पर्यावरणकी सुरक्षा के  दृष्टिकोण से फ्लाई ऐश का सुरक्षित निस्तारण किया जाना अनिवार्य है-अवनीश अवस्थी

प्रतिकरात्मक फ़ोटो

“Increasing Fly Ash Utrillization:Road Map For Uttar Pradesh ”विषय पर कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ।पर्यावरण,बन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिनांक 31.08.2019 को स्थानीय निकाय निदेशालय, गोमती नगर, लखनऊ परिसर में “Increasing Fly Ash Utrillization:Road Map For Uttar Pradesh ”विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता जे पी एस राठौर, अध्यक्ष उ प्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गयी तथा इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव, गृह तथा सी0ई0ओ0 यूपीडा शामिल हुए।

मुख्य अतिथि के रूप में अवनीश कुमार अवस्थी द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि पर्यावरणकी सुरक्षा के दृष्टिकोण से फ्लाई ऐश का सुरक्षित निस्तारण किया जाना अनिवार्य है। फ्लाई ऐश का प्रयोग सीमेण्ट, ईट उत्पादन, भूमि के रीक्लेमेशन में किए जाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्व है। उन्होंने कहा कि देश मे लगभग 267 थर्मल पावर प्लांट हैं जो वर्तमान में हर साल लगभग 184 मिलियन टन फ्लाई ऐश का उत्पादन करते हैं। इस फ्लाई ऐश का सुरक्षित निपटान प्राधिकरणों के समक्ष एक बड़ी सामाजिक-आर्थिक समस्या बन गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे आद्योगिक विकास प्राधिकरण) के माध्यम से 302.00 किमी0 लम्बा 06 लेन (08 लेन तक विस्तारणीय) एक्सेस कंट्रोल (ग्रीन फील्ड) आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का निर्माण किया है जिस पर यातायात चालू है इसके साथ ही340.824 किलोमीटर लंबाई वाला 06 लेन (08 लेन विस्तारणीय) एक्सेस कट्रोल (ग्रीन फील्ड) पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का ईपीसी मोड पर निर्माण किया जा रहा है। निकटतम एनटीपीसी थर्मल पावर प्लांट के साथ फ्लाई ऐश की उपलब्धता के अनुसार, यूपीडा ने परियोजना के विभिन्न हिस्सों में ऊँचाहर थर्मल पावर प्लांट, ऊचाहार, रायबरेली यूपी और टांडा थर्मल पावर प्लांट, अंबेडकरनगर यूपी से फ्लाई ऐश प्राप्त करने के लिए एक एमओयू हस्ताक्षर किया है।श्री अवस्थी ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि यूपीडा द्वारा ऊचाहार थर्मल पावर प्लांट से 20 लाख टन तथा टांडा थर्मल पावर प्लांट, अंबेडकरनगर यूपी से प्राप्त 20 लाख टन फ्लाई ऐश का उपयोग किया जा रहा है। यूपीडा ने 296 किलोमीटर लम्बा 04 लेन (06 लेन तक विस्तारणीय) एक्सेस कट्रोल (ग्रीन फील्ड) बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और 90 किमी लम्बा 04 लेन (06 लेन तक विस्तारणीय) एक्सेस कट्रोल (ग्रीन फील्ड) गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए बिड भी आमंत्रित की हैं। यूपीडा इन एक्सप्रेसवे के निर्माण में भारी मात्रा मे फ्लाई एश का उपयोग करना चाहेगा।अध्यक्ष उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जे.पी.एस. राठौर द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि फ्लाई ऐश के एक जगह पर एकत्रित रहने पर उपजाऊ भूमि का क्षरण, लीचेट के कारण भू-गर्भीय जल प्रदूषण की समस्या तथा फ्लाई ऐश की अनियंत्रित डम्पिंग से मृदा प्रदुषण की समस्या उत्पन्न होती है। उनके द्वारा अवगत कराया गया कि फ्लाई ऐश को वेस्ट टू वेल्थ के रूप मे प्रयोग किया जा सकता है। प्रमुख सचिव, कल्पना अवस्थी द्वारा बताया गया कि फ्लाई ऐश के समुचित निस्तारण न होने की स्थिति में जल एवं वायु प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है तथा भूमि पर भण्डारित किये जाने से भूमि के बहुमूल्य क्षेत्र का ह्रास होता है।सदस्य सचिव द्वारा फ्लाई ऐश के पर्यावरणीय दुष्परिणाम तथा फ्लाई ऐश के प्रयोग के विभिन्न पर्यावरणीय हितकारी प्रयोगों पर प्रस्तुतिकरण किया गया। पैनल चर्चा में उपस्थित अधिकारियों एवं विशेषज्ञों द्वारा सर्व सम्मति से इस बिन्दु पर बल दिया गया कि फ्लाई ऐश वेस्ट मटैरियल न होकर अनेक उत्पादों के लिये रॉ मटैरियल है। फ्लाई ऐश का अधिकाधिक प्रयोग भराई, निर्माण आदि कार्यां में करके बहुमूल्य उपजाऊ मृदा के क्षरण को बचाया जा सकता है एवं पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है।इस कार्यक्रम में श्रीमती कल्पना अवस्थी प्रमुख सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, श्री पवन कुमार, पी0सी0एफ0 एवं वन विभागाध्यक्ष वन विभाग, डा0 रूपेश कुमार, विशेष सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवतर्न विभाग, आशीष तिवारी, सदस्य सचिव, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा कुलबिन्दर सिंह, जनरल मैनेजर ऐश यूटिलाईजेशन, एन0टी0पी0सी0, गोमतीनगर, लखनऊ, विमल कुमार, सेकेटरी जनरल, सेंटर फॉर फलाई ऐश रिसर्च एण्ड मैनेजमेंट, नई दिल्ली, आर0के0 सिंह, एडिशनल डायरेक्टर, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लखनऊ की गरिमामयी उपस्थिति रही।अन्त में आशीष तिवारी, सदस्य सचिव, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला का समापन किया गया।

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