सात दिवसीय जीवन कौशल प्रशिक्षण शिविर का समापन

सोनभद्र।आज 10 फरवरी 2020 को नेहरू युवा केंद्र सोनभद्र द्वारा आयोजित इंडियन ट्रेनिंग सेंटर रावर्टसगंज सोनभद्र में जीवन कौशल सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन किया गया।

जिसमें मुख्य अतिथि का रूप से समाजसेवी रमेश जायसवाल जी रहे रमेश जयसवाल जी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अनुकूली तथा सकारात्मक व्यवहार की वे योग्यताएँ हैं जो व्यक्तियों को दैनिक जीवन की माँगों और चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सक्षम बनाती हैं।ये जीवन कौशल सीखे जा सकते हैं तथा उनमें सुधार भी किया जा सकता है। आग्रहिता , समय प्रबंधन , सात्विक चिंतन , संबंधों में सुधार, स्वयं की देखभाल के साथ-साथ ऐसी असहायक आदतों, जैसे – पूर्णतावादी होना, विलंबन या टालना इत्यादि से मुक्ति, कुछ ऐसे जीवन कौशल हैं, जिनसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी
विशिष्ट अतिथि के रूप में मनोज जायसवाल और आनंद गुप्ता रहे और कहा आप अपना समय जैसै व्यतीत करते हैं वह आपके जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करता है।। समय का प्रबंधन तथा प्रत्यायोजित करना सीखने से, दबाव-मुक्त होने मे सहायता मिल सकती है। समय दबाव कम करने का एक प्रमुख तरीका, समय के प्रत्यक्षण मे परिवर्तन लाना है। समय प्रबंधन का प्रमुख नियम यह है कि आप जिन कार्यों को महत्त्व देते हैं उनका परिपालन करने मे समय लगाएँ या उन कार्यों को करने मे जो आपके लक्ष्यप्राप्ति मे सहायक हों। आपको अपनी जानकारियों की वास्तविकताओं का पता हो, तथा कार्य को समय पर करें। यह सपष्ट होना चाहिए कि आप क्या करना चाहते है तथा आप अपने जीवन मे इन दोनो बातों मे सामंजस्य सथापित कर सके, इन पर समय प्रबंधन निर्भर करता है।आप जो भी करने जा रहे हो उसकी एक समुचित रूपरेखा तैयार करिए।आप देखेंगे कि आपने जो अपने काम करने की रूपरेखा तैयार की है वह कितनी अधिक आपको मदद कर रही है।एक समय-सारणी बनाएँ और उस पर अमल करें
कार्यक्रम का समापन नेहरू युवा केंद्र के लेखाकार दिलीप कुमार और श्याम उमर ने कहा कि यदि हम स्वयं को स्वस्थ, दुरुस्त तथा विश्रात रखते हैं तो हम दैनिक जीवन के दबावों का सामना करने के लिए शारीरिक एवं सांवेगिक रूप से और अच्छी तरह तैयार रहते हें। हमारे श्वसन का प्रतिरूप हमारी मानसिक तथा सांवेगिक स्थिति को परिलक्षित करता है। जब हम दबाव मे होते हैं तो हमारा श्वसन और तेज़ हो जाता है, जिसके बीच-बीच में अक्सर आहें भी निकलती रहती हैं। सबसे अधिक विश्रात श्वसन मंद, मध्यपट या डायाफ्राम, अर्थात सीना और उदर गुहिका के बीच एवं गुंबदाकार पेशी, से उदर-केंद्रित श्वसन होता है। पर्यावरणी दबाव, जैसै शोर, प्रदूषण, दिक्, प्रकाश, वर्ण इत्यादि सब हमारी मनोस्थिति क्रो प्रभावित कर सकते हे। इनका निश्चित प्रभाव तनाव का सामना करने की हमारी क्षमता तथा कुशल-क्षेम पर पड़ता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राहुल जायसवाल पूनम स्नेहा काजल साधना रंजना पंकज नीरज अरविंद रवि केसरी मनोज केसरी मुकेश जयसवाल राहुल शुक्ला सोनिया इत्यादि लोग मौजूद रहे।

Translate »