धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मांगलिक दोष के निवारण हेतु ही किया जाता है – कन्या का “केले के वृक्ष” से विवाहा…..
लड़की को पराया धन माना गया है अर्थात उसका वास्तविक घर ससुराल ही होता है !
और यदि कन्या के विवाहा में अन्यावश्यक विलम्ब अथवा बाधा उपस्थित हो, फिर तो माता-पिता के लिए विशेष चिंता का कारण बन जाता है !
इस चिंता का प्राय: मुख्य कारण होता है, जन्म कुंडली में पाया जाने वाला -“मांगलिक दोष” !
ऐसी स्थिति में कन्या का केले के वृक्ष से विवाहा करने का परामर्श दिया जाता है !
क्योंकि मांगलिक दोष प्राय: ‘द्वि (दो) विवाहा योग बनाता है, इसी दोष के परिहार (निवारण) हेतु केले के वृक्ष से विवाहा करने का परामर्ष दिया जाता है !
और यह परामर्श उस स्थिति में विशेषकर दिया जाता है, जब प्रेम विवाहा का प्रश्न उत्पन्न हो रहा हो तथा लड़के-लड़की में से एक मांगलिक तथा दूसरा गैर मांगलिक हो,
ऐसी स्थिति में मांगलिक जातक गैर मांगलिक (जो मांगलिक नहीं है) पर भारी पड़ता है अर्थात उसका मांगलिक दोष गैर मांगलिक पर अनिष्ट प्रभाव उत्पन्न करता है,
जिसकी परिणिति कलह-क्लेश एवं तलाकादि के रूप में पड़ती है !
यहाँ तक की प्राणों पर भी कई बार भारी पड़ते देखा गया है -मांगलिक दोष !
अत: गैर मांगलिक कन्या का विवाहा यदि मांगलिक लड़के से होना ही हो,
विशेषकर लड़की अपनी पसंद के लड़के (प्रेमी ) से विवाहा करना चाहती हो या प्रेम विवाहा करना चाहती हो,
रिंतु लड़का मांगलिक हो,
तो ऐसी स्थिति में केले के वृक्ष से विवाहा करने का परामर्श विद्वानों अथवा आचार्यों द्वारा दिया जाता है, परिणामस्वरूप दोष परिहार हो जाता है !
तथा विवाहित जीवन सुखमय रहता है !
इसी प्रकार शास्त्रों में ऐसी ही परिस्थिति आदि में “घट विवाहा” एवं “पीपल वृक्ष” से विवाहा का भी प्रावधान है !