लखनऊ।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि अब तो भाजपा के आहत समर्थक भी ये सोच रहे हैं कि अगर समाज के सबसे गरीब तबके से भी घर भेजने के लिए सरकार पैसे वसूल करती है तो इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या होगा? इससे साफ हो गया है कि पूंजीपतियों का अरबों रूपए कर्ज माफ करने वाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों खिलाफ। विपत्ति के समय शोषण करना सूदखोरों का काम होता है, सरकार का नाम है।
फिर तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि पीएम केयर्स फण्ड में जो खरबों रूपया तमाम दबाव एवं भावनात्मक अपील करके डलवाया गया है, उसका क्या होगा? जब जरूरतमंद और बेबस आदमी की जिंदगी आफत में हो तो सरकारी खजाने में जमा धनराशि किस काम की? अब तो आरोग्य सेतु ऐप से भी इस फण्ड में 100 रूपए वसूलने की खब़र है।
भाजपा सरकार गरीबों के लिए सिर्फ दिखावे के इंतजामों का ब्यौरा दे रही है। अन्यथा लगातार लोगों की जानें जा रही है। इंसान की बेबसी की दर्दनाक तस्वीर यह है कि मुंबई में बीमार बेटे की मृत्यु पर पिता गोरखपुर में बिलखता रह गया। बेटे के शव रूपी पुतले की अंत्येष्टि की बूढ़े पिता ने, यह समाचार हृदय विदारक है।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों से बदइंतजामी की खब़रें आ रही हैं। कहीं इसके खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठी महिलाओं को शासन-प्रशासन की धमकी मिली, कहीं खाने-पीने के सामान की कमी की शिकायत के बदले व्यवस्था को सुधारने का थोथा आश्वासन का क्या औचित्य?
14 दिन का क्वारंटीन न इलाज का प्रबंध और न भोजन की व्यवस्था। क्या क्वारंटीन यातना शिविर है? गरीब, बेबस कामगारों का कसूर क्या है? ये लाखों की संख्या में उत्तर प्रदेश के बाहर रोजगार के लिए जाते है अब तो अपना राज्य भी उनके साथ बेगानों जैसा व्यवहार क्यों कर रहा है?