धर्म।दिनांक सोमवार 2 सितम्बर 2019 को गणेश जी की स्थापना है, गणेश जी को विराजमान किया जाएगा,
मध्याह्न गणेश पूजा का समय – इसी समय के बीच मे अभिजीत मुहूर्त भी है. सुबह 11:12 से 01 :41 दोपहर तक
अवधि : 2 घण्टे 29 मिनट्स
ऋषिकेश पञ्चाङ्ग अनुसार तिथि चतुर्थी कब से कब तक है।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ : 2 सितम्बर 2019 को सुबह,09 बजकर 01 मिनट पर,
चतुर्थी तिथि समाप्त : 3 सितम्ब र2019 को सुबह 06 बजकर 50 मिनट पर,
भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था. अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार इस वार गणेश चतुर्थी 2 सितम्बर 2019 को है. इसी दिन गणेश जी को बिराजमान होना है.
गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 तिथि यो तक होता है., अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है, और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है. अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं.
ऋषिकेश पञ्चाङ्ग अनुसार, दिनांक गुरुवार 12 सितम्बर 2019 को गणेश जी का विसर्जन किया जाएगा.
गणपति स्थापना और पूजा मुहूर्त
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है. हिन्दु दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है.
हिन्दु समय गणना के आधार पर, सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पाँच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है. इन पाँच भागों को क्रमशः प्रातःकाल, सङ्गव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल के नाम से जाना जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्याह्न के दौरान की जानी चाहिये. वैदिक ज्योतिष के अनुसार मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये सबसे उपयुक्त समय माना जाता है.
मध्याह्न मुहूर्त में, भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा की विधि,
वृहद पूजन विधि:
पूजन सामग्री (वृहद् पूजन के लिए ) –शुद्ध जल,दूध,दही,शहद,घी,चीनी,पंचामृत,वस्त्र,जनेऊ,मधुपर्क,सुगंध,लाल चन्दन,रोली,सिन्दूर,अक्षत(चावल),फूल,माला,बेलपत्र,दूब,शमीपत्र,गुलाल,आभूषण,सुगन्धित तेल,धूपबत्ती,दीपक,प्रसाद,फल,गंगाजल,पान,सुपारी,रूई,कपूर.
विधि- गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें.
और आवाहन करें –
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं .
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ..
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव .
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव..
और अब प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें –
अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च.
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन ..
आसन-
रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम.
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः..
पाद्य (पैर धुलना)-
उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम.
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम..
आर्घ्य(हाथ धुलना )-
अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै :.
करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते..
आचमन –
सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं.
आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः..
स्नान –
गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:.
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे..
दूध् से स्नान –
कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम.
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं..
दही से स्नान-
पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं.
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां..
घी से स्नान –
नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं. घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम..
शहद से स्नान-
तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः.
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम..
शर्करा (चीनी) से स्नान –
इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम.
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम..
पंचामृत से स्नान –
पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं.
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम..
शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान –
मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम.
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम..
शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान –
मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम.
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम..
वस्त्र –
सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे.
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां..
उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा )-
सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव :.
वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||
उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा )-
सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव :.
वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||
यज्ञोपवीत –
नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम.
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर :..
मधुपर्क –
कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः.
मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां..
गन्ध –
श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम.
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां..
मधुपर्क –
कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः.
मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां..
गन्ध –
श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम.
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां..
रक्त(लाल )चन्दन-
रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम.
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम..
रोली –
कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम.
कुम्कुमेनार्चितो देव