समर जायसवाल –

बिना कारण बताए एक माह से है अनुपस्थित
महामारी काल में बिना कारण बताए जिले से गायब है चिकित्सक
दुद्धी। स्थानीय सीएचसी पर तैनात चिकित्सक डॉ शाह आलम का नाम गैरहाजिर रहने वाले चिकित्सको में शुमार था।महीने में 20 दिन गायब रहना तो आम बात थी लेकिन कभी कभार पूरे माह भी गायब रहते थे,अपने कार्यों में लापरवाही बरतने पर व अन्य शिकायतों पर मुख्य चिकित्साधिकारी एसके उपाध्याय ने 18 मार्च को जारी एक कार्यालय आदेश जारी उनका स्थानांतरण दुद्धी सीएचसी से हटाकर जुगैल पीएचसी कर दिया था।लेकिन चिकित्सक का तबादले के बाद से कोई अता पता नहीं है ।वे ना तो सीएचसी दुद्धी से कार्यमुक्त हुए और ना ही चोपन सीएचसी के अन्तर्गत जुगैल पीएचसी पर कार्यभार ग्रहण किया।इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये अपने कार्यों के प्रति कितने जिम्मेदार है।आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जुगैल के पिछड़े इलाके में जब उनका तबादला हुआ तो वहां के लोगों में आस बंध गयी कि यहां पर चिकित्सक के आने के बाद उन लोगों अच्छा इलाज मिलेगा ,साथ ही चिकित्सक भी अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगेंगे।लेकिन पूरा एक माह बीत गया ना तो चिकित्सक शाह आलम दुद्धी सीएचसी से कार्यमुक्त हुए और ना ही जुगैल में जॉइनिंग किया। चिकित्साधीक्षक डॉ मनोज एक्का का कहना है कि डॉ शाह आलम का रिलीव( अवमुक्त) लेटर बना हुआ है वह इसे लेने ही नहीं आये हैं। उसी समय से बिना कारण अनुपस्थित चल रहे है।उधर चोपन सीएचसी के चिकित्साधीक्षक डॉ आरएन सिंह का कहना है कि उन्होंने यहां जॉइनिंग नहीं की है।ना ही मेरे पास आये है।
कोरोना महामारी ( कोविड19) महामारी काल में मरीज़ो के लिए भगवान के रूप में जाने जाने वाले चिकित्सक इस बीमारी से बचाने के लिए कोरोना व लोगों के बीच दीवार के जैसे खड़े है,जिन्हें सरकार के साथ ही साथ जनता भी कर्मवीर का तमगा देने लगी है,लेकिन उन्ही चिकित्सकों के बीच एक कर्मवीर ऐसा भी है बिना कारण बताए अपनी नवीन तैनाती लिए जिले से गायब है और स्वास्थ्य विभाग में यह जानकारी तक नहीं है कि ये कहा है।उधर सीएमओ एसके उपाध्याय ने मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए ,बताया कि दिखवा रहा हूँ कि ऐसा उन्होंने क्यों किया।
इनसेट:
तबादले पर मुरझा गए थे चिकित्सक के चहेते
दुद्धी।काबिल होते हुए भी चहेतों के इशारों अपने जिम्मेदारियों से दूर भागने वाले डॉ शाह आलम का जब सीएमओ एसके उपाध्याय ने तबादला किया था तो डॉक्टर साहब के चहेते मुरझा गए थे कि अब कैसे मोनीपोली की दवाई बेची जाएगी?? जो उन्हें अच्छा खासा मुनाफा दिलवाता था।जो कई दिनों तक स्वास्थ्य महकमा को कोस रहें थे, यहा तक कह रहे थे कि वे मरीज़ो की सेवा लगन से करते थे,उधर प्रबुद्धजनों का कहना है कि मरीज़ो सेवा तो चिकित्सक का धर्म है वह तो आदिवासी पिछड़े क्षेत्र जुगैल में भी की जा सकती थी लेकिन ऐन मौके पर वे अपने धर्म को छोड़ जिले से गायब है।
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