
धर्म डेस्क।सावन के 30 दिन भगवान शिव के प्रति श्रद्धा से समर्पण का उत्तम समय माना जाता है इसमें भी सबसे उत्तम है कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी। मंगलवार 30 जुलाई को सूर्योदय के पूर्व से ही त्रयोदशी का शुभ समय प्रारम्भ हो जाएगा। दिन के 3:40 बजे तक आर्द्रा नक्षत्र में विशेष फलदायी होगा। इसमें निशीथ पूजा अर्थात रात्रि पूजा का अपना महत्व है।
पंडित शक्तिधर त्रिपाठी बताते हैं कि कल्याणार्थी जन रात्रि वेला में जागरण करके श्री शिव की भक्ति करते हैं। शिव और पार्वती के प्रिय इस तिथि को व्रत रखने तथा ग्यारह जोड़ा बेल पत्र चढ़ाने से लड़के-लड़कियों का शीघ्र एवं मनोनुकूल विवाह होता है।
पंडित शक्तिधर कहते हैं कि श्री शिव ही ऐसे एक मात्र देव हैं जिनके पूरे परिवार की एक साथ पूजा होती है क्योंकि उनका परिवार द्वंद में भी निर्द्वंद है। कार्तिकेय जी का मयूर शिव जी के सर्प का भक्षण करना चाहता है और सर्प गणेश जी के मूषक को। दूसरी ओर माताजी का शेर उनके स्वामी के बैल को खाने दौड़ता है। एक स्त्री स्वरूपा गंगा सिर पर विराजमान हैं तो दूसरी पार्वती पार्श्व में। प्रतिक्षण द्वंद है फिर भी शिवजी उससे परे निर्द्वंद हैं। ‘हर’ हैं अर्थात दुख दूर करने वाले हैं। इसीलिए वर्ष के 365 दिनों में से इकट्ठे 30 दिन श्रद्धा के साथ श्री शिव को समर्पित कर हम भी अभाव के दुष्प्रभाव से दूर निर्द्वंद होना चाहते हैं तो शिव की शरण में जाते हैं।
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