आदिवासियों के खतौनी की जमीन को कब्जा करने गया था ग्राम प्रधान, न कि सोसाइटी की जमीन को ,विनीत

सोनभद्र ।घोरावल तहसील क्षेत्र के उम्भा गांव में 17 जुलाई को भीषण नरसंहार हुआ, जिसमें 10 लोगो की मौत और 28 लोग घायल हो गए।वही विवाद जो सामने आया उसके अनुसार 1955 में गठित आदर्श सोसायटी की जमीन को लेकर गोलीकाण्ड हुआ बताया गया।

लेकिन हकीकत कुछ और ही है। 22 जुलाई को जब वरिष्ठ पत्रकार ,आईएफडब्लूजे के जिला अध्यक्ष,सोनभद्र विजय विनीत लखनऊ से आये दो पत्रकारों के साथ उम्भा गांव में पहुंचे तो, वहां की स्थिति देखने के बाद एक झटका सा लगा कि अभी तक महत्व पूर्ण मुद्दा खबरों से गायब क्यो है। विभिन्न समाचार पत्रों व चैनलों में यह दिखाया जा रहा है की, आदर्श सोसायटी की जमीन यज्ञ दत्त प्रधान ने बैनामा ले ली, और आदिवासी उस जमीन पर जोत -कोड़ करने से रोक रहे थे, जिसके चलते मारपीट शुरू हुई ,और इतनी बड़ी घटना हुई। इस पूरे प्रकरण में जितनी मुंह, उतनी बातें सुनी जा रही हैं। लेकिन सच्चाई देखने के बाद हमारे साथ गए लोग अवाक रह गए।

सचाई यह है कि यज्ञ दत्त ग्राम प्रधान द्वारा बैनामा ली गई जमीन को जोतने नहीं ,बल्कि आदिवासियों की उस पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने के लिए ट्रैक्टरों से धावा बोला था, जो जमीन सन 1951-52 से ही आदिवासियों के नाम है। कैलाश, रामपति, छोटेलाल ने बताया कि जिस जगह गोली चली, वह जमीन हम लोगों के नाम आज भी खतौनी में दर्ज है। एक खेत में भागने के दौरान एक कल्टीवेटर भी छूट गया था ,जिस खेत में वह छुटा था ,उसका अराजि नंबर 17 बताया गया ।ग्रामीणों ने खतौनी दिखाई और बताया कि प्रधान खतौनी अराजि नंबर 24 ,17,20,18, नंबर के खेत में ट्रैक्टरों से जुताई शुरू कर दिया ,और मना करने पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दिया, जबकि यह जमीन आदिवासियो के काश्तकारी की है, जबकि ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त ने 48,49,54ग,55,57,77,94,154क नंबर की जमीन बैनामा लिया है, जो उस जमीन से काफी दूर है।

यह बात जब जिलाधिकारी के संज्ञान में डाली गई ,तो उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है, आज इसकी पुष्टि तब हुई जब मुख्यमंत्री द्वारा गठित टीम जांच के लिए उम्भा गांव पहुंची । जब राजस्व कर्मियों ने टीम की मौजूदगी में नापी का कार्य शुरू किया तो, सच्चाई परत- दर- परत सामने आने लगी। नापी के बाद साफ हो गया की, ग्राम प्रधान उस जमीन को सोसायटी की बैनामा ली गई जमीन की आड़ में अपनाना चाहता था, जो खतौनी में सन 19 51-52 से आदिवासियों के नाम दर्ज है। तमाम लोग भी यह दलील दे रहे थे ,की जब यज्ञ दत्त सोसायटी की जमीन बैनामा लिया है तो, उस पर आदिवासी जबरिया जुताई करने का का प्रयास क्यों कर रहे थे। आज की नापी से साफ हो गया कि ,वास्तव में यज्ञ दत्त को कहीं ना कहीं से संरक्षण जरूर प्राप्त था। जिसके चलते वह आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन को भी हड़पना चाहता था।

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