म्योरपुर।श्री रामचरित मानस महायज्ञ, रासलीला एवं प्रवचन के कार्यक्रम के तहत सोमवार को दसवें दिन जामपानी गांव में कथावाचक मनु शर्मा द्वारा सूपनखा संवाद, शवरी की कथा व सुग्रीव मित्रता की कथा का वर्णन किया।लखनऊ से आई कथावाचक मनु शर्मा द्वारा बताया गयाकि शबरी का उल्लेख रामायण में भगवान श्री राम के वन-गमन के समय मिलता है।शबरी को श्री राम के प्रमुख भक्तों में गिना जाता है।अपनी वृद्धावस्था में शबरी हमेशा श्री राम के आने की प्रतीक्षा करती रहती थी।राम उसकी कुटिया में आयेंगे, इसी बात को ध्यान में रखते हुए वह अपनी कुटिया को सदैव0 साफ-सुथरा रखा करती थी।’प्रभु आयेंगे’, ये वाणी सदा ही उसके कानों में गूँजा करती थी।सीता की खोज करते हुए जब राम और लक्ष्मण शबरी की कुटिया में आये, तब शबरी ने बेर खिलाकर उनका आदर-सत्कार किया।यह सोचकर कि बेर खट्टे और कड़वे तो नहीं हैं, इसीलिए पहले वह स्वयं बेर चखकर देखती और फिर राम और लक्ष्मण को खाने को देती।शबरी की इस सच्ची भक्ती, निष्टा और सहृदयता से राम ने उसे स्वर्ग प्राप्ति का वरदान दिया।स्वयं को योगाग्नि में भस्म करके शबरी सदा के लिये श्री राम के चरणों में लीन हो गयी।शबरी का वास्तविक नाम ‘श्रमणा’ था और वह भील समुदाय की ‘शबरी’ जाति से संबंध रखती थी।शबरी के पिता भीलों के राजा थे।इसके अलावा कथा वाचक मनु शर्मा ने सूपनखा संवाद व सुग्रीव मित्रता की कथा का भी वर्णन किया।इसके साथ श्रीगिरिराज धरन की रासलीला मण्डली द्वारा दिन में ही सुदामा चरित्र का सचित्र वर्णन किया गया, जिसे देखकर बड़ी संख्या में जमा हुए लोग भाव विभोर हो गए।इससे पूर्व उत्तर प्रदेश वन्यजीव बोर्ड के सदस्य श्रवण कुमार सिंह गौड़ ने श्रीकृष्ण का पूजन अर्चन किया गया।कार्यक्रम के दौरान जिला प्रचारक ओम प्रकाश, आयोजन समिति के अनिरुद्ध रौनियार, श्रीराम रौनियार, जयंत सिंह, द्वारिका प्रसाद, रघुवर पनिका, मोहनलाल खरवार समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।