डीजीपी बोले :पुलिस विभाग एवं अभियोजन के मध्य आपसी समन्वय एवं एकीकृत तरीके से कार्य कर प्रशिक्षित करते हुये सार्थक परिणाम लाये।
।लखनऊ।मुख्यमंत्री, उ0प्र0 द्वारा साइबर क्राइम विवेचना और महिला एवं बालकों के विरूद्व अपराध पर उत्तर प्रदेश के अभियोजकों एवं विवेचकों की राज्य स्तरीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आज दिनांक 13.12.2019 को पुलिस मुख्यालय, गोमती नगर विस्तार स्थित अवनि प्रेक्षागृह में साइबर क्राइम विवेचना और महिला एवं बालकों के विरूद्व अपराध पर उत्तर प्रदेश के अभियोजकों एवं विवेचकों की 02 दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया गया।
ओ0पी0 सिंह, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा सर्वप्रथम मुख्य अतिथि मा0 योगी आदित्यनाथ का स्वागत किया गया एवं उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव गृह, पी0वी0रमाशास्त्री अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था, आशुतोष पाण्डेय अपर पुलिस महानिदेशक अभियोजन सहित वरिष्ठ पुलिस/प्रशासनिक अधिकारी, अभियोजन अधिकारी, विवेचक उपस्थित रहे।
मा0मुख्यमंत्री द्वारा अभियोजकों एवं विवेचकों की कार्यदक्षता एवं कौशल को विकसित करने के लिए माह दिसम्बर 2019 से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘‘अभियोजन दिग्दर्शिका’’ के प्रथम अंक का विमोचन किया गया। अपर पुलिस महानिदेशक अभियोजन द्वारा कार्यशाला में उपस्थित समस्त का आभार व्यक्त करते हुए कार्यशाला की उपयोगिता के सम्बन्ध में अवगत कराया गया।
ओ0पी0 सिंह पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा मुख्य अतिथि मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साधुवाद व्यक्त किया गया। कार्यशाला में उपस्थित वरिष्ठ पुलिस/प्रशासिनक अधिकारी एवं अभियोजन के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस विभाग के विवेचकों का स्वागत करते हुए कहाकि इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन प्रथम बार किया जा रहा है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पुलिस विभाग एवं अभियोजन के मध्य आपसी समन्वय एवं एकीकृत तरीके से कार्य करने हेतु प्रशिक्षित करना है, जिससे
सार्थक परिणाम प्राप्त हो सके। पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा कहा गया कि मा0 मुख्यमंत्री द्वारा समय-समय पर मुख्यतः तीन बिन्दुओं प्रशिक्षण, एकीकरण, समन्वय पर बल दिया गया, जिसमें प्रशिक्षण सबसे महत्वपूर्ण भाग है, उनके द्वारा पहली बार प्रशिक्षण निदेशालय में वर्चुअल क्लास रूम का उद्घाटन करते हुए 92 ट्रेनिंग सेन्टरों पर एक साथ रिक्रूट ट्रेनीज को सम्बोधित किया गया। सभी विभागों में एकीकरण आवश्यक है, जिसके परिप्रेक्ष्य में पुलिस विभाग द्वारा यूपी 112 को फायर सर्विस, जीआरपी, एम्बुलेंस, अस्पताल आदि से एकीकृत किया गया। किसी भी संगठन को सफल होने के लिए एक दूसरे से समन्वय स्थापित करना आवश्यक है, इसी क्रम में पहली बार अभियोजन विभाग को भी शामिल किया गया है, जिससे आपसी एकीकरण एवं समन्वय से हम बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ सके। ई-प्रासीक्यूशन सिस्टम को समस्त जनपदों में लागू किया गया। पाॅक्सो एक्ट के अभियोग में आपसी एकीकरण व समन्वय के फलस्वरूप प्रदेश के औरैया सहित कई जनपदों द्वारा अल्प अवधि में