धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से हवन द्वारा ग्रहो की शांति…..
आपको पूजा और हवन के द्वारा ग्रह शान्ति के अभूतपूर्व उपाय बता रहा हूँ।जब ग्रह प्रतिकूल अवस्था मे होते तो उसकी नकरात्मक ऊर्जाएं हमारे ऊर्जा को प्रभावित कर हमें नकरात्मक प्रभाव से भर देते है और हमारे जीवन मे ग्रहो के प्रभाव से उतपन्न समस्याएं परेशान करने लगते है।
अब आप अपने कुंडली से पता करिये किन ग्रहो के कारण आपको समस्या आ रही है।जो ग्रह समस्या दे रहे है आप उनका पुजन प्रतिदिन करे उनके बीज मन्त्रो का जप करे फिर उन ग्रहो की समिधा पर बीज मन्त्रो द्वारा हवन करें और उस धुआं में कम से कम 15 मिनट अवश्य बैठे और धुआं को पूरे घर मे फैलने दे।
जब हवन की समिधा और हव्य पूरी तरह जल जाये तो बचे हुए राख को आप नदी में प्रवाहित करें या खाद के रूप में प्रयोग करे इसके खाद वनस्पतियो को बहुत लाभ देने वाले होते है।
इसे करिये और लाभ महसूस करिये खास तौर पर रोगों से पीडत जातक पर इसे अवश्य आजमाए और हमे इसके लाभ से अवगत भी कराये।
आईये अब जानते है किस ग्रह की समिधा क्या है और हव्य सामग्री में क्या रखना है।दोस्तो जोभी समिधा है उसे और आम के लकड़ी की समिधा के साथ हवन में प्रयोग करना है।जैसे सूर्य के लिए हवन करना है तो सूर्य की समिधा मदार है तो आम की लकड़ी और मदार का तना सूखा कर इन दोनों को आधा आधा लेकर समिधा बनाये।
समिधा के रूप में आम की लकड़ी सर्वमान्य है परन्तु अन्य समिधाएँ भी विभिन्न कार्यों हेतु प्रयुक्त होती हैं। सूर्य की समिधा मदार की, चन्द्रमा की पलाश की, मङ्गल की खैर की, बुध की चिड़चिडा की, बृहस्पति की पीपल की, शुक्र की गूलर की, शनि की शमी की, राहु दूर्वा की और केतु की कुशा की समिधा होती है।
अब जिसकी कुंडली नही है वो इन समिधा का लाभ इस प्रकार भी ले सकते है।मदार की समिधा रोग को नाश करती है, पलाश की सब कार्य सिद्ध करने वाली, पीपल की सन्तति देने वाली, गूलर की स्वर्ग देने वाली, शमी की पाप नाश करने वाली, दूर्वा की दीर्घायु देने वाली और कुशा की समिधा सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली होती है।अपनी आवश्यकता के अनुसार समिधा का चुनाव कर लाभ ले सकते है।
अब जानते है आहुति किससे देना है।
सामान्य हवन सामग्री(हव्य)।
तिल, जौं, सफेद चन्दन का चूरा ,गुड़, अगर , तगर , गुग्गुल, जायफल, दालचीनी, पानड़ी(पान का पत्ता और सुपाड़ी) , लौंग , बड़ी इलायची , गोला (सुखी गरी), छुहारे, नागर मौथा , इन्द्र जौ , कपूर कचरी , आँवला ,गिलोय, जायफल, ब्राह्मी।
इन सामग्रियों को मिला कर हव्य तैयार कर ले।