*बाबा साहेब के संविधान से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं:अजय कुमार लल्लू
संजय द्विवेदी
लखनऊ। एक ओर लॉकडाउन में जहां पूरा प्रदेश का जनजीवन अस्त व्यस्त हुआ है वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार आरक्षण की मूल भावना और पिछड़े वर्गों के हितों पर करारा प्रहार कर रही है।
उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव द्वारा जारी किए गए शासनादेश में यह कहा गया कि प्रदेश के सामान्य वर्ग और अनुसूचित जाति के वर्ग के अभ्यर्थियों को आईएएस पीसीएस तथा अन्य अधीनस्थ परीक्षाओं में प्रीलिम्स में चयनित अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में इनकी लिए बेहतर कोचिंग की सुविधा हेतु 55-55 लाख रुपए का बजट का प्रावधान किया गया। शासनादेश ने ओबीसी वर्ग के लिए पहले से चले आ रहे हैं बजट के प्रावधान को खत्म कर दिया गया। यह प्रदेश के ओबीसी वर्ग के लिए साथ सरासर अन्याय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शासनादेश में संशोधन कर सविधान सम्मत ओबीसी वर्ग के लिए भी बजट का प्रावधान करें।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा द्वारा 21 अप्रैल 2020 को अधीनस्थ सेवाओं में भर्ती के लिए आवेदन जारी करने हेतु विज्ञप्ति जारी की गई है। आवेदन हेतु ओबीसी अभ्यर्थियों को जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना पड़ेगा। ऐसे में जब लॉकडाउन चल रहा है तो जाति प्रमाणपत्र बनना बहुत मुश्किल होगा । उत्तर प्रदेश सरकार या तो आवेदन की तिथि को आगे बढ़ा दे या फिर 31 मार्च 2020 से पहले जो जारी हुए हैं उन्हें मान्य कर ले।
उन्होंने आगे कहा 30 अप्रैल को उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव ने एक शासनादेश जारी किया जिसमें कहा गया कि ग्राम विकास अधिकारी के 336 पद खाली हैं अतः इन पदों को भरने के लिए ग्राम विकास विभाग राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली 1991 में संशोधन करने की आवश्यकता है । मुख्य सचिव का यह सुझाव कि खाली पदों को भरने के लिए सरकारी अधिकारियों से प्रतिनियुक्त पर भरे, यह एक प्रकार से लेटरल एंट्री है जैसे कि जैसे कि केंद्र सरकार में सचिवों की भर्ती लैटरल एंट्री से होती है। इससे सामाजिक न्याय और संविधान की मूल भावना प्रभावित होगी।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सामाजिक न्याय और बाबा साहेब के बनाये गये संविधान की मूल भावना पर प्रदेश सरकार द्वारा किये जा रहे प्रहारों को कतई बर्दाश्त नही किया जाएगा। प्रदेश सरकार इन फैसलों को तुरंत बदले।