(रामजियावन गुप्ता)
—- नन्हे गजराज के मौत की खबर पर प्रभागीय वनाधिकारी एमपी सिंह मय फ़ोर्स रविवार की रात जलाशय के किनारे डटे रहे।
—- तीन डाक्टरों की टीम मृत नन्हे गजराज के शव का पोस्टमार्टम रेंज आफिस जरहा में करेगी।
बीजपुर (सोनभद्र) माँ तो आखिर माँ ही होती है चाहें इंसान हो या फिर जानवर। माँ की मोहब्बत अपने बच्चे के लिए जान से भी बड़ी होती है। छत्तीसगढ़ के जंगलों से भटक कर आए 14 हाथियों के झुंड के साथ ऐसा ही कुछ देखने को मिला। नेमना के जंगलों से निकल कर हाथियों का झुंड डूमरचुआ के पास रिहंद डैम तट शनिवार की रात पहुंचे तो पानी देख उसमे कई हाथी कूद पड़े हाथियों के साथ में एक नन्हे गजराज जो सबसे छोटा हाथी का बच्चा जो लगभग 20 से 25 दिन का ही बताया जा रहा है वह भी अपनी माँ के साथ पानी में कूद पड़ा। रिहन्द बांध गहरा होने के कारण छोटा हाथी का बच्चा पानी मे
डूबने लगा। उसकी माँ ने भरपूर कोशिश कर बच्चे को गहरे पानी से निकालने का प्रयास भी किया पर सफलता नही मिली। मृत नन्हे गजराज की माँ लगभग 16 घण्टे पानी मे खड़े रही उसके अन्य साथी भी पानी मे डूब रहे बच्चे की घेराबंदी किये रहे, लेकिन अंत तक सफलता नही मिली, और नन्हे गजराज की पानी मे ही मौत हो गयी। अन्य हाथी साथियो संग बच्चे की माँ करुणा क्रंदन आवाज रात दिन निकालती रही, जिसे सुन कर वन विभाग के लोगो के साथ ग्रामीणों के डर के मारे कंठ सूखे जा रहे थे। हाथी के बच्चे के मरने का अंदेशा रविवार की सुबह ही लग गया था, लेकिन विभागीय पुष्टि नही हो पायी थी। हाथी के बच्चे की मौत की खबर के बाद हाथियों के भड़कने के अंदेशा में प्रशासन ने बाद में पुलिस और
सीआईएसएफ के जवानों को भी मौके पर बुला लिए, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। हाथियों का झुंड आखिर रविवार की रात थक हार कर आगे अपनी मंजिल की ओर रवाना हो गया। जाते वक्त भी हाथियों का झुंड अपने बिछड़े साथी को मानो खोज रहे थे, और बार बार घूम कर रिहन्द जलाशय को निहार रहे थे। बताया जाता है कि हाथियों के हटने के बाद मृत हाथी के बच्चे का शव वन विभाग ने अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराने की तैयारी में लगा हुआ है।मौके पर रेनुकूट प्रभागीय वनाधिकारी एमपी सिंह मय फोर्स रविवार की रात से ही जलाशय के किनारे डटे रहे। खबर लिखे जाने तक पोस्टमार्टम के लिए डाक्टरों की तीन सदस्यी एक टीम का पैनल मौके पर पहुँच चुकी थी।