काशी में भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलविषेक करने के लिये भक्तो का उमड़ा जनसैलाब

वाराणसी।बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में बुधवार को सावन माह के पहले दिन भोर से ही भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलविषेक करने के लिये भक्तो का उमड़ा जनसैलाब। पूरा काशी हर हर महादेव के नारे से गूंज उठा। बताते चले कि काशी के पावन धरती पर हर तरफ कांवरधारी शिव भक्तों ने शहर को केसरिया रंग में रंग दिया गया। इसके साथ ही लोक से जुड़े तीज त्यौहारों का भी क्रम शुरू हो गया। देर रात गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण के बीच काशी के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान का दौर चला और तड़के सूर्योदय से पूर्व ही काशी बम बम नजर आने लगी।

लाखों श्रद्धालुओं ने शिव के नगरी में लगाई आस्था की डुबकी

बताते चले कि जहा गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर लगा चंद्र ग्रहण से मोक्ष काल तक काशी के घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। लोग ग्रहण के दौरान दशाश्मेध, राजेन्द्र प्रसाद, अस्सी, राजघाट, भदैनी, अहिल्या बाई, दरभंगा समेत कई दर्जन घाटों पर लोग ग्रहण के बाद स्नान कर बाबा विश्वनाथ के दर्शन को पहुंचे।लाहरवीर, गोदौलिया, गिरजाघर, मैदागिन, चौक में रास्तों पर दो किमी लंबी लाईन भोर से ही लग गयी।

गर्भ गृह के बाहर से दर्शन करेंगे भक्त
काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह के मुताबिक भीड़ को देखते हुए सुगम दर्शन के लिए चारों द्वारों पर कलश स्थापित किया गया हैं। इसमें भक्तों द्वारा डाला गया गंगा जल, दूध सीधे तांबे की पट्टिका से होते हुए ज्योतिर्लिंग पर गिरेगा। उज्जैन के महाकालेश्वर के तर्ज पर यह व्यवस्था की गई है।

मंदिर परिसर के आस पास कड़ी सुरक्षा चाक चौबन्द वयवस्था
मंदिर के आस पास काशी विश्वनाथ मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने आये श्रद्धालुओ के सुरक्षा व्यवस्था में तीन हजार जवान करीब लगाए गए है। सोमवार को पांच एडिश्नल एसपी, 12 डिप्टी एसपी, 200 इंस्पेक्टर, दरोगा, होमगार्ड, पैरा मिलिट्री, पीएसी कमान संभालेगी। एनडीआरएफ गंगा में कमान संभाली है।

15 अगस्त को समाप्त होगा सावन माह
इस वर्ष श्रावण मास 17 जुलाई से आरंभ होकर 15 अगस्त 2019 को समाप्त होगा। श्रावण मास में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रावण मास के प्रथम सोमवार 22 जुलाई को भगवान शंकर का श्रृंगार, श्रावण मास के द्वितीय सोमवार 29 जुलाई को भगवान शंकर व मां पार्वती का श्रृंगार, श्रावण मास के तृतीय सोमवार व नागपंचमी 5 अगस्त को अर्धनारीश्वर का श्रृंगार, श्रावण मास के चतुर्थ सोमवार 12 अगस्त को रुद्राक्ष से श्रृंगार और 15 अगस्त को रक्षाबंधन, पूर्णिमा को शिव-पार्वती एवं गणेश जी की चल प्रतिमाओं का झूला श्रृंगार होगा।

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