-ओलावृष्टि में मिले किसानों को मुआवजा, एसडीएम को दिया पत्रक
-दारापुरी के उत्पीड़न के खिलाफ चलेगा हस्ताक्षर अभियान
-26 मार्च को राबर्ट्सगंज में होगा लोकतंत्र बचाओ सम्मेलन
सोनभद्र(शिव प्रकाश पाण्डेय) 7 मार्च को दुध्दी क्रिकेट मैदान में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश के बाद लागू हुई वनाधिकार कानून के दावों के पुनः निरीक्षण की प्रक्रिया को एक बार प्रशासन पुनः विफल करने में लगा है। कई गांवों में तो स्थलीय सत्यापन का कार्य ही नहीं शुरू हुआ और जिन गांवों में स्थलीय सत्यापन हो भी रहा है उसमें वनविभाग के कर्मी नहीं जा रहे है। किसी भी गांव में दावा सत्यापन की रिपोर्ट न तो दावेदारों को और न ही ग्रामस्तरीय वनाधिकार समिति को दी जा रही है। यह पूरी कार्यवाही अवैधानिक है जिसके खिलाफ आज एसडीएम को पत्रक दिया गया है और यदि कार्यवाही नहीं हुई तो बडा आंदोलन खडा किया जायेगा। यह बाते आज दुद्धी के क्रिकेट मैदान में हुई मजदूर किसान मंच की बैठक में स्वराज अभियान नेता दिनकर कपूर ने कहीं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए 26 मार्च को राबर्ट्सगंज में सम्मेलन किया जायेगा। इस सम्मेलन में जमीन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे इस क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी सवालों को उठाया जायेगा। उन्होंने कहा कि तीन दिनों तक दुद्धी, बभनी, म्योरपुर के विभिन्न गांवों का दौरा करने के बाद हमने देखा कि भीषण ओलावृष्टि और वर्षा से किसानों की फसल तबाह हो गयी है। लेकिन आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि और प्रशासन ने इन गांवों के किसानों को मुआवजा देने के लिए कुछ नहीं किया। इस सवाल पर भी आज पत्रक हमने तहसील प्रशासन को दिया है और उम्मीद है कि सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिया जायेगा। बैठक में राबर्ट्सगंज से दो बार लोकसभा का चुनाव लड चुके दलित आदिवासी समाज के हितों के लिए लडने वाले पूर्व आई0 जी0 एस. आर. दारापुरी का प्रदेश सरकार द्वारा राजनीतिक बदले की भावना से किए जा रहे उत्पीड़न की कडी निंदा की गयी। बैठक में लिए प्रस्ताव में कहा गया कि दारापुरी जी की फोटो लखनऊ में लगवाकर सरकार व शासन ने उनके जीवन के लिये खतरा पैदा कर दिया है। इस उत्पीड़न के खिलाफ गांवस्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा। बैठक की अध्यक्षता मुरता प्रधान डा0 चंद्रदेव गोंड़ व संचालन मजदूर किसान मंच के नेता कृपाशंकर पनिका ने किया। बैठक में तुर्रीडीह प्रधान विध्वंस घसिया, बैरखड के पूर्व प्रधान इस्लामुद्दीन, बीडीसी मान सिंह गोंड़, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, राम प्रसाद पनिका, मंगरू प्रसाद गोंड़, महादेव गोंड़, राम फल गोंड़, विजय बैगा आदि ने अपनी बात रखी।