दुद्धी,सोनभद्र। स्थानीय शिक्षा क्षेत्र में अध्यापकों की अनियमितता के कारण पठन-पाठन व्यवस्था दम तोड़ रही है।सर्व शिक्षा अभियान के तहत भारी भरकम राशी खर्च किये जाने के बावजूद शिक्षा क्षेत्र दुद्धी में औद्योगिक क्रांति का जो रंग भरना चाहिए था वो नही भर पाया। दुद्धी ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में अध्यापकों का स्कूल जाने का कोई समय नही है। इसका खामियाजा तालीम जगत में पदार्पण करने वाले देश के भविष्य पर पड़ रहा है। महुली से दस से पंद्रह किलोमीटर दूर स्कूलों के अध्यापकों को अक्सर साढ़े आठ बजे महुली बस स्टैंड पर गपशप करते व कुछ अध्यापकों को रास्ते में देखा जाता है। ऐसे हालात में बच्चों का भविष्य संवारने वाले गुरु जी लोग कितने बजे स्कूल पहुंचते होंगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। दूसरी तरफ आने की समयसारिणी पर गौर किया जाय, तो इनमें अधिकांश अध्यापक चाहे वह सुदूरवर्ती क्षेत्रों में ही तैनात क्यों न हों, साढ़े बारह बजे के करीब महुली स्कूल से वापस पहुंच जाते हैं। महुली से पन्द्रह किलोमीटर दूर स्कूल होने के बाद भी अगर साढ़े बारह बजे आ जाते हैं तो वह स्कूल कितना पहले बंद कर दिया जाता है। इसका भी अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। कुल मिलाकर गौर किया जाय तो ये अध्यापक मात्रा हाजिरी लगाने ही स्कूल जाते हैं। शायद यही वजह है कि शिक्षा विभाग द्वारा जारी ऐप का विरोध हो रहा है। इसकी शिकायत गअभिभावकों द्वारा बार बार खण्ड शिक्षा अधिकारी दुद्धी आलोक कुमार को दिया गया पर कोई कार्यवाही न होने की दशा में कोई सुधार भी नहीं हुआ। वही ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल के बच्चों का भी आदत सी बन गया है वह स्कूल नौ बजे से पहले नहीं आते वह जानते है कि नौ बजे से पहले तो अध्यापक आते नही है। जहां सरकार शिक्षा पर पानी की तरह पैसा बहा रहा है। वही शिक्षा के गुणात्मक सुधार पर इसका कोई असर पड़ता नजर नही आ रहा है। अध्यापकों का मात्र एक उद्देश्य रह गया है कि वह भोजन बनवाने के बाद बच्चों खिला दें यही इनकी बहादुर नजर आ रही है।
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