—- दीपक तले अंधेरा वाली कहावत सत्यार्थ
रामजियावन गुप्ता/बीजपुर (सोनभद्र)उर्जान्चल में सर्वाधिक लगभग 15000 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है और यहाँ की बिजली से देश का कोना कोना रौशन करती है। लेकिन दुर्भाग्य यह कि उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश , और छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे जनपद सोनभद्र का उर्जान्चल क्षेत्र जहाँ लगभग पाँच लाख की आवादी वाले इलाके के सैकड़ो गाँव आज भी ढिबरी युग मे जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। कहने को तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश मे बनी है तब से भारत का हर इंसान राम राज्य की कल्पना संजोए सुखद भविष्य की आस लगाए बैठा है। लेकिन दुखद स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसान , जवान , युवा , महिलाएं , सहित आम इंसान अपने अधिकार के लिए ही जद्दोजहद करता जीवन समाप्त कर रहा है। बात बिजली की है उर्जान्चल सर्वाधिक विद्युत उत्पादन वाला क्षेत्र है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि सरकार ने केरोसिन तेल बन्द कर दिया और लोग पूर्ण रूप से बिजली पर आधारित हो गए। लेकिन राम राज्य की कल्पना संजोए लोगों के सामने तब बिकट स्थिति पैदा हो गयी जब यहाँ की बिजली को हजारो किलो मीटर दूर तक पहुँचा कर शहरों गाँवो को रौशन करने के लिए सरकार तमाम जुगत लगा रही है और यहाँ के ग्रामीण आज भी अंधेर में जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। सरकार और बिजली बिभाग के दोहरे रवैया से किसान , ब्यवसाई, रहवासी , सहित आम जन बिजली कटौती , ओवरलोड, महीनों तकनीकी खराबी , के कारण आज भी अंधेरे में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं।
इनसेट :- (बीजपुर) देश मे सेना हो ,सरकार हो , आपदा विभाग हो , स्वास्थ्य विभाग हो , अथवा अधिकांश महकमे समय से पहले अपनी तैयारी करते हैं लेकिन बिजली बिभाग बरसात शुरू होने से पहले होने वाले फाल्ट अथवा आपूर्ति को दुरुस्त रखने के लिये कोई तैयारी नही करता।और नहीं कोई कार्ययोजना बनाती है जिसका नतीजा होता है कि आये दिन होने वाले आकाशिय बिजली , बरसात, हवा , तूफान के आगे बिजली बिभाग नतमस्तक रहता है तथा उसका खामियाजा आम जनता को भोगना पड़ता है। भौगोलिक स्थिति में पहाड़ी इलाका होने के कारण बिजली के अभाव में सैकड़ो इंसान विषैले जीव जंतुओं के काल के गाल में समाकर हर साल मौत को गले लगा लेते हैं। और इतनी ही मौतें जर्जर उपकरण के कारण इंसान तथा निर्दोष पशुओ की होती रहती है जो अत्यंत दुखदायी है। सरकार को इस पर गम्भीरता से बिचार कर ठोस कदम उठाना चाहिए