धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मृत्योपरांत स्वर्ग नहीं नर्क में जाना होता है…..
अच्छे कर्म किए हैं तो ऐसे लोग मृत्योपरांत सीधे स्वर्ग लोक में विराजमान कर दिए जाते हैं. जबकि जिस व्यक्ति ने जीवन में एक भी गलत कार्य किया है या किसी को हानि पहुंचाई है वैसे लोगों को स्वर्ग नहीं बल्कि नर्क में जगह मिलती है। कहते हैं आत्मा अमर होती है उसे कोई मार नहीं सकता. आत्मा शरीर से निकल कर फिर किसी नए शरीर को धारण कर लेती है. कहा यह भी जाता है कि अगर किसी की मृत्यु समय से पहले हो गई है तो उसकी आत्मा तब तक इस पृथ्वी पर ही घूमती रहती है जब तक कि उसकी इच्छाएं और समय पूरा नहीं हो जाता. पंडितों व जानकारों के अनुसार अगर अपने जीवन में किसी ने केवल अच्छे ही अच्छे कर्म किए हैं तो ऐसे लोग मृत्योपरांत सीधे स्वर्ग लोक में विराजमान कर दिए जाते हैं. जबकि जिस व्यक्ति ने जीवन में एक भी गलत कार्य किया है या किसी को हानि पहुंचाई है वैसे लोगों को स्वर्ग नहीं बल्कि नर्क में जगह मिलती है।
इन विषयों में जानकारी रखने वाले लोगों के अच्छे कर्म और बुरे कर्म के नतीजे को लेकर भी अलग-अलग राय हैं. कुछ बताते हैं कि अच्छे-बुरे कर्मों का फल अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक इसी जन्म में भुगत कर जाना होता है. जबकि कुछ बताते हैं कि अच्छे-बुरे कर्मों का जवाब मृत्योपरांत देना होता है और अगले जन्म में मनुष्य बनेंगे या जानवर या कुछ और यह उनके इसी जन्म के अच्छे-बुरे कर्मों पर निर्भर होता है।
सबसे पहले तो हम इन बातों की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे कि क्या इस कलयुगी समय में किसी को स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो ऐसा संभव है. अगर केवल अच्छे आचरण, अच्छे स्वभाव, अच्छे कर्मों आदि का आंकलन करके ही तय किया जाता होगा तो मुझे नहीं लगता है कि इस कलयुग में कोई भी व्यक्ति स्वर्ग लोक को प्राप्त करने योग्य होगा।
इसका कारण बहुत ही साधारण सा है कि हम आए दिन कोई न कोई झूठ बोलते ही हैं, गाली गलौज जैसी भाषा का इस्तेमाल तो हमारे आम बोलचाल की भाषा में जगह ले चुका है. आप नौकरीपेशा हैं या व्यवसायी हैं, आजकल हर जगह अपने ग्राहकों को किसी भी तरह से अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए या अपना व्यवसाय बढ़ाने अथवा नौकरी में प्रमोशन आदि पाने के लिए तो अक्सर झूठ का सहारा लेना ही पड़ता है. चाहे कोई भी हो यहां तक कि बड़े-बड़े धर्मगुरूओं को जहां शांत जीवन व्यतीत करना चाहिए वहां किसी न किसी के प्रति ईष्या, द्वेष और गुस्सैल रवैये का इस्तेमाल करते देखा ही जाता है. जबकि इस तरह के सभी व्यवहार पाप के श्रेणी में ही आते हैं।
अब सवाल आपके सामने हैं कि जब हमारे पाप का घड़ा हमेशा इतना भरा रहता है कि सुबह सो कर उठने से लेकर रात को सोने तक हम किसी न किसी झूठ, ईष्या, द्वेष आदि का इस्तेमाल करते ही करते हैं तो हम सभी को कहां से होगी स्वर्गलोक की प्राप्ति. अगर हमारे कर्मों के उपर ही यह तय किया जाता है कि हम स्वर्ग में जाएंगे या नर्क में, तो मैं कह सकता हूं कि आज के समय में एक भी व्यक्ति स्वर्ग जाने के लायक नहीं है. ऐसे कर्म करने के बाद हम सभी को केवल नर्क ही नर्क मिलेगा।