जर्जर प्राथमिक विद्यालय भरहरी के छत के नीचे मौत के साये में पढ़ने को मजबूर है सैकड़ो छात्र

सोनभद्र(प्रवीण पाठक) प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं ,लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल ही अलग है। हम बात कर रहे हैं चोपन विकासखंड के ग्राम सभा भरहरी में स्थित प्राथमिक विद्यालय भरहरी का,जो सन 1980 में बना,बिल्कुल ही जर्जर हाल में हो गया है।इस विद्यालय में छत से लगातार पानी टपक रहा है, इसी जर्जर विद्यालय में बच्चे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं,विद्यालय का यह हाल लगभग 25 वर्षों से है,कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है,जिसकी जानकारी अध्यापकों द्वारा शासन- प्रशासन समेत जिले के उच्च अधिकारियों को दे दी गई है, लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे भया भयभीत हैं, और उनको हमेशा डर बना रहता है ,कि कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।बताते चले कि ग्रामसभा भरहरी,थाना जुगैल सोनभद्र में प्राथमिक विद्यालय भरहरी सन 1980 में बना है,जो बिल्कुल ही जर्जर हो चुका है, विद्यालय में 2 कमरे और 1 बरामद है।विद्यालय पुराने तर्ज पर गाटर और पटिया से बनाया गया है, जिसमे कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई होती है।विद्यालय में छात्रों की संख्या 106 है। परन्तु छात्र विद्यालय आने में डर रहे है। प्राथमिक विद्यालय के छत से बरसात के दिनों में लगातार पानी टपक रहा है, बच्चे पानी मे बैठकर पढ़ने को मजबूर है,अध्यापको द्वारा इसकी जानकारी जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग को दे दिया गया है, लेकिन अधिकारियों के कानों में जू तक नही रेग रही।ग्रामीण संदीप मिश्रा ने बताया कि 25 वर्षों से इस विद्यालय का यही हाल है, इस विद्यालय की टपकती हुई छत के बारे में अधिकारियों, कर्मचारियों को जानकारी दिया गया है, लेकिन कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है, जबकी गाँव के ही समाजसेवी प्रवीण पाठक ने कुछ दिनों पूर्व बेसिक शिक्षाराज्य मंत्री व सोनभद्र के प्रभारी मंत्री डॉ0 सतीश द्विवेदी को पत्र के माध्यम से अवगत कराया था।इस संबंध में अध्यापिका उमा सिंह ने बताया कि विद्यालय में लगातार पानी टपक रहा है चारो तरफ पानी भरा है ,सभी कमरों में पानी भरा है,डर लगता है कि किसी दिन कोई बड़ा हादसा ना हो जाय।इस बात की जानकारी अधिकारियों को दी गयी है,लेकिन कोई सुनने को तैयार नही है।जबकि छात्रों की माने तो भय बस विद्यालय नही आते,कुछ छात्रों ने बताया कि डर लगता है कि कही छत गिर ना जाए नही तो हमलोग मर जायेंगे,इसीलिए दोस्त सब नही आते।

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