कोल सेक्टर में खत्म होगा सरकार का एकाधिकार,
कोयला क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग की बनेगी नीति
नई दिल्ली। कोरोना काल में मंदी से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का ऐलान किया। इस अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपए की योजनाओं की भी घोषणा की। उनकी 20 लाख करोड़ रुपए की इसी घोषणा की चौथी किस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अनुराग ठाकुर ने शनिवार को जानकारी साझा की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आठ क्षेत्रों में सुधारों की घोषणा की है ताकि फास्ट ट्रैक इन्वेस्टमेंट आ सके। हर मंत्रालय में एक प्रोजेक्ट डेवलमेंट सेल बनाने की योजना है ताकि यह जाना जा सके कि कैसे निवेश लाया जा सकता है।इसमें कोयला खनिज पदार्थ, डिफेंस विनिर्माण, एयरोस्पेस मैनेजमेंट, स्पेस सेक्टर, एटॉमिक एनर्जी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। बात करते हैं कोयला क्षेत्र जिसमें सरकार ने अपना एकाधिकार खत्म करते हुए इसमें कमर्शियल गतिविधि के लिए छूट दी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने शनिवार को चौथी आर्थिक पैकेज की किस्त के ऐलान में कोयला क्षेत्र (कोल सेक्टर) को लेकर बड़ा ऐलान किया। कोयला क्षेत्र में सुधार के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कोयला खनन में कमर्शियल गतिविधि के लिए छूट दी जाएगी ताकि सरकारी एकाधिकार खत्म हो।
वित्त मंत्री का कहना है कि इससे कोल सेक्टर में सरकार की मोनोपॉली खत्म होगी और कम दाम पर ज्यादा कोयला मिल सकेगा।
50 हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा
वित्त मंत्री ने बताया कि खनन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए 50,000 करोड़ सरकार देगी। इसके साथ ही जल्द ही 50 कोयला ब्लॉक खनन के लिए नीलामी पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
प्राइवेट सेक्टर को दी जाएंगी कोल इंडिया की खदानें।
वित्त मंत्री ने अपने ऐलान में कहा कि अब कोल इंडिया लिमिटेड की खदाने भी प्राइवेट सेक्टर को दी जाएंगी।
दुनिया का तीसरा बड़ा कोयला उत्पादक भारत
आपको बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है जहां बड़ी मात्रा में कोयला पाया जाता है। बावजूद इसके ऊर्जा क्षेत्र के लिए पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध नहीं है। कोयला वातावरण के लिए अच्छा नहीं माना जाता। लेकिन सरकार ने इसको लेकर भरोसा जताया है कि कोयले से प्रदूषण ना हो, इसका ध्यान रखा जाएगा।
कम आयात पर सरकार का जोर
पीएम मोदी की ओर से लॉन्च किे गए आत्मनिर्भर अभियान के तहत कोयला उत्पादन के क्षेत्र देश को आत्मनिर्भर बनाने की ओर कदम बढ़ाया गया है। इसी कड़ी में अब कम आयात पर सरकार का जोर रहेगा।
ज्यादा से ज्यादा खनन हो सके और देश के उद्योगों को बल मिले इसके लिए 50 ऐसे नए ब्लॉक नीलामी के लिए उपलब्ध होंगे। इससे इस क्षेत्र में ज्यादा काम होगा और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा।
देश में कोयले के प्रमुख आयातक राज्य
तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात के साथ ही एन.टी.पी.सी. की कुछ इकाइयां है और पंजाब और मध्य प्रदेश में कुछ अन्य निजी इकाइयां भी हैं, इन सभी योग 5 मिलियन टन कोयला है।
कोयला क्षेत्र में कमियां
– घरेलू स्तर पर कोयले की कमी इस क्षेत्र की पहली और सबसे बड़ा चिंता का विषय है।
– भारत के 95 फीसदी कोयला खनन उत्पादन एवं विनियमन सार्वजनिक क्षेत्र की ओर से किया जाता है।
– कोल इंडिया लिमिटेड ( CIL) विश्व का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है और भारत का लगभग 80 फीसदी कोयला सी.आई.एल. की ओर से उत्पादित किया जाता है। इस प्रकार संभवतः यह विश्व का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक होना चाहिए। लेकिन सी.आई.एल. का एकाधिकार स्थिति उत्पादन तकनीक, उसकी गुणवत्ता और पर्यावरण पदचिह्न के विषय में बहुत कम है।
– भारतीय कोयला खनन में कुशल एवं सुरक्षित खनन प्रौद्योगिकी, कोयले की धुलाई, वनों का पुनरुद्धार और गर्त-गड्ढे खानों की बहाली में कमी है।
कोल इंडिया लि. ने किया जबरदस्त उत्पादन
कोल इंडिया लिमिटेड ने पहली बार कोयला उत्पादन और वित्त वर्ष 2019 में 600 मिलियन टन (एमटी) के निशान को तोड़कर 606.89 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन किया और 608.14 मीट्रिक टन की आपूर्ति की, जो पिछले वर्ष की तुलना में क्रमश: 6.97% और 4.8% की वृद्धि दर है। । कंपनी ने 500 मीट्रिक टन उत्पादन से तीन वर्षों में 600 मीट्रिक टन की छलांग लगाई।