
बकरिहवां/सोनभद्र (राहुल तिवारी)
नहीं थम रहा जंगलों की कटान का सिलसिला।
एक ओर र्यावरण संरक्षण अभियान को बचाने के लिए लगवाए जाते हैं लाखों पौधे तो दूसरी ओर साल भर में लकड़ी विक्रेताओं के द्वारा लाखों पौधों की हो जाती है कटाई।
रात में कई गोपनीय रास्तों से पार करा दी जाती हैं लकड़ियां।
वन विभाग सोता रहता है चैन की
नींद।
बकरिहवां।जरहां वन क्षेत्र की दशा बहोत ही दयनीय हो चुकी है जहां दो वर्षों पूर्व जब इस जंगल में हिरण भेंड़ बंदर मोर आदि पशु पक्षियां मिलते थे वहीं आज यही आज वन्य प्राणी सड़कों पर आने को मजबूर हो जा रहे हैं जिससे सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। जहां गोपनीय रास्तों से रात के समय में लकड़ियां पार की जाती हैं। और वनों के कटान का शिलशला दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।जो एक भयानक चिंता का विषय बना हुआ है।और इस बात को लेकर वन विभाग मूकदर्शक बना हुआ है वनकर्मी चैन की नींदों की बांसुरी बजा रहे हैं।
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