— लाखो की बैट्री,यूपीएस पोल,तार चार्जर, सोलर प्लेट व अन्य कीमती उपकरण कबाड़ चोरों की चढ़ चुका है भेंट
बीजपुर , सोनभद्र , जरहा गांव को रौशन करने के लिए एनटीपीसी रिहन्द के नैगम सामाजिक दायित्व कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2006 में गाँव के टोला चेतवा में स्थापित करोड़ों की लागत से सोलर प्लांट और बायोमास प्लांट रख रखाव के अभाव में पूर्ण रूप से कबाड़ खाने में तब्दील हो चुका है। प्लांट में लगे हाईपावर की कुल 60 बैट्री,चार्जर, यूपीएस ,
दर्जनों सोलर प्लेट ,तथा सैकड़ो पोल, तार,सहित अधिकांश कीमती उपकरण कबाड़ चोरों की भेंट चढ़ चुका है। फिलहाल मौके पर सोलर प्लांट के भवन में सुअर पालन तथा बायोमास प्लांट के भवन में भैस पालन केंद्र खुला हुआ है।इसबाबत समिति के अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने बताया कि लगभग 55 लाख की लागत से 11.09 किलो वाट का सौरऊर्जा प्लांट और लगभग 85 लाख की लागत से 40 किलो वाट के बायोमास प्लांट का निर्माण एनटीपीसी ने बंगलौर की मिलिनीयम कम्पनी से वर्ष 2006 में ग्राम सभा की भूमि पर कराया था। दोनों प्लांट से लगभग 200 घरों को 40 रुपये महीना रेंट पर प्रति कनेक्शन लाईट देना था लेकिन मात्र घण्टा दो घण्टा ही लाईट जलने के कारण उपभोक्ताओं का उक्त बिधुत आपूर्ति से
मोहभंग हो गया जिसके कारण एनटीपीसी की यह योजना ज्यादे दिन नही चल सकी और थोड़े ही दिन में फ्लॉप हो गई ।बाद में एनटीपीसी सीएसआर ने सौरऊर्जा प्लांट को चलाने के लिए माँ दुर्गा ऊर्जा उत्पादन सहकारी समिति और बायोमास प्लांट को चलाने के लिए ग्रामीण ऊर्जा उत्पादन सहकारी समिति का रजिस्ट्रेशन कराया जिसमे एक का अध्यक्ष राजकुमार सिंह तथा दूसरे का अध्यक्ष गंगा प्रसाद गौड़ को बनाया गया समिति में ग्राम प्रधान को भी संरक्षक बनाया गया था । लेकिन यह भी कवायद फलीभूत नही हो सकी जिसके कारण करोड़ो की योजना पर जल्द ही पानी फिर गया। करोड़ों की लागत से बने प्लांट की रखवाली तथा देख भाल करने के लिए गाँव के ही तीरथ पुत्र हिम्मत राम को 1500 रुपये महीना पगार पर रक्खा गया था लेकिन बेतन के लाले गरीबी के कारण तीरथ ने अपने घर का खाना खा कर लगभग 08 साल तक डियूटी किया बाद में वह भी जबाब देदिया तीरथ ने बताया कि उसका भी बेतन का हजारों रुपये बकाया पड़ा है। वर्तमान ग्राम प्रधान श्रीराम बियार कहते है कि एनटीपीसी प्रबन्धन की लापरवाही के कारण करोड़ो की संपत्ति धूल चाट रही रखरखाव के अभाव में कबाड़ चोरों के जीवको पार्जन का साधन बना हुआ है । अगर प्रबन्धन चाहता तो करोड़ों के निष्प्रयोज इस प्लांट को दूसरी जगह लगा कर पेयजल जैसी सुविधा के लिए उपयोग में लाया जा सकता है जिससे सैकड़ो घर मे पेयजल की समस्या से छुटकारा मिल सकता था । लेकिन एनटीपीसी प्रबन्धन की लापरवाही के कारण लगता है बचे हुए प्लांट के अवशेष भी कुछ ही दिनों में कबाड़ियों के कबाड़ में चले जाने का प्रबन्धन इंतजार कर रहा है। लोग बताते हैं कि चोरी गए कीमती सामानों का गठित समिति ने पुलिस में एफआईआर करा कर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति भी पा चुके हैं। कहने को तो एनटीपीसी सीएसआर द्वारा गाँवो में विकास के नाम पर करोड़ो रूपये बहाए गए लेकिन बिभागीय मिली भगत के कारणअधिकांश योजनाएं भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ चढ़ चुकी है। गौरतलब हो कि भारत सरकार प्रदूषण मुक्त बिजली ब्यवस्था स्थापित करने में सोलर सिस्टम को जहाँ बढ़ावा दे रही है वहीं जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण करोड़ों के लगे इस महत्व पूर्ण प्लांट के बन्द होने और कबाड़ियों के हाँथ कौड़ियों के भाव बेचने के पीछे लोगों की मंशा क्या रही है यह अबूझ पहेली बना हुआ है। इसबाबत एनटीपीसी रिहन्द के अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन के .एस. मूर्ति से जब जानकारी हासिल की गई तो उन्हों ने कहा कि गाँव के ग्रामीणों के अनुरोध पर सीएसआर द्वारा हमने उस प्रॉपर्टी को ग्रामीणों के हित को देखते हुए बना कर लगाया था उसकोे चलाने से लेकर सुरक्षा तक कि जिम्मेदारी उस समय बनी समिति की थी अगर चोरी जैसी घटना हुई है तो उसके लिए समिति जिम्मेदार है।