जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से कुंडली में मारकेश…..

धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से कुंडली में मारकेश…..


मारकेश का नाम सुनते ही हमें मृत्यु याद आने लगती है l जबकि ऐसा नहीं है मारकेश का अर्थ है मरनातुल्य दुःख होना l मारकेश आपको मृत्यु नहीं देगी लेकिन जान लीजिये वो दुःख ना अच्छा से जीने देती है ना मरने l
चलिए हम कुंडली में अष्टम भाव को मृत्यु का भाव मानते हैं लेकिन हम द्वादश को भूल जाते हैं l
द्वादश यानि हर चीज का व्यय l सिर्फ रूपये पैसे का ही नहीं l

आप इससे घर -द्वार, माँ- बाप, नाम, इज्जत, नाती पोता सभी चीजों का व्यय देखिये l

चतुर्थेश अगर द्वादश में है तो घर का व्यय यानि आपको घर से दूर रखेगा l
पंचमेश अगर द्वादश में है तो आपकी शिक्षा बाहर होगी l
जाहीर सा बात है जब तक द्वादशेश का योगदान नहीं रहेगा तो प्राण कैसे जाएंगे? क्योंकि वो हमारे तन यानि लग्न से द्वादश है l
चलिये अब हम मारकेश की बात कर रहे थे l
द्वितीय भाव यानि अष्टम से सप्तम यानि एक दूसरे घर को पूर्णतया देख ही रहे हैं l आपको धन शोक, पारिवारिक शोक, जीवन का प्रारंभिक कष्ट द्वारा दुःख उठाना पड़ेगा l
अष्टम से द्वादश यानि सप्तम भाव आपको बिज़नेस पार्टनर का धोखा मिल सकता है l पत्नी से कष्ट पहुंच सकता है l बिज़नेस में कमी आ सकती है l
अब आइये ये जो द्वितीय भाव है और सप्तम भाव एक दूसरे से षष्ट और अष्टक योग बनाते हैं l
यानि आपके कुंडली में द्वितीयेश के महादशा में अष्टमेश की अन्तर्दशा हो या अष्टमेश की महादशा में द्वितीयेश की अन्तर्दशा हो तो ये आपको ज्यादा अघात देंगे l अघात से बीमारी भी हो सकती है और आप दुःखी रहेंगे l समय गुजर जाने के बाद आपकी अवस्था ठीक भी हो जाएगी l

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