जिला अस्पताल के एसएनसीयू में डॉक्टर की लापरवाही से मासूम की मौत का परिजनों ने लगाया आरोप

सोनभद्र।राबर्ट्सगंज कोतवाली इलाके के सहीजन कला से एक परिजन अपने नवजात बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा और वहां पर उसे एसएनसीयू में भर्ती कराया गया। 3 दिन के बाद बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर घर के लिए छोड़े जाने से पूर्व बच्चे को परिजनों द्वारा दूध पिलाकर एसएनसीयू में रखा गया।

जिस के कुछ देर बाद बच्चे की मौत हो गई ।मौत की सूचना पर परिजनों में कोहराम मच गया और परिजनों द्वारा डॉक्टर और नर्स पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा गया कि बच्चे की सही देखभाल नहीं होती जा रही है ,और डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई।वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि बच्चा पूर्ण रूप से सही था, बच्चे को दूध पिलाने के लिए मां को ट्रेंड किया गया था और मां ने दूध पिलाने के बाद बच्चे को थपकी नहीं दिया, जिसकी वजह से दूध उसके लंस में चला गया, जिससे बच्चे की मौत हो गई ।जिला अस्पताल में वैसे भी स्टाफ की कमी है और डॉक्टरों की कमी है जिसकी वजह से कम संसाधन में ही अस्पताल संचालित करना पड़ रहा है।
बताते चलें कि रावर्टसगंज कोतवाली इलाके के सहिजन कला गांव की ममता पत्नी राजेश अपने बीमार नवजात बच्चे को लेकर जिला अस्पताल के एसएनसीयू में 17 सितंबर को भर्ती कराया। 3 दिन के बाद बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर घर के लिए छोड़े जाने के पूर्व बच्चे को परिजनों द्वारा दूध पिलाकर एसएनसीयू में रखा गया। जिसके कुछ देर बाद बच्चे की मौत हो गई। मौत की सूचना पर परिजनों में कोहराम मच गया और परिजनों द्वारा नर्स और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा गया कि बच्चे की सही देखभाल नहीं की जा रही थी और डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गई। बच्चे की दादी अमरावती ने बताया कि रात में और सुबह हम लोगों ने बच्चे को दूध पिलाया था। लेकिन दोपहर गार्ड ने बताया कि उसका कि आपका बच्चा सीरियस है जब हम लोगों ने देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी। इसमें नर्स और डॉक्टर की पूरी लापरवाही है वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर प्रशांत शुक्ला का कहना है कि बच्चा पूर्ण रूप से सही था बच्चे को दूध पिलाने के लिए मां को ट्रेंड किया गया था और मां ने दूध पिलाने के बाद बच्चे को थपकी नहीं दिया जिस वजह से उसके लंस में दूध चला गया जिससे बच्चे की मौत हो गई। जिला अस्पताल में वैसे भी स्टाफ की कमी है डॉक्टरों की कमी है जिसकी वजह से कम संसाधन में ही अस्पताल संचालित करना पड़ रहा है।

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