रायपुर।पुलिस विभाग में 2010 से 2015 के बीच आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाने वालों की अब जांच होगी। इसके लिए 5 आईपीएस अफसरों की कमेटी बना दी गई है। ये फैसला प्रमोशन में घोटाले का खुलासा होने के बाद डीजीपी डीएम अवस्थी ने किया है। जानकारी के अनुसार प्रमोट होने वालों में ज्यादातर निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के करीबी हैं, क्योंकि 2010 के बाद से पुलिसिंग की कमान एक तरह से गुप्ता के हाथों में थी।
इंटेलिजेंस के साथ-साथ उनके पास ईओडब्लू-एसीबी की भी कमान थी। इन दो महत्वपूर्ण विभागों की कमान होने के कारण पीएचक्यू में उनकी अच्छी पैठ थी। नान घोटाले की जांच के दौरान अवैध फोन टेपिंग में फंसे एसआई राकेश जाट को 3 माह में दो बड़े प्रमोशन दिए जाने का खुलासा भास्कर में होने के बाद डीजीपी ने मामले को संज्ञान में लेकर कमेटी बनाई है।
जांच का जिम्मा पुलिस मुख्यालय में पदस्थ एडीजी प्रशासन अशोक जुनेजा के अलावा एसआईबी के डीआईजी पी सुंदरराज, डीआईजी प्रशासन ओपी पॉल, डीआईजी अअवि एससी द्विवेदी और डीआईजी इंटेलिजेंस अजय यादव को सौंपा गया है। जांच कर कमेटी बताएगी कि प्रमोट होने वाले के लिए सिफारिश करने वाला कौन था।
स्पेशल-26 टीम के सदस्यों के प्रमोशन भी जांच घेरे में :खेल कोटे से हवलदार बनने वाले को भी आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया। इंटेलिजेंस में पदस्थ हवलदार को पहले एएसआई के पद पर पदोन्नति दी गई। उसके बाद डेढ़ साल की अवधि में एसआई और फिर इंस्पेक्टर बना दिया गया। वह इंस्पेक्टर अभी भी इंटेलिजेंस में पदस्थ है। इनके अलावा ईओडब्लू में स्पेशल-26 के नाम से चर्चित खास टीम के सदस्यों के प्रमोशन भी जांच के घेरे में हैं।
उन्हें ऐसे मामलों में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया जिनमें पुलिस चालान भी पेश नहीं कर सकी और अारोपियों को जमानत पर छोड़ दिया गया। इसके बावजूद अच्छा और उल्लेखनीय काम बताते हुए जवानों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दे दिया गया। विभाग में चर्चा है कि इनके अलावा बिलासपुर और अंबिकापुर में भी कई ऐसे अधिकारी हैं, जिनके प्रमोशन काे लेकर सवाल उठ रहे हैं। इनमें भी ज्यादातर निलंबित डीजी गुप्ता के करीबी हैं।