गांव में अब भी बिखरे पड़े हैं मरने वालों के चप्पल और खून से सनी लाठियां पसरा सन्नाटा

सोनभद्र ।सोनभद्र जनपद के घोरावल थाना के धूम्भा गांव के बाहर खेत के नजदीक बनी पुलिया के पास जमीन पर गिरा खून सूखकर अब काला पड़ चुका है और चप्पल उसी तरह इधर-उधर फैले हुए हैं। ये मंजर इस बात की गवाही दे रहा है कि हालात कितने गंभीर थे। लोग अपने चप्पल-जूते छोड़कर जान बचाने के लिये इधर-उधर भागे होंगे। नजर दौड़ाने पर उसी जगह आधा दर्जन लाठियां भी फेकी हुई हैं, जिस पर लगे खून से साफ जाहिर होता है कि ये कई सरों पर मौत बनकर बरसी होंगी। 10 मौतों और दो दर्जन से ज्यादा के अधमरा हो जाने के बाद अब उबहां गांव में दर्दनाक खामोशी है। पूरा गांव छावनी में तब्दील हो चुका है खुद डीआईजी और एसपी भी मौके पर मौजूद हैं। ‘साहब इतनी बड़ी घटना हो गयी, आखिर पुलिस क्या कर रही थी?’ इसका जवाब उनके पास सिर्फ यही है कि 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, उनके पास से एक असलहा भी बरामद हुआ है, पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है।
गांव में थोड़ा और अंदर घुसने पर वहां पसरा मातम और सन्नाटा बताता है कि वारदात ने सभी झकझोर कर रख दिया है और वो अब भी डरे हुए हैं। खौफ हर चेहरे पर साफ दिखायी पड़ रहा है। गांव में घुसते ही घटना स्थल के पहले सबसे पहला घर जगजीवन का पड़ता है, लेकिन वह घर पर नहीं हैं, इस संघर्ष में उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। घर में उनकी पत्नी और बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है। दोपहर बाद हुए संघर्ष के बारे में बताते हुए परिवार की एक महिला हेमा देवी बताती हैं कि उनकी पीठ में गहरी चोट आयी है। वो कहती हैं कि वो हमलोग सिर्फ जमीन जोतने से मना कर रहे थे, लेकिन वो पूरी तैयारी से आए थे। विवाद बढ़ा तो वो लोग गोलियां बरसाने लगे। जान बचाने के लिये जो जिधर भाग सकता था भागने लगा। कुछ लोग जान बचाने के लिये पुलिया के नीचे जा छिपे। उन्हें खींचकर लाठियों से पीटा गया, जिनकी बाद में मौत हो गयी।

सोनभद्र में हुये खूनी संघर्ष में 10 लोगों की मौत का कारण 90 बीघा जमीन बनी।
गली चौराहों पर लोग सिर्फ इसी संघर्ष की चर्चा कर रहे हैं। पूरा विवाद गांव के 70 गोंड परिवारों के पुश्तैनी पट्टे की जमीन को लेकर है। गांव के यह 70 परिवार दावा करते हैं कि जमीन सोसाइटी से उनके दादा-परदादा को मिली है। वो लोग बरसों से इस जमीन की जुताई-बुआई कर रहे हैं और इस पर उनका अधिकार है, जबकि दूसरा पक्ष हमला करवाने के आरोपी प्रधान यज्ञदत्त का है।
उनका दावा है कि सोसाइटी से जमीन उन्होंने रजिस्ट्री करा लिया है। इसी जमीन पर कब्जे के लिये प्रधान ने दर्जनों ट्रैक्टर में 150 से ज्यादा लोगों को लेकर पहुंचे थे। बाहर से दो दर्जन से अधिक असलहाधारी भी बुलाए गए, ताकि कोई विरोध न करे। पर जैसे ही गांव वालों को पता चला कि खेतों की जुताई हो रही है तो जिन परिवारों की जमीन थी वो मौके पर पहुंच गए और इसका विरोध किया। यह विरोध करते ही प्रधान के लोगों ने उनपर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं, फिर जानलेवा संघर्ष हुआ और इसमें 10 लोग मार दिये गए।
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