
बैंकाॅक। भारत ने दक्षिण-पूर्वी एवं पूर्व एशिया के 16 देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था के लिए प्रस्तावित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) समझौते को अपने लाखों लोगों के जीवन एवं आजीविका के लिए प्रतिकूल बताते हुए आज उस पर हस्ताक्षर करने से साफ इन्कार कर दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां तीसरी आरसीईपी शिखर बैठक में दो टूक शब्दों में भारत का फैसला सुना दिया. विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। श्रीमती सिंह ने कहा कि भारत ने शिखर बैठक में इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने के निर्णय की जानकारी दे दी है. यह निर्णय मौजूदा वैश्विक परिस्थिति तथा समझौते की निष्पक्षता एवं संतुलन दोनों के आकलन के बाद लिया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने बैठक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि कोई भी कदम उठाते हुए यह सोचना चाहिए कि कतार में सबसे पीछे खड़े व्यक्ति को इससे क्या फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इस बैठक में भारत द्वारा उठाये गये मुख्य मुद्दों का कोई समाधान नहीं निकल सका है. हमारा निर्णय देश के करोड़ों लोगों के जीवन एवं आजीविका से जुड़ा है. समझौते के प्रावधान उनके हितों के प्रतिकूल हैं. इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में भारत आरसीईपी में शामिल नहीं हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के किसानों, पेशेवरों एवं उद्योगपतियों की ऐसे निर्णयों में हिस्सेदारी होती है. कामगार एवं उपभोक्ता भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं जो भारत को एक बड़ा बाजार और क्रयशक्ति के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाते हैं. श्रीमती सिंह ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि समझौते में शामिल नहीं होने के कारणों से समझौते के सभी पक्षकार अच्छी तरह से अवगत हैं. उनका कोई समाधान नहीं निकला. भारत को अपेक्षा थी कि बातचीत से एक निष्पक्ष एवं संतुलित निष्कर्ष निकलता लेकिन हमने पाया कि ऐसा नहीं हो सका. इसलिए हमने अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रख कर यह निर्णय लिया है।
क्या है RCEP
आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में सहूलियत प्रदान करता है. अग्रीमेंट के तहत सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना पड़ता है या बहुत कम भरना पड़ता है. RCEP में 10 आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड के शामिल होने का प्रावधान था, जिसमें से अब भारत ने इसमें से बाहर रहने का फैसला किया है. यह अग्रीमेंट 3.4 लोगों के बीच समझौता है।सौजन्य से पलपलइंडिया।
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