मामला एमएलसी से जुड़ा होने की वजह से सोनभद्र जिला प्रशासन ने तुरंत मामले की जांच का आदेश दे दिया।
रॉबर्ट्सगंज तहसील के उप-जिलाधिकारी ने तहसीलदार और क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक से मामले की जांच कराकर गत 6 मार्च को जांच आख्या जिलाधिकारी को प्रेषित की। ABP न्यूज़ के पास जांच आख्या की प्रति मौजूद है। इसमें लिखा है कि ग्राम बहुअरा के आकार पत्र-45 में कुल 19 गाटा (रकबा 3.7470 हे.) खाता संख्या-5 पर उत्तर प्रदेश सरकार (एनजेडए) के नाम से दर्ज है जिसका प्रबन्धन नहर विभाग के पास है। जांच आख्या में यह भी लिखा है कि मौके पर 64 परिवारों की घनी आबादी है। कुछ आराजी नंबर पर त्रिभुवन सिंह और किशुनलाल ने खेती की है। शेष चार बीघा रकबा रास्ता और गड्ढे के रूप में खाली है। तहसील प्रशासन ने शासन को यह भी सूचित किया है कि मामले में कार्यवाही के लिए संबंधित नहर विभाग को अलग से रिपोर्ट प्रेषित कर दी है।
फिलहाल नोटिस पाने वाले बस्ती के 64 परिवारों के मुखियाओं ने मिर्जापुर नहर प्रखंड के जिलेदार (द्वितीय) को लिखित जवाब भेज दिया है और उनसे नोटिस को वापस लेने और निरस्त करने की मांग की है। जवाब में बस्तीवालों ने लिखा है कि उनके द्वारा जारी नोटिस बिल्कुल अवैधानिक और साजिशन है। उन्होंने संबंधित नोटिस पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि नोटिस में आराजी संख्या और अतिक्रमण स्थल की चौहद्दी नहीं दी गई है। आपके द्वारा जारी नोटिस पर कोई विधिक कार्रवाई किया जाना महज पद का दुरुपयोग है।
अगर सरकारी धन पर 64 परिवारों की बस्ती के विकास की बात करें तो यहां सभी घरों में सरकारी विद्युत कनेक्शन दिया गया है। पूरी बस्ती तक आरएसीसी चकरोड का निर्माण कराया गया है। इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत यहां दर्जनों आवास बने हैं। अधिकतर घरों में सरकार की तरफ से शौचालय का निर्माण कराया गया है। यूं कहें कि उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा बस्ती के विकास में करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। अब सवाल उठता है कि अब तक सोनभद्र जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग का नहर प्रखंड क्यों सोता रहा? जिला प्रशासन ने बिना वैधानिक भूमि के इनके निर्माण को मंजूरी किस आधार पर दे दी?
मुख्यमंत्री से जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन होने की बात क्यो छिपाई?
फिलहाल उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन मीरजापुर नहर प्रखंड की ओर से विवादित खाली जमीन पर करीब 10 दिनों पहले बोर्ड लगा दिया गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि उसी दिन विभाग के अधिकारियों ने खाली पड़ी भूमि को ट्रैक्टर से जुताई भी कराया। बहुअरा की विवादित भूमि पर मीरजापुर नहर प्रखंड का बोर्ड भी लगा दिया |
ग्रामीणों की माने तो एमएलसी केदारनाथ सिंह ने बहुअरा गांव में लगभग 15 बीघा जमीन अपने बेटे बहू और पत्नी के नाम पर खरीदी है और अब उनकी नजर इस जमीन पर है जिसको देखते हुए उन्होंने पहले तो इस जमीन को खाली कराने के लिए यह कार्यवाही की है जबकि दूसरी तरफ ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि एमएलसी केदारनाथ सिंह ने अपने निधि के पैसे से अपने जमीन में सड़क बिजली पानी जैसी व्यवस्थाएं की हैं और इस जमीन पर भी वह कोई औद्योगिक प्लांट लगाना चाहते हैं।
बहुअरा गांव को गोद लेने के बाद जब एमएलसी को इस गांव के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह बताया कि यह सरकारी जमीन है और इस पर लोग अतिक्रमण करके घर मकान बनाकर रह रहे हैं जिसको देखते हुए जिला पंचायत की जमीन को नगर प्रखंड मिर्जापुर को हस्तांतरित कर दिया गया और अब नहर प्रखंड मिर्जापुर इस जमीन को खाली कराने की कार्यवाही कर रहा है जबकि ग्रामीणों में भी इस बात को लेकर दहशत है कि कब उनको अपना घर मकान छोड़कर बेघर होना पड़ेगा ।
हालांकि इस मामले में अपर जिलाधिकारी योगेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि एमएलसी केदारनाथ सिंह के द्वारा लिखे हुए पत्र के आधार पर यह जमीन ट्रांसफर कर नहर प्रखंड मिर्जापुर को दिया गया है और नहर प्रखंड मिर्जापुर के द्वारा वहां रह रहे लोगों को नोटिस दिया गया है क्योंकि यह सरकारी जमीन है इसलिए जल्द से जल्द इस जमीन को खाली कराया जाएगा और जो लोग भूमिहीन होंगे उनको कहीं और बसाने का प्रयास किया जाएगा ।
बरहाल यहां प्रश्न यह उठता है कि जब जमीन सरकारी थी तो जिला प्रशासन ने अतिक्रमण होने कैसे दिया और 12 सितम्बर 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुसहर बस्ती का निरीक्षण कराया और अन्य योजनाओं का उद्घाटन भी कराया क्यो ? आखिर मुख्यमंत्री से सच्चाई छिपाई क्यो गयी।