
#सपा के खाली नेताओं का चर्चा व खर्चा का हथकंडा, पूर्व क्षत्रिय नेता के सहयोग से मुंबई में ब्राह्मण सम्मेलन
लखनऊ :।सियासत जो न कराए कम, अगर इस कारनामें में दाम भी शामिल हो तो किसी भी हद तक गुजर सकते हैं सियासी लोग. जनता और जाति दोनों के दिल से उतर चुके उत्तर प्रदेश के दो समाजवादी नेता आजकल मायानगरी में गुल खिलाने में जुटे हैं. अपनी ब्राह्म्ण जाति का सम्मेलन करने के बहाने बिरादरी के नेता और सपा सरकार के पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा सजातीय सपा नेता व पूर्व विधायक संतोष पांडे संग मुंबई में पंडितों को बरगलाने में लगे हैं. हैरत की बात यह है कि उनकी इस मुहिम को ठाकुर बिरादरी के नेता माने जाने वाले महाराष्ट्र के एक पूर्व क्षत्रिय मंत्री का संरक्षण धन व जन बल दोनो से प्राप्त है।
सत्ता में रहने के दौरान इन ब्राह्मण सिरमौरों को भगवान परशुराम की सुध नहीं आई और सत्ता जाते ही ये एक नई राजनीति शुरू कर जिले ही नहीं प्रदेश के सभी ब्राह्मणों को एकत्र करने के बाद अब ये नेता देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुम्बई में भगवान परशुराम का झन्डा बुलंद करने और ब्राह्मण सम्मेलन करने पहुँच गये हैं.। सूत्र बताते हैं कि चर्चा और खर्चा के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती की तरह ही सपा के यह दोनों नेता भगवान परशुराम के नाम पर यह राजनीति कर रहे हैं, इसका ब्राह्मण सरोकार से कोई लेना देना नहीं है. इस सम्बन्ध में भाजपा प्रवक्ता डॉ चन्द्र मोहन का कहना है कि हमारी पार्टी सबका साथ सबका विकास के रास्ते पर चल कर एक नजीर कायम कर रही है और दूसरे लोग जातीयता का समीकरण तलाशने में जुटे हैं।
मजेदार बात यह है कि मुंबई के बांद्रा स्थित मुंबई क्रिकेट एसोशिएशन में आज जिस ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन सपा के पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा और पूर्व विधायक संतोष पाण्डेय कर रहे हैं उसके आयोजक मुंबई के पूर्वांचल के रहने वाले एक पूर्व क्षत्रिय नेता हैं. ब्राह्मण शिरोमणि भगवान परशुराम का कार्यक्रम एक क्षत्रिय नेता से कराकर ये दोनों महानुभाव एक नई तरह की केमेस्ट्री पेश करना चाहते हैं या फिर निशाना कुछ और है, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश तो दूर अपने-अपने जिलों के ब्राह्मणों से दूरी रखने वाले ये नेता शिरोमणि अब आर्थिक राजधानी में सम्मेलन कर ब्राह्मण एकता का परिचय एक क्षत्रिय शिरोमणि द्वारा कर अपने किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति में लगे हैं।
बताते चलें कि सुल्तानपुर जिले की लम्भुआ सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक संतोष पांडेय ने लम्भुआ क्षेत्र के दुबारा गांव में स्थित शिव मंदिर पर चिरंजीवी परशुराम चेतना संथान के बैनर तले आयोजित ब्राह्मण सम्मलेन की बैठक को संबोधित करते हुए ब्राह्मणों के प्रणेता भगवान विष्णु के अवतार परशुराम को ब्राह्मणों का आराध्य बताते हुए समाज को सही दिशा की तरफ ले जाने के लिए ब्राह्मण समाज को फिर से गुरुकुल की तरफ ले जाने के लिए जोर दिया था. उन्होंने कहा था की वे इस परम्परा का आगाज कर चुके हैं और अब वे ब्राह्मणों के आराध्य भगवान परशुराम की 108 फीट की ऊँची प्रतिमा, वेदपाठ के लिए एक विशाल गुरुकुल की स्थापना प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पारा स्थित पुराने शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ भगवान परशुराम की पहली 11 फीट की प्रतिमा, पहला गुरुकुल एवं पहली गोशाला की शुरुआत की किये जाने की बात कही थी. इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों में भी इसी तरह से एक मंदिर का जीर्णोद्धार और परशुराम मंदिर की स्थापना किये जाने की बात कही थी. इस मौके पर सपा के पूर्व विधायक संतोष पाण्डेय ने ईरान से भगवान परशुराम के फरसे को हर कीमत पर वापस भारत लाने की भी बात कही थी।
अब सवाल यह है कि ब्राह्मणवाद का नारा बुलंद करने वाले इन दोनों समाजवादी नेताओं को क्षत्रिय नेता का सहारा क्यों लेना पड़ा, क्या कोई ब्राह्मण इसके लिए उपयुक्त नहीं था ? क्या इन दोनों महानुभावों ने सुल्तानपुर और लखनऊ जिले के ब्राह्मणों को एकत्रित कर लिया जो आर्थिक राजधानी का रूख कर लिए ? इन दोनों पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री ने अपनी सरकार के रहते क्या इस दिशा में कोई कदम उठाया था ? इसका कोई जवाब नहीं है. और तो और राजधानी लखनऊ के पारा स्थित जिस जगह को इनके द्वारा चुना गया उसमें जिस एक न्यूज चैनल के मालिक का नाम आया था वह खुद विवादित है और तमाम वित्तीय अनियमितता के आरोपों में जांच के घेरे में है।
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