दिव्यांग जनों की सेवा करना एनसीएल का सौभाग्य : नाग नाथ ठाकुर*

*एनसीएल ने दिव्यांगों को दी कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरणों की सौगात

*सिंगरौली और सोनभद्र जिलों के 207 दिव्यांगों को दिए 304 कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण*

सिगरौली।एनसीएल, सीएसआर के अंतर्गत अपने आस-पास के सबसे जरूरतमन्द व्यक्ति तक जन कल्याणकारी योजनाओं की पहुँच बनाने हेतु पूर्णत: समर्पित है l इसी कड़ी में शुक्रवार को कंपनी के नेहरू शताब्दी चिकित्सालय (एनएससी) जयंत ने मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के 207 दिव्यांग जनों में कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरणों का वितरण किया।

कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरण के दौरान एनसीएल के निदेशक (वित्त एवं कार्मिक) नाग नाथ ठाकुर, सिंगरौली क्षेत्र के विधायक राम लल्लू बैश्य, महाप्रबन्धक (कार्मिक/औ॰स॰) चार्ल्स जुस्टर, महाप्रबंधक (सीएसआर) श्री आत्मेश्वर पाठक एवं मुख्य चिकित्सा सेवाएं डॉ॰ एस के भोवाल सहित सभी क्षेत्रो के स्टाफ अधिकारी, कार्मिक सीएसआर नोडल अधिकारी व एनएससी के अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनसीएल के निदेशक (वित्त एवं कार्मिक) नाग नाथ ठाकुर ने कहा कि दिव्यांग जनों की सेवा का अवसर मिलना किसी सौभाग्य से कम नही है। एनसीएल दिव्यांग जनों को आवश्यक उपकरण मुहैया कराते हुए कौशल विकास की योजनाओं से उन्हे जोड़कर व जीविकोपार्जन के साधन देकर आत्मनिर्भर भी बनाएगी l

इस अवसर पर सिंगरौली क्षेत्र के विधायक राम लल्लू वैश्य ने विगत कई सालों से कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरित करने के लिए एनसीएल प्रबंधन को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि ये उपकरण लाभार्थियों के जीवनचर्या को सहज, सरल और सुगम बनाएँगे l
कार्यक्रम में मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल व हस्तचालित ट्राईसाइकिल, व्हील चेयर, वैशाखी, श्रवण यंत्र, कृत्रिम अंग एवं, कैलीपर आदि वितरित किए गए। दिव्यांगों को दिए गए सहायक उपकरणों एवं कृत्रिम अंगों के समुचित उपयोग सुनिशिचित करने के लिए उन्हें विशेषज्ञों द्वारा उपकरणों की प्रयोग विधि और रख-रखाव के तौर-तरीके भी बताए गए।

गौरतलब है कि एनसीएल ने भारत सरकार के एक अन्य उपक्रम भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) के साथ मिलकर गत 13 से 19 नवम्बर 2019 उत्तरप्रदेश में एनसीएल के बीना एवं खड़िया क्षेत्र व मध्यप्रदेश में नेहरू शताब्दी चिकित्सालय, व केन्द्रीय चिकितशालय सिंगरौली में दिव्यांगों का परीक्षण किया था एवं 207 दिव्यांगों को कृत्रिम अंग व उपकरण वितरण करने हेतु चिन्हित किया था ।

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