जनार्दन पांडेय की रिपोर्ट

नयी दिल्ली।. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान पर अपनी धरती से संचालित आतंकवादी समूहों पर काबू पाने के लिए सबसे बड़ा दबाव वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) का है। एफएटीएफ की बैठक अभी पेरिस में चल रही है।
आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुखों की बैठक को संबोधित कर रहे डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान पर सबसे अधिक दबाव एफएटीएफ के पदाधिकारी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कोई भी देश युद्ध करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि इसमें जानमाल का बड़ा नुकसान होगा और कोई भी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है।
डोभाल ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि पाकिस्तान पर सबसे बड़ा दबाव एफएटीएफ की प्रक्रिया की वजह से है। एफएटीएफ ने उन पर इतना दबाव बनाया है, जितना पहले किसी ने नहीं बनाया था।’’ एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है। अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रणाली की शुद्धता को धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण सहित अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए 1989 में इसकी स्थापना की गई थी।
पेरिस स्थित निगरानी समूह ने पाकिस्तान को पिछले साल जून में ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा गया था और उसे एक कार्ययोजना दी गई थी जिसे उसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करना था। ऐसा नहीं करने पर उसे ईरान और उत्तर कोरिया की तरह काली सूची में डाले जाने की बात कही गई थी।
धनशोधन और आतंकियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने से संबंधित एफएटीएफ की 40 अनुशंसाओं में से पाकिस्तान ने सिर्फ एक का अनुपालन किया है, जिससे उसके ‘ग्रे लिस्ट’ में बने रहने के आसार कायम हैं।
पाकिस्तान के ‘ग्रे लिस्ट’ में बने रहने पर उसके लिए आईएमएफ, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना बहुत कठिन होगा। ऐसी स्थिति में उसकी वित्तीय स्थिति और अस्थिर हो सकती है।
डोभाल ने कहा कि अगर जांच एजेंसियां सही, स्थायी और उद्धृत करने योग्य जानकारी एकत्र कर सकती हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी ढंग से रखा जा सकता है कि पाकिस्तान किस प्रकार आतंकवाद का समर्थन और वित्तपोषण कर रहा है, तो यह उस देश को बेनकाब करेगा।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘ आप यह सबूत एकत्रित करने की पूरी कोशिश कर सकते हैं। आप हर तरीके से अपना योगदान दे सकते हैं।’’
डोभाल ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद एक सस्ता विकल्प है जो दुश्मनों को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ एक देश एक अपराधी का समर्थन कर रहा है और कुछ देशों को तो इसमें महारत हासिल है। पाकिस्तान ने आतंकवाद को देश की नीति का एक औजार बना लिया है। जिससे यह एक बड़ी चुनौती बन गया है (भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए)।’’
डोभाल ने कहा कि युद्ध, राजनीतिक और सामरिक उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक अप्रभावी साधन बन गया है और इस पर होने वाले खर्च के कारण कोई इसे वहन नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘ यह केवल पैसों की बात नहीं है बल्कि लोगों की जान जाने से भी जुड़ा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जीत भी सुनिश्चित नहीं है। संसाधनों और प्रौद्योगिकी के मामले में श्रेष्ठता होने के बावजूद अमेरिका, वियतनाम में और सोवियत संघ, अफगानिस्तान में अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया अधिक जटिल हो गई है और रणनीतिक और भू-राजनीतिक संबंध जटिल हो गए हैं इसलिए युद्ध कोई विकल्प नहीं है और यही कारण है कि आतंकवाद का अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है।
डोभाल ने कहा कि भारत में और विश्व के कई अन्य हिस्सों में आतंकवाद राज्य प्रायोजित है। उन्होंने न्यायपालिका के आतंकवाद से जुड़े मामलों पर सामान्य मामलों की तरह सुनवाई करने की बात भी कही।
उन्होंने कहा, ‘‘ वे (अदालत) सामान्य मापदंड अपनाते हैं। मामला तैयार करने के लिए आपको चश्मदीद गवाह चाहिए। आतंकवाद से जुड़े मामले में आप चश्मदीद गवाह कहां से लाएंगे। पहली बात तो, आतंकवाद के मामलों में चश्मदीद गवाह कम होते हैं। यह बहुत-बहुत कठिन है…किसी आम इंसान का जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी के खिलाफ खड़ा होना।’’
डोभाल ने कहा कि आतंकवादियों की उच्च प्रौद्योगिकी तक पहुंच के कारण उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करना मुश्किल हो गया है। मीडिया का जिक्र करते हुए एनएसए ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए यह एक उपयोगी माध्यम है और उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पारदर्शी मीडिया नीति अपनाने की वकालत की।
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