धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से लग्न से समझें जीवन-साथी से कैसी रहेगी……
अपनी ही लग्न से समझा जा सकता है कि हमारे संबंध कैसे रहैंगे…. क्या आप अपनी कुण्डली समझना जानते हैं ?
*अगर आपका मेष-लग्न है ।* तो आपका जीवन साथी बहुत व्यवहारिक है । आपसे सहयोगात्मक संतुष्टि पाये बिगैर आपको सहयोगात्मक संतुष्टि नहीं दे पायेगा । पहल भी आपको ही करनी होगी और आप करते भी हैं । आप भावनात्मक सहयोग और भावनात्मक सुरक्षा देना खूब जानते है । इसी के फलस्वरूप कभी-कभी आपका जीवनसाथी आपके लिये स्वार्थी सिद्ध हो सकता है । अगर आपका लग्न और लग्नेश पाप-ग्रहों से पीड़ित ना हुआ तो आप सब संभाल लेंगे । आपका वैवाहिक जीवन अथवा प्रेम-संबंध कभी समाप्त नहीं होंगे ।
*अगर आपका वृषभ-लग्न है ।* तो आपका जीवनसाथी प्रथम दृष्टी में आकर्षक सिद्ध होगा, लेकिन फिर इसमें धीरे-धीरे कमी आने लगेगी । अब आप अपने तौर-तरीकों से इस प्रेम-संबंध को एक आकार देने का प्रयास करते है । अंत में आपकी सख्ती और आपके जीवनसाथी का स्वाभिमान टकराव की और बढ़ते हैं । लेकिन अगर सप्तम स्थान में कोई शुभ ग्रह है तो बात ज्यादा नहीं बिगड़ेगी ।
आप भावनात्मक रूप से बहुत दृढ़ हैं – इस बात का सदा ध्यान रखें । आपके कार्यों में आपकी इच्छाशक्ति से ज्यादा आपकी भावनात्मक शक्ति होती है ।
*अगर आपका मिथुन लग्न है ।* तो आप ध्यान दें कि – आप अपने जीवनसाथी के लिये उलझनें और असमंजस खड़े करते हैं । आपका जीवनसाथी आपका मंतव्य नहीं समझ पाता है – थोड़ा स्पष्ट रहें । आप भावनाओं को उनके नकारात्मक और सकारात्मक दोनों रूपों में अपनाते हैं । आप विचित्र भावनात्मक स्वाभाव से युक्त जातक हैं ।
हालांकि आपके लग्न में कोई ग्रह है तो फिर आप सीधे-सीधे उससे संचालित होने लगेंगे । कोई शुभ ग्रह होगा तो आपके स्वभाव में उत्साह प्रकट होता दिखेगा इसके विपरीत पाप ग्रह के कारण आप जरा क्रूर हो जायेंगे ।
*अगर आपका कर्क-लग्न है ।* तो आप देखने में आकर्षक और भले व्यक्तित्व के जान पड़ेंगे । लेकिन भावनात्मक रूप से आप बहुत व्यवहारिक हैं । आप भावनात्मक तालमेल के लिये अपने साथी से पहल की आशा करते है । फिर बदले में अपनी सुविधा अनुसार अपने साथी को भावनात्मक संतुष्टि देते हैं । अगर आपकी कुंडली के केंद्र में कोई शुभ ग्रह हुआ – तब तो ठीक है । अन्यथा आपके अपने जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद तय है । आपका जीवनसाथी – सेवाभावी है, इस बात को सदा याद रखें । उसके अधिकारों का हनन ना हो – इस बात का ध्यान रखें ।
*अगर आपका लग्न-सिंह है ।* तो आप उन लोगों में से हैं जो भावनात्मक आघात को सहन नहीं कर पाते हैं । आप जीवनसाथी के लिये भावनात्मक, स्वाभिमान और बुद्धीमानी से युक्त चुनौतीपूर्ण वातावरण का सृजन करते हैं । हालांकि आपका जीवनसाथी धर्मपरायण और धर्मवीर स्वभाव का होता है । अगर कुंडली के केंद्र में कोई शुभ ग्रह ना हुआ तो आपका जीवनसाथी कुछ ही समय बाद आपके भावनात्मक आकर्षण से स्वयं को मुक्त कर लेता है । अगर कुंडली के केंद्र में कोई पाप ग्रह हुआ तो फिर प्रबल वैचारिक मतभेदों का दौर चल निकलता है ।
*अगर आपका कन्या-लग्न है ।* तो आप भावनात्मक रूप से बहुत तनाव में रहते हैं । भावनायें आप पर बहुत प्रभाव डालती है । इससे मुक्त होने के लिये आपको दूसरों की सहायता की आवश्यकता पड़ती हैं । क्योंकि आप स्वयं इससे पीछा नहीं छुड़ा पाते है । जीवनसाथी इसमें आपकी बहुत सहायता कर सकता है – अगर सप्तम भाव पर शुभ प्रभाव हो । अन्यथा दोनों ही अपनी-अपनी समस्याओं से जूझते रहते हैं । आपको भावनानात्मक संतुष्टि नहीं मिलती और आपके जीवनसाथी को मंज़िल नहीं मिलती । किसी को गुरु बनाना आपको बहुत लाभ देगा ।
*अगर आपका तुला-लग्न है ।* तो आप अपने जीवनसाथी के भावनात्मक सेवक है और इससे आपके साथी का स्वाभिमान बहुत बढ़ जाता है । हालांकि आप और आपका जीवनसाथी – दोनों ही एक-दूसरे के पूरक है । लेकिन इसके इसके शुभफल के लिये आपकी कुंडली का केंद्र पाप-ग्रहों से रहित होना चाहिये । अन्यथा आपका जीवनसाथी प्रबल सिद्ध होगा । आपको थोड़ा सामाजिक मूल्यों को जानना चाहिये । बेहतर होगा कि – आप व्यवहारिकता का उपयोग कम करें और अपने अंदर त्याग की भावना को जगायें ।
*अगर आपका वृश्चिक-लग्न है ।* तो आप अपने जीवनसाथी के प्रति बहुत आकर्षित रहते हैं । हालांकि आपको स्वयं को भ्रष्ट होने से बचाना चाहिये – क्योंकि आप भावनात्मक आघात सहन नहीं कर पाते हैं । आप भावनाओं को कर्तव्य की तरह निभाते है और जब आपके साथी से उसका समुचित उत्तर नहीं मिलता तो आप भ्रष्ट होने की दिशा में अग्रसर होने लगते है । लग्न पर गुरु बृहस्पति का प्रभाव हो तो आप भ्रष्ट होने से बच सकते हैं । लेकिन आपको अपने स्वाभिमान पर फिर भी नियंत्रण रखना होगा । आपको क्षमा करना सीखना होगा । *क्रमानुसार*
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