सोनभद्र। जनता दल यूनाईटेड के जिलाध्यक्ष संतोष पटेल एडवोकेट ने बुधवार की दोहपर जिलाधिकारी को एक पत्रक भेजकर सुकृत समेत पूरे जनपद में संचालित हो रहे अवैध के्रशर प्लांटों को तत्काल उखाड़कर हटाए जाने की मांग की है।
उनका कहना है कि मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा समय- समय पर दिए गए बंदी आदेशों एवं निर्देशों के बावजूद वर्ष 2000 के बाद जनपद सोनभद्र में स्थापित 100 के्रशर प्लांटों में से दर्जनों का निर्बाध संचालन जारी है। जो पूरी तरह से अवैध है।
श्री पटेल ने जिलाधिकारी को भेजे पत्रक में कहा है कि 16.09.2019 को जारी कार्यालय आदेश पत्रांक- ळ-113409 में आप द्वारा जनपद सोनभद्र में वर्ष 2000 के बाद से स्थापित 100 के्रशर प्लांटों के संबंध में कहा गया है कि मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण एवं मा0 एन0जी0टी0 द्वारा गठित ओवर साईट कमेटी के निर्देशानुसार संबंधित सभी 100 के्रशर प्लांटों को बंद/ सील किए जाने हेतु जिले स्तर पर एक कमेटी गठित की जाती है। गठित कमेटी में राजस्व विभाग, वन विभाग, खनन विभाग, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा पुलिस विभाग के अधिकारियों को शामिल करते हुए यह भी निर्देशित किया गया है कि ‘‘अवैध रूप से स्थापित/ संचालित स्टोन क्रशर उद्योगों का संचालन तत्काल प्रभाव से बंद/ सील करा कर अनुपालन आख्या अधोहस्ताक्षरी एवं क्षेत्रीय अधिकारी, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सोनभद्र को प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।’’ इतना ही नहीं मा0 एन0जी0टी0 ने यह भी कहा है कि उक्त अवैध क्रेशर प्लांटों की पर्यावरणीय मंजूरी को तत्काल न केवल रद्द किया जाय अपितु पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जिलाधिकारी सोनभद्र द्वारा मिलकर एक एक्शन प्लान तैयार किया जाय। जो यह सुनिश्चित करेगा कि पर्यावरणीय क्षति की पूर्ति संबंधित के्रशरों से वसूला जाएगा। श्री पटेल का दावा है कि उन्होनें 03 दिसंबर, 2019 को प्रातः 10ः15 बजे चलते हुए के्रशर प्लांटों का स्वयं वीडियो बनाया है। जिसके अनुसार सुकृत क्षेत्र में दर्जनों क्रेशर प्लांटों को निर्बाध रूप से संचालन होते देखा गया। जो इस जनचर्चा को बल देता है कि मा0 एन0जी0टी0 एवं अन्य न्यायलयों के तमाम आदेशों के बावजूद अवैध रूप से स्थापित के्रशर प्लांटों का संचालन जिलाधिकारी सोनभद्र की कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न करता है। क्योंकि जिन के्रशर प्लांटों की स्थापना ही अवैध घोषित हो गयी है, ऐसे के्रशर प्लांटों की भौतिक स्थिति बरकरार रखा जाना ही इस बात को बल प्रदान करता है कि ऐसे अवैध के्रशर प्लांटों का संचालन स्थानीय पुलिस एवं प्रदूषण विभाग से मिली-भगत कर न केवल मनमानी तरीके से अपितु दिन- दहाड़े भी हो रहा है। इसलिए उक्त ऐेसे अवैध स्थापित के्रशर प्लांटों का भौतिक अस्तित्व ही समाप्त किया जाना इस बात की गारंटी प्रदान करता है कि के्रशर प्लांटों का अवैध संचालन पूरी तरह से बंद हो जाएगा। जिससे कि पर्यावरण की रक्षा एवं मा0 एन0जी0टी0 के आदेशों का पालन हो सके।
श्री पटेल का यह भी कहना है कि सुकृत समेत कुल 19 गांवों को सिंगरौली प्रदूषित क्षेत्र से बाहर करने का कोई शासनादेश प्रमुख सचिव, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उ0प्र0 शासन द्वारा विगत 01 दिसंबर, 2019 को जारी किया गया है। किंतु यहां विचारणीय प्रश्न यह है कि मा0 एन0जी0टी0 में उक्त प्रकरण पहले से विचारणीय है। जब तक मा0 एन0जी0टी0 द्वारा उक्त प्रकरण की आगामी सुनवाई की तिथियों में सुकृत समेत 19 गांवों को 01 दिसंबर, 2019 को जारी उक्त शासनादेश के क्रम में बरी नहीं कर दिया जाता है, तब तक के लिए मा0 एन0जी0टी0 के आदेश को ही प्रभावी मानते हुए जनपद सोनभद्र में स्थापित सभी 100 के्रशर प्लांटों का भौतिक अस्तित्व समापन की कार्रवाई अविलंब सुनिश्चित कराने की मांग की है।