घोरावल । ग्राम सभा पेढ में तेजस्वी सेवार्थ सेवा आश्रम के द्वारा आयोजित साप्ताहिक संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में पधारे अयोध्या धाम से परमपूज्य श्री श्रावनानंद जी महाराज ने कथा के छठे दिवस पर बताया की श्री ठाकुर जी महाराज अब बड़े हो गये है गाय चराने भांडीर वन में जाते है उनका नाम गोपाल है गौ माता के पालन पोषण रक्षण के लिए ही प्रभु आये है गोपियों का चिर हरण करते है

इसके बाद रासलीला करते हुऐ चिर हरण का मतलब प्रभु हमारे अंदर जो अज्ञान का पर्दा है उसे दूर करते है तब अपनी लीला में हमे सम्मलित करते है और फिर कंस की हड़बड़ाहट बढ़ गई तब अंकुर जी को मथुरा से ब्रज में भेजा श्री कृष्णा जी श्री बलराम जी को लाने के लिए श्री भगवान अब मथुरा में आके सारे मथुरा वाशी नर नारी को अपने तिरछी चितवन से मन को मोहित किये कंस का उद्धार करते है फिर राज गद्दी उग्रसेन जी को दिये

इसके बाद दिव्य लीलावो को करते हुए कुछ समय मथुरा में रहते हुये द्वारिकापुरी का निर्माण किये और श्रीमती रुक्मिणी जी से विवाह हुआ जो रुक्मिणी जी साक्षात महारानी लक्ष्मी का ही अवतार है और आज यज्ञ का छठा दिवस में प्रातः कालीन आचार्य श्री धीरेंद्र त्रिपाठी के नेतृत्व में यज्ञ का सांगोपांग विधि से पूजन अर्चन यज्ञशाला की परिक्रमा हुई। तेजस्वी सेवार्थ सेवा आश्रम के पदाधिकारी व परिवार सभी ने यज्ञ हवन किया।
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