निराला जयंती पर सोन संगम की विचारगोष्ठी एवं काव्य संध्या

*हिन्दी साहित्य के क्रान्तिपुरुष थे निराला

शक्तिनगर, सोनभद्र। साहित्यिक, सामाजिक संस्था सोन संगम के तत्वावधान में, महाप्राण निराला जयंती की पूर्व संध्या पर इन्द्रप्रस्थ क्लब, एनटीपीसी शक्तिनगर में 29 जनवरी की शाम एक विचारगोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन ए के शर्मा, महाप्रबन्धक, प्रचालन, एनटीपीसी विन्ध्यनगर के मुख्य आतिथ्य में किया गया। अध्यक्षता आलोक चन्द्र ठाकुर, अपर महाप्रबन्धक, एनटीपीसी, रामागुण्डम ने की, जबकि संचालन डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत महाकवि निराला के चित्र पर पुष्पार्चन से हुई। स्वागत भाषण नवीन चन्द्र श्रीवास्तव ने किया। तत्पश्चात कवयित्री साधना शर्मा ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। योगेन्द्र मिश्र ने निराला की सुप्रसिद्ध कविता ‘सरोज स्मृति’ का पाठ किया। डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय ने निराला के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। पंकज श्रीवास्तव ने निराला के जीवन संघर्षों का जिक्र करते हुए उन्हें हिन्दी साहित्य का क्रान्तिपुरुष निरूपित किया। काव्यसंध्या में श्रोताओं ने विविध भंगिमाओं एवं विषयों की कविताओं का रसास्वादन किया। माहिर मिर्जापुरी ने ‘मित्र हजार बनाइये, बैरी एक न होय’ कविता से जीवन में प्रेम और समन्वय का संदेश दिया तो साधना शर्मा ने ‘रख याद ये दो बातें, जीना है, जाना है’ गजल से अन्तर्मन की कशमकश को रेखांकित किया। बहर बनारसी ने ‘दिल में लगी है आग, जला कुछ भी नहीं है’ गजल प्रस्तुत कर जीवन में संघर्ष की महत्ता को आवाज दी। योगेन्द्र मिश्र ने ‘मोहब्बत दिल का सौदा है, अनाड़ी हो तो आ जाओ’ गजल पेश कर प्रेम की मधुरिमा को व्यक्त किया। मुख्य अतिथि ए के शर्मा ने ‘कहाँ गयी वो सुबह सिंदूरी, मीठी धूप, घनेरी छाँव’ कविता से मन में बसे गाँव को याद किया। अध्यक्षता कर रहे आलोक चन्द्र ठाकुर ने ‘चलो ऐसा दीप जलाते हैं, जो सबमें अब सद्भाव भरे’ गीत सुनाकर वर्तमान समय में एकता और सद्भाव की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अतिरिक्त रमाकान्त पाण्डेय, अश्विनी श्रीवास्तव ने भी सशक्त काव्यपाठ किया।
उमेश चन्द्र जायसवाल के आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। उक्त अवसर पर दिवाकर पटेल, आरके राम, धर्मेन्द्र दत्त तिवारी, मुकेश, उपेन्द्र, रीता पाण्डेय सहित क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

*मानिक चन्द पाण्डेय*
*सचिव, सोन संगम*

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