अभियुक्तों को मा0 न्यायालय से सजा दिलाने में सफलता प्राप्त हुई है, जिसका मुख्य श्रेय बेहतर अभियोजन को भी जाता है। जनपद औरैया के अभियोजन अधिकारियों को उनकी भूमिका की सराहना करते हुए पहली बार पुलिस महानिदेशक का प्रशंसा चिन्ह प्रदान किया गया। इस कार्यशाला में बहुत अच्छे, लाभदायक विषय हैं तथा विशेषज्ञों/वक्ताओं द्वारा अपने अनुभव के आधार पर व्यक्त विचारों से अभियोजकों व विवेचकों की व्यवसायिक दक्षता व उनकी कार्यकुशलता में और अभिवृद्वि होगी।
मा0मुख्यमंत्री जी द्वारा कार्यशाला में पुलिस महानिदेशक उ0प्र0, अपर मुख्य सचिव गृह, अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था, अपर पुलिस महानिदेशक अभियोजन, समस्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारीगण, अभियोजन अधिकारीगण, साइबर के विशेषज्ञांे एवं उपस्थित महानुभावों का साइबर क्राइम विवेचना और महिला एवं बालकों के विरूद्व अपराध पर आयोजित कार्यशाला के सम्बन्ध में बधाई व शुभकामनायें देते हुए कहाकि 02 दिनों तक चलने वाली कार्यशाला आज के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श करेगी। महिला सम्बन्धी अपराधों एवं साइबर क्राइम कीे बढ़ती हुई दुष्प्रवृत्ति के बारे में आमजन के मन में उत्पन्न हो रही आशंकाओं जैसे गम्भीर विषय पर कार्यशाला की सहायता से एक ठोस निष्कर्ष पर पहुॅचेंगे एवं एक व्यापक कार्ययोजना के साथ इसे आगे बढ़ाने में सफल होंगे।
समय से की गयी विवेचना के पश्चात सम्बन्धित प्रकरणों में दोषी अपराधियों को प्रभावी अभियोजन के माध्यम से सजा करवाने में विवेचना अधिकारीगण व अभियोजन अधिकारीगण एक दूसरे में जुडे हुए हैं। उक्त कार्यशाला ठोस तथ्यों एवं साक्ष्यों पर आधारित विवेचना की बेहतर पैरवी एवं अभियोजन अधिकारी द्वारा समयबद्व ढंग से अपराधियों को उचित सजा दिलाने में एक बड़ी भूमिका का निर्वहन करने में सहायक सिद्व होगी।
पुलिस/प्रशासिनक अधिकारियो की बैठक में अन्तरविभागीय समन्वय के माध्यम से बेहतर परिणाम तक पहुॅचने के सम्बन्ध में निर्देश दिये गये। जिलाधिकारी/पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला स्तर पर स्थापित जिला मानीटरिंग कमेटी की बैठक में प्राथमिकता तय करते हुए समय से विवेचना पूर्ण कराकर मा0 न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करते हुए समयबद्व अभियोजन अधिकारियों द्वारा प्रभावी पैरवी कर अपराधियों को समय से सजा कराने में सहायक होगी। पिछले 06 माह में घटित अपराधों में 06-07 दिन के अन्दर आरोप पत्र मा0न्यायालय में दाखिल होकर दिन-प्रतिदिन सुनवाई के पश्चात अपराधियों को सजा दिलाने में सफलता प्राप्त हुई है। अल्प अवधि में सजा होने पर यह अपने आप में एक संदेश है। अभियोजन से जुड़े अधिकारियों का दायित्व है कि वह समयबद्व ढंग से इसको निष्कर्ष तक पहुॅचायें, जिसके लिए ई-प्रासीक्यूशन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पिछले 06 माह में उत्तर प्रदेश जो देश में पिछले पायदान पर था, वर्तमान में नम्बर एक पर आ गया है। साइबर क्राइम की बदलती प्रवृत्ति को देखते हुए परिक्षेत्र स्तर पर साइबर थाना एवं फारेंसिक लैब स्थापित करने तथा प्रदेश में फारेंसिक और पुलिस विश्वविद्यालय स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। मैं आशा करता हूॅ कि उपरोक्त 02 दिवसीय कार्यशाला से ठोस निष्कर्ष पर पहुॅचेंगे